RE: Antarvasna परदेसी
पूरी कॉन्वर्सेशन के दौरान रोहित को ऐसा लगता रहा जैसे तान्या उस से फ्लर्ट करने की कोशिश कर रही है. कोशिश क्या, फुलटू फ्लर्ट कर रही है. हो सकता है यह उसके मन का वेहम हो और उसे वही लग रहा हो जो वो करना चाहता है इसलिए उसने इस बात का ज़िक्र ना करने की ही सोची. तान्या ने खाना बना लिया और दोनो ने अपनी प्लेट में डाल के खाना शुरू कर दिया. खाते वक़्त भी वो इधर उधर की बातें करने लगे. खाना ख़तम करने के बाद, उन्होने प्लेट्स वापस रखी तो तान्या रोहित की आँखों में झाँकति हुई बोली, "रोहित एक बात कहूँ बुरा तो नही मानोगे"
"नहीं मानूँगा. बोलो.." शायद वो बोलने वाली थी जो सुनने को रोहित के कान तरस रहे थे
"अपनी शर्ट उतारोगे एक मिनट"
"व्हाट !! क्यूँ??"
"मुझे देखना है कि तुम्हारा घाव कैसा है"
"नहीं है कोई घाव वहाँ पे"
"प्लीज़. एक बार .. मेरे लिए" फिर अपनी पलकें झपकते हुए उसने कहा
"ठीक है. पर मेरी बॉडी देखकर हसना मत" कहते हुए रोहित ने अपनी शर्ट उतार दी और उसके सामने खड़ा हो गया.
तान्या ने हैरानी से उसके कंधे के वहाँ देखा और वहाँ सच मुच कोई घाव नही था. वो उठ कर उसके पास गयी और उसके कंधे पर हाथ फेरने लग गयी. हाथ फेरते हुए वो धीरे धीरे अपना मूह उसके पास लेकर आई और पहले उसका कंधा और फिर उसकी गर्दन चूमने लगी. रोहित ने अपना दूसरा हाथ उसके कंधे पर रखा और थोड़ा नीचे मूह कर के अपने होठ उसके नाज़ुक से फूल जैसे होठों पर रख के दबा दिए
तान्या के नरम मुलायम होठ उसको ऐसी फीलिंग दे रहे थे मानो वो किसी गुलाब की पंखड़ी को छू रहा हो. धीरे धीरे वो अपना हाथ तान्या की पीठ पर फेरने लगा और अपने होठ उसके होठों से हटा कर उसकी गर्दन को धीरे धीरे चूमने लगा. यह सिलसिला थोड़ी देर तक जारी रहा और उसके बाद दोनो ने साँस ली.
"यह क्या कर रही हो तान्या"
"मैं क्या कर रही हूँ तुम्हें नही मालूम? तुम भी तो लगे हुए हो" थोड़ा सा मुस्कुरा कर तान्या ने बोला
"मतलब हम ऐसा क्यूँ कर रहे हैं"
"तुम्हें नही पता ? तुम्हारी तबीयत ठीक है?"
"मतलब तान्या कि अचानक से यह सब..."
"आइ लाइक यू रोहित. आइ लाइक यू आ लॉट. पहले दिन से ही. और जब कल तुमने मेरे लिए अपनी जान की बाज़ी लगा दी तो मुझे तुम और अच्छे लगने लगे"
"तान्या मैने तुम्हारे बारे में कभी वैसे सोचा नही.. तुम बहुत सुंदर हो, आइ वुड लव टू गो आउट वित यू. पर हम शायद जल्दी कर रहे हैं"
तान्या फिर झुकी और उसको चूमने लग गयी जिंदगी में किसी भी चीज़ में हारना उसे कतयि पसंद नही था. धीरे धीरे रोहित ने भी हार मान ली और अपने आप को पूरी तरह से तान्या को समर्पित कर दिया. उसको पता था कि इस क्रिया का अंत जो भी हो, जीत तो उसे महसूस होगी ही. तान्या की लगाई हवस की आग में वो ऐसा उलझा कि उसको 30 मिनट बाद ही होश आया जब वो दोनो बिस्तर पर बदहवास पड़े थे. रोहित मुस्कुरा रहा था क्यूंकी इतना मस्त सेक्स उसने आज तक महसूस नही किया था. तान्या इसलिए मुस्कुरा रही थी क्यूंकी उसको पता था कि उसके बिछाए जाल में रोहित कदम रख चुका है और जल्द ही वो समय आएगा जब रोहित ना चाहते हुए भी इस जाल में उलझ चुका होगा. तभी रोहित के फोन की घंटी बजी
"हेलो"
"हाई रोहित.. दिस ईज़ दिया"
"हां दिया"
"फ्राइडे को क्या कर रहे हो..."
