RE: XXX Hindi Kahani किस्मत का फेर
फिर समीर आँचल की टीशर्ट को उतारने लगा । आँचल ने अपने दोनों हाथ ऊपर उठाकर टीशर्ट उतारने में मदद की । अब समीर की आँखों के सामने अपनी बहन की बड़ी बड़ी गोल चूचियां थीं , जिन्हें वो पहली बार देख रहा था । समीर ने दोनों चूचियों के निप्पल को एक एक करके अपने होठों के बीच लेकर उनका चुम्बन लिया । आँचल की उत्तेजना से सिसकारी निकल गयी। फिर उसने अपनी कमीज भी उतार दी । कमीज़ उतरते ही अपने हैंडसम भाई के गठीले जिस्म को देखकर आँचल की आँखों में चमक आ गयी । उसने तुरंत अपने हाथों को उसके गठीले जिस्म पर फिराया । फिर उसका निक्कर का बटन खोलकर उसे फर्श पर गिरा दिया। पैंटी और अंडरवियर छोड़कर अब दोनों के बदन पर कोई कपड़ा नहीं था । दोनों भाई बहन ने एक दूसरे के बदन पर बचे आखिरी कपडे को पकड़ा और नीचे को खींच लिया ।
दोनों पहली बार एक दूसरे के नग्न बदन को देख रहे थे । आँचल के खूबसूरत नग्न जिस्म को देखकर समीर का लंड तनकर खड़ा हो गया । आँचल ने पहली बार समीर के लंड को देखा । उसने लंड को हाथ में लेकर उसकी मोटाई का अंदाजा लिया । उसे याद आया इसी मोटे लंड से उस रात समीर ने आँचल की खूब धुलाई की थी । समीर अभी भी अपनी बहन के नग्न जिस्म की खूबसूरती में खोया हुआ था । उस रात अँधेरे कमरे में दोनों ने एक दूसरे को महसूस किया था पर आज पहली बार दोनों एक दूसरे के नंगे बदन को अपनी आँखों से देख रहे थे ।
समीर ने आँचल के नग्न बदन को अपने आलिंगन में भर लिया । आँचल को अपने बदन में पेट के पास समीर के खड़े लंड की चुभन महसूस हुई । उसने अपने होंठ फिर से समीर के होठों से लगा लिए । कुछ देर तक दोनों चुम्बन लेते रहे । समीर ने अपने होंठ अलग किये और फिर अपने दोनों हाथ आँचल के कन्धों पर रखकर उसको नीचे घुटनों के बल झुका दिया । अब आँचल की आँखों के सामने समीर का तना हुआ लंड था । वो समझ गयी कि उसका भाई क्या चाहता है । उसने एक गहरी साँस ली और अपने होंठ सुपाड़े पर रख दिये और उसका चुम्बन लिया । फिर अपना मुंह खोलकर सुपाड़े को अंदर ले लिया । और लंड को अपने हाथ से ऊपर नीचे करने लगी।
आँचल को अपनी जीभ पर लंड से टपकी pre - cum की बूँद का स्वाद महसूस हुआ । अपना दूसरा हाथ वो समीर की जांघों के पिछले हिस्से पर फेरने लगी और लंड को चूसते चूसते अपने हाथ को समीर के नितम्बों पर फिराने लगी । समीर ने आँचल के सर को दोनों हाथों से पकड़ा और अपने लंड को उसके मुंह में गले तक डाल दिया । आँचल को दम घुटता सा महसूस हुआ । वो समझ गयी कि dominating nature का समीर उसे उसी तरह से अपने काबू में कर रहा है , जैसे उसने उस रात किया था । थोड़ी देर तक आँचल का मुंह चोदने के बाद समीर ने अपना लंड बाहर निकाल लिया और आँचल के सर पर पकड़ ढीली कर दी । वो अभी झड़ना नहीं चाहता था और इन पलों को और लम्बा खींचना चाहता था । आँचल ने लंड को चूसते और चाटते हुए समीर की बढ़ती हुई उत्तेजना महसूस की । तभी समीर ने आँचल को रोक दिया और उसको खड़ा करके उसके होठों पर गहरा चुम्बन लिया ।
फिर समीर ने आँचल को उठाया और किचन काउंटर पर बैठा दिया । उसके पैर फैलाकर खुद उनके बीच आ गया। आँचल को समीर के हाथ अपनी नग्न पीठ पर घूमते महसूस हुए और समीर का लंड उसकी चूत को स्पर्श कर रहा था । फिर समीर ने अपने होंठ आँचल के होठों पर रख दिये। दोनों एक दूसरे के होठों को चूमने लगे और एक दूसरे के मुंह में जीभ घुमाने लगे । उनके हाथ एक दूसरे के बदन और पीठ पर घूम रहे थे ।
