RE: Antarvasna परदेसी
पूरे रास्ते बिट्टू से बात करने की बजाय हॅपी दिया को सारी जगहों के बारे में बताता रहा.. घर जाने की बजाए वो कभी गन्ने का जूस पीने जाते तो कभी खेतों में जा कर मूलियाँ निकाल के खाने लगते. कभी नहर पे जाते तो कभी किसी ढाबे पे जाते. फिर हॅपी ने गाड़ी कॉलेज की तरफ मोड़ ली. "दिया जी अब आपको दिखाता हूँ यहाँ का सबसे बढ़िया कॉलेज... यहाँ के टीचर अभी भी बिट्टू के नाम से काँपते हैं.."
"यार हॅपी बस कर.. कल देख लेंगे.. घर ले जा अभी.. बहुत टाइम हो गया.. मम्मी पापा परेशान हो रहे होंगे.."
"अबे घंटा परेशन हो रहे होंगे.. अजीब बातें मत कर... अभी फोन कर देते हैं और बोल देते हैं कि थोड़ा लेट हो जाएँगे" कहते हुए उसने अपना फोन उठाया और बिट्टू के घर का नंबर मिला दिया. काफ़ी रिंग्स जाने पर भी जब किसी ने फोन नही उठाया, तो उसने बिट्टू के पापा के मोबाइल पे लगाया लेकिन वहाँ भी किसी ने नही उठाया. "चल घर ही चलते हैं पहले" कहते हुए उसने जीप मोड़ ली.
"क्या हुआ कोई फोन नही उठाया क्या..." बिट्टू ने पूछा
"हां.. रिंग बजती रही.. शायद बिज़ी है किसी काम में"
"थोड़ा जल्दी कर यार..." बिट्टू को किसी अनहोनी की आशंका होने लगी थी.
"अबे 80 से तेज़ क्या चलाऊ... हवाई जहाज़ में नही बैठा.. पहुँच जाएँगे 10 मिनट में" हॅपी ने इरिटेट हो कर कहा. थोड़ी दूर चलते ही उन्हे आसमान में धुए के बादल बनते हुए दिखे. यह देख हॅपी ने गाड़ी और तेज़ भगाने की कोशिश करी. आखरी मोड़ जब लिया तो सामने का नज़ारे देख कर वो लोग दंग रह गये. घर आग की लपटों से घिरा हुआ था. और जल रहा था. बिट्टू जल्दी से जीप से बाहर निकला और जलते हुए घर में घुस गया. अंदर केवल आग ही आग थी. बिट्टू को कुछ ढंग से दिखाई नही दे रहा था लेकिन वो फिर भी अंदर घुसे चला जा रहा था अपने माँ बाप को बचाने के लिए. तभी आग किसी तरह से गॅस के सिलिंडर तक पहुँच गयी और एक ज़ोरदार धमाका हुआ. बिट्टू उड़ता हुआ खिड़की से बाहर आ गिरा. उसका सारा शरीर जल रहा था और वो दर्द में चीखे मार रहा था.
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"तान्या.. तान्या क्या हुआ...इतना चीख क्यूँ रही हो..." रोहित तान्या के चीखने की आवाज़ सुनकर उसके रूम में गया और उसको जगाने की कोशिश करने लगा... तान्या की नींद खुली. उसकी आँखें बिल्कुल नम थी
"फिर वोही सपना रोहित... हो ना हो बिट्टू के साथ कोई अनहोनी होने वाली है... हमे कुछ करना पड़ेगा"
"तान्या कम ऑन.. वो सपना था.. सिर्फ़ एक सपना... कुछ नही हुआ है किसी को..."
"रोहित आज फिर मुझे वही सपना आया है... ज़रूर इसका कोई ना कोई मतलब है..."
"सपनो के मतलब नही होते तान्या... क्यूँ अपना दिमाग़ खराब कर रही हो..."
"रोहित तुम मानो या ना मानो... पिछला आक्सिडेंट भी मैने सपनों में देखा था लेकिन उसको रोक नही पाई.. इस बार में यह हादसा होने से पक्का रोकूंगी... हमे किसी भी तरह से बिट्टू को कॉंटॅक्ट करना पड़ेगा"
"नहीं कर सकते तान्या... इतनी आबादी वाली दुनिया में बिट्टू का कॉंटॅक्ट नंबर कैसे पूछेंगे..."
"रणवीर को मैल करो... रोहित प्लीज़ रणवीर को मैल करो... यह हादसा बिट्टू के घर में होने वाला है... हमे जल्द से जल्द वहाँ पहुँचना होगा... उससे बिट्टू का अड्रेस माँगो रोहित..."
"तान्या अभी सो जाओ.. रात बहुत हो गयी है.. सुबह उठ कर देखेंगे.." रोहित ने सोचा कि बुरा सपना है.. सुबह तक तान्या शांत हो जाएगी.. इसलिए ऐसा कह दिया
"मुझे पता है तुम क्या सोच रहे हो रोहित.. ठीक है तुम जा कर सो जाओ.. मैं खुद ही ईमेल करती हूँ रणवीर को"
"जो करना है करो.. तुम्हें तो कुछ समझाना ही बेकार है.." रोहित ने कहा और अपने रूम में चला गया सोने को.. यहाँ तान्या ने अपना लॅपटॉप निकाला और रणवीर को मैल लिखने लगी
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बिट्टू रात में हड़बड़ा के उठा. उसने देखा तो उसका हाथ जला हुआ था जो देखते ही देखते ठीक हो गया. पसीने से उसका बुरा हाल था और वो हाँफ रहा था. दिया भी उसके इस अचानक हड़बड़ा के उठने के कारण उठ गयी.