"पता नही.. कुछ प्लान है क्या..." आज तो लगता है किस्मत उसपे मेहेरबन थी... फ्राइडे को थ्रीसम के चान्सस लग रहे थे
"हां. मेरे पापा ने इन्वाइट किया है डिन्नर के लिए तुम्हें, बिट्टू और तान्या को.. वो दोनो तो आ रहे हैं. तुम्हें भी आना है"
"अच्छा.. कोशिश करूँगा. अभी के लिए हां समझो" रोहित के सपनों का महल टूट गया. पर सेक्स ना सही, घर का बना खाना तो मिलेगा, यह सोचकर ही वो खुश था
"किसका फोन था" तान्या ने रोहित के फोन रखने पर पूछा
"दिया का था.."
"ओह्ह वो फ्राइडे नाइट की पार्टी. अचानक से ही पता नही उसके बाप को क्या सूझी जो हमे इन्वाइट कर लिया..."
"हां.. पर जाता क्या है... अच्छा खाना मिलेगा. शायद दारू भी हो.. मज़े करेंगे.."
"मज़े तो अभी भी कर रहे हैं" तान्या ने कहा और फिर रोहित को चूम लिया. रोहित फिर से गरम हो गया और एक बार वापिस सेक्स किया. इस बार उसने ध्यान रखा कि तान्या की नीड्स का भी ख़याल रखे. फिर वो दोनो निढाल हो गये और इस बार सो गये.
जब रात में खाने की मेज़ पर बिट्टू ने रोहित को नही देखा तो उसका माथा ठनका कि रोहित ठीक भी है या नहीं. वो उसके रूम में गया पर वहाँ तो ताला लगा हुआ था. उसने रोहित को फोन घुमाया तो पता चला कि वो बाहर है और थोड़ी देर में वापस आएगा. अब बिट्टू ने भी टाइम पास के लिए दिया को फोन लगा दिया और दोनो इधर उधर की बातें करने लगे. दिया बहुत एग्ज़ाइटेड थी कि फ्राइडे को वो चारों उसके घर पे मिलेंगे. वो अपनी माँ के खाने की तारीफ करते नही थक रही थी. सुन सुन के बिट्टू के भी मूह में पानी आ रहा था और उसको फिर से भूख लग गयी. उसने दिया से विदा ली और वापिस कॅंटीन पहुँच कर खाना खाने लग गया. थोड़ी ही देर में देखा कि रोहित भी वहाँ आ गया है. तब तक बिट्टू का खाना ख़तम हो गया था. उसने अपनी प्लेट डिशवाशर में डाली और लपक के रोहित के पास हो गया
"कहाँ था रे..."
"क्यूँ क्या हुआ.."
"हुआ तो कुछ नहीं, बस बदनामी हो गयी हॉस्टिल में के दोनो लौन्डे साथ सोते हैं"
"अबे छोड़ ना.. और बता क्या किया दिन भर.."
"अर्रे मेरी छोड़ और अपनी बता.. कहाँ था दिन भर..."
"कुछ नहीं यार. बस ऐसे ही.. इधर उधर..."
"ओ माइ गॉड.."
"क्या हुआ..."
"तू तान्या के साथ था ना..."
"यह तू कहाँ से पता कर के बोला?"