"क्या हुआ बिट्टू"
"कुछ नही दिया.. तुम सो जाओ.. बुरा सपना था. मैं पानी पी कर आया" बिट्टू ने उससे दिलासा दिया. बिट्टू ने अभी तक उसको यह बताया नही था कि वो ख्वाबों में दूसरी जगहों पे जाता है. उसने सोचा कि ऐसे ही वो परेशन होगी. लेकिन सच तो यह था कि बिट्टू अब परेशान रहने लगा था. हालाँकि उससे पता था कि यह सब सपने हैं, फिर भी जागने के बाद उन सपनों के निशान अपने उपर पा कर वो बहुत ही विचलित होता था. पिछले 2-3 दिनों से वो इसी कारण से थोड़ा गुम्सुम रहने लगा था और दिया सोच रही थी कि वो शादी को ले कर चिंतित है. लेकिन बिट्टू के आश्वासन दिलाने पर कि यह शादी के कारण नही, ऐसे ही मूड स्विंग है, उसने कुछ नही कहा. लेकिन उससे पता था कि कोई चीज़ तो है जो बिट्टू को अंदर ही अंदर खाए जा रही है.
उधर बिट्टू पानी पीने गया और गहरी सोच में डूब गया. था तो यह एक सपना ही, पर उससे अपने घर वालों की चिंता होने लगी थी. पिछले एक साल से उसने उनकी कोई खबर नही ली थी. क्या पता उस जीव ने बिट्टू के घर पर भी धावा बोल दिया हो?? बिस्तर पर वापस आकर वो यह ही सोचने लगा कि उसको एक बार अपने घरवालों से मिलने ज़रूर जाना चाहिए. इस में रिस्क तो बड़ा था लेकिन अपने पेरेंट्स से मिलने की आग अब उसके अंदर लग गयी थी. सारी रात वो करवटें ही बदलता रहा कि कैसे दिया से यह बात चलाए... सच तो यह था कि दिया भी अपने पेरेंट्स से इतने टाइम से दूर रही है.. उसको अजीब तो नही लगेगा कि इसको मेरी फॅमिली की चिंता नही है... ऐसे कयि सवाल बिट्टू के दिल में खलबली मचाते रहे. पूरी रात वो एक सेकेंड भी सो नही सका. बस छत को घूरता रहा और सोचता रहा कि दिया से यह बात कैसे चलाई जाए.
अगली सुबह फिर बिट्टू को विचलित देख कर दिया का मन डूब गया. आज उसने ठान ही ली कि जो बात है वो पता कर के ही रहेगी. वो नाश्ता बनाते ही बिट्टू के पास पहुँच गयी और नाश्ते की प्लेट को टेबल पर धम्म से मारा. बिट्टू सोच में डूबा हुआ था और आवाज़ से अचानक चौक गया. दिया का बिगड़ा मूड होने के कारण उसने अपनी बात टालने की सोची.
"बिट्टू क्या तुम्हें लगता है कि हम ने शादी कर के कोई भूल करी?"
"अर्रे दिया तुम क्या वोही बात ले कर बैठ गयी.."
"सच सच बताओ बिट्टू.. अगर कोई और है तुम्हारी ज़िंदगी में तो बोल दो... मुझे अच्छा नही लगता जब तुम ऐसे चुप चाप बैठे रहते हो और सोचते रहते हो किसी और के बारे में"
"अर्रे मैं किसी और के बारे में क्यूँ सोचने लगा दिया... कितने लोगों से मिलता हूँ मैं यहाँ... कितनी लड़कियों से बात करते हुए देखा है तुमने मुझे?"
"हर किसी कस्टमर के साथ तो फ्लर्ट करते हो... क्या पता किसी ने कोई सिग्नल दे दिया हो"
"दिया... दिया.... कैसी बातें सोच रही हो सुबह सुबह... अर्रे मैने जिससे प्यार किया, उसके साथ हूँ.. यह तुम भी जानती हो और मैं भी... अब मुझे क्या किसी पागल कुत्ते ने काटा है जो फिर किसी और मुसीबत को गले लगा लूँ" हँसते हुए बिट्टू ने कहा
"मज़ाक मत करो बिट्टू और सच सच बताओ कि तुम्हें क्या चीज़ अंदर ही अंदर खाए जा रही है"
"यह अच्छा मौका है बिट्टू, लगा दे चौका" बिट्टू ने सोचा और कहा "यार तुमसे कोई चीज़ छुपाना मुझे बिल्कुल भी गवारा नहीं है... आज तक ऐसा कुछ हुआ है के मैने तुमसे छुपाया हो... यहाँ तक कि जब कॉन्स्टिपेशन हुई थी तब भी तुम्हें बता दिया था.."
"बिट्टू फालतू की बात मत कर और बता जो मैने पूछा है" गुस्से में दिया ने फोर्क उसके उपर तानते हुए बोला
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