"अर्रे चोट ना लगना मेरी पॉवर है पर यह मेरा टॅलेंट है.. तो बता.. कुछ हुआ क्या"
"यार मैं सिर्फ़ यह एन्षूर करने गया था कि उसके उपर मेरी पॉवर तो ज़ाहिर नही हुई ना.."
"अर्रे वो छोड़ और बता कुछ हुआ क्या"
"भगवान का शुकर है के उसको कुछ नही पता"
"ओ माइ गोद..."
"क्या हुआ"
"तुमने सेक्स किया आज..."
"अबे चुप कर.. कुछ भी बोल रहा है"
"अपनी माँ की कसम खा के नहीं किया..."
"मैं ऐसी बातों में कसमें नही खाता"
"देखा.. मुझे पता था... कैसी है वो... वैसे तो बड़ी बॉम्ब लगती है.. बिस्तर में भी क्या.."
"शट अप यार बिट्टू.. तुझे और कुछ नहीं है क्या बोलने को" रोहित ने बोला और दोनो कुछ पल तक बिल्कुल शांत हो गये.
बिट्टू रोहित को घूरता रहा और रोहित खाना खाता रहा... "हां. बिस्तर में भी वो एक फुलझड़ी है.. बस खुश?"
"मुझे पता था. ऐसी लड़कियाँ होती ही ऐसी हैं.. हमेशा खुद को उपर रखती है... मज़ा आया ?"
"बहुत... ज़िंदगी का सबसे बेस्ट सेक्स था"
"साला एक मेरी ज़िंदगी है... गर्ल फ्रेंड ने कभी दी नहीं, जिस-से ली, उसको पैसे देने पड़े... वैसे फरक होता है क्या प्रॉस्टिट्यूट के साथ सेक्स करने में और किसी को जानते हो उसके साथ सेक्स करने में?"
"पता नहीं, मैने कभी प्रॉस्टिट्यूट के साथ सेक्स नही करा"
"लकी है तू तो... मैने तो उन्ही के साथ किया है.. एक बार पैसे कम थे तो मुझे हॅपी के साथ मिल कर एक बंदी को चोदना पड़ा. ऑफर था. 2 बंदे एक सिट्टिंग में लेती थी तो 2 गुना की बजाए 1.5 गुना ही चार्ज कर रही थी. वो ही मेरा बेस्ट रहा है"
"यार कैसा है तू... घिन नही आती?"
"आती तो है लेकिन चूत देख कर चली जाती है" कहता हुआ बिट्टू ज़ोर ज़ोर से हँसने लगा और उसको हँसता देख रोहित को भी हँसी आ गयी. "दिया का फोन आया?"
"हां आया था."
"तो चल रहा है ना फ्राइडे को?"
"ओफ़फकौर्स"
"यार कुछ ले कर जाना चाहिए ना.. पहली बार उसके घरवालों से मिल रहे हैं"
"अबे तो रिश्ते की बात करने थोड़ा जा रहे हैं"
"तू नही जा रहा होगा, मैं तो जा रहा हूँ. सोच रहा हूँ सूट में जाऊं"
"अबे पागल हो गया है क्या..."
"यार एक मस्त इंप्रेशन बनाना है उसके पेरेंट्स पर. क्या पता कल को वो मेरे भी पेरेंट्स हो जायें"
"मस्त इंप्रेशन बनाना है तो मूह बंद रखियो. नही तो क्या सूट और क्या कच्छा, सब खुल जाएँगे तेरे मूह खोलते ही"
"ह्म्म.. सोचना पड़ेंगा. और बता... यार आइ रियली कॅंट बिलीव इट कि तान्या के साथ तेरा फिट हो गया... कहाँ वो और कहाँ तू"
"क्या मतलब तेरा"
"मतलब कहाँ वो एक हूर परी और कहाँ तू.. शकल से ऐसा लगता है जैसे कान से मैल निकालने का बिज़्नेस हो तेरा"
"शट अप..."
"चल छोड़ इन बातों को. मैं चला अपना नाइट डोज लेने. तुझे चाहिए हो तो आ जइयो.. नहीं तो कल कॉलेज में मुलाक़ात हो शायद" कहता हुआ बिट्टू उठा और अपने रूम में चला गया
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