तभी आँचल ने साँस लेने के लिए चुम्बन तोड़ दिया और बोली ,
" भाई अगर तुम्हें सही नहीं लग रहा है तो अभी भी रुक सकते हो । मैं नहीं चाहती कि बाद में तुम कुछ और फील करो । मुझे तो अच्छा लग रहा है पर मैं चाहती हूँ कि तुम फिर से सोच लो ।"
समीर ने आँचल की आँखों में देखा फिर बोला ,
" देखो आँचल तुम जितना मुझे चाहती हो , मैं भी तुम्हें उतना ही चाहता हूँ । सिर्फ निर्णय न ले पाने से उलझन थी , झिझक थी । जो अब दूर हो चुकी है ।अब तुम मेरी गर्लफ्रेंड हो और मैं तुम्हारा बॉयफ्रेंड ।"
फिर उसने अपने लंड को आँचल की चूत के छेद पर लगा दिया और थोड़ा अंदर धकेल दिया ।
आँचल ने दोनों हाथों से समीर के नितम्बों को पकड़ा और धीरे धीरे अपनी तरफ खींचने लगी। समीर का पूरा लंड आँचल की पूरी तरह से गीली हो चुकी चूत में घुसता चला गया ।
"अहह ........ समीर बहुत अच्छा लग रहा है " मदहोशी में आँखे बंद करके सिसकारी लेते हुए आँचल बोली ।
समीर के मोटे लंड से आँचल को अपनी टाइट चूत में कुछ दर्द सा भी महसूस हो रहा था लेकिन दर्द के साथ साथ बहुत कामसुख भी मिल रहा था । आँचल के चेहरे के भाव देखकर समीर ने उससे पूछा " आँचल तुम्हें कुछ परेशानी , दर्द तो नहीं हो रहा ? "
आँचल ने एक पल के लिए आँखे खोली , समीर को देखा , हल्का मुस्कुरायी , " नहीं समीर , मुझे कोई दर्द नहीं हो रहा । तुम करते रहो ।"
समीर ने सुपाड़ा छोड़कर बाकी लंड बाहर निकाल लिया । फिर आँचल के नितम्बों को दोनों हाथ से पकड़कर उसे अपनी तरफ खींच कर , अचानक एक झटके में पूरा लंड अंदर धांस दिया । आँचल की तेज चीख निकल गयी । फिर समीर चूत में थपाथप धक्के लगाने लगा । धक्के लगाते हुए ही अपने एक हाथ से आँचल की हिलती हुई बड़ी बड़ी चूचियों को पकड़कर उन्हें मसलने लगा । कुछ देर बाद अपने मुंह को आँचल की चूचियों पर रखकर उन्हें चूसने लगा ।
समीर के अपनी चूत पर पड़ते धक्कों से आँचल की सिसकारियां बढ़ती चली गयीं । दर्द और उत्तेजना से उसने समीर के कन्धों पर अपने नाख़ून गड़ा दिये और अपनी टांगों को उसकी कमर के चारों ओर लपेट लिया । कुछ देर बाद आँचल का बदन अकड़ गया ओर उसको एक जबरदस्त ओर्गास्म की लहरें आयीं । समीर भी ज्यादा देर नहीं रुक पाया और उसने अपनी बहन आँचल की चूत को अपने वीर्य से भर दिया । फिर कुछ समय तक दोनों एक दूसरे को आलिंगन में जकड़े रहे । दोनों ही एक दूसरे से अलग होना नहीं चाह रहे थे ।
कुछ देर बाद समीर ने आँचल को किचन काउंटर से उतार दिया और उसको घुमाकर कमर से झुका दिया ।
आँचल ने अपनी बांहें किचन काउंटर पर टिका दीं । उसकी बड़ी बड़ी चूचियां लटकी हुई थीं और लम्बी चिकनी टाँगें थोड़ा फैली हुई थीं ।
"लगता है अभी मेरे प्रेमी का मन नहीं भरा ।" आँचल पीछे की ओर सर मोड़कर समीर को देखते हुए बोली ।
समीर बस मुस्कुरा दिया । आँचल की खूबसूरत गांड उसके सामने थी । उसने आँचल की एक टांग मोड़कर किचन काउंटर पर रख दी । अब आँचल घबरा गयी उसने सोचा समीर उसकी गांड में लंड घुसाने जा रहा है , वो भी बिना किसी lube के , जैसे उसने उस रात अँधेरे कमरे में घुसेड़ दिया था । तब समीर के मोटे लंड ने आँचल की गांड की जो कुटाई की थी , उससे आँचल दो दिन तक ठीक से चल नहीं पायी थी ।
उसने जोर से सर हिलाकर "नहीं " कहा ।
पर समीर ने उसकी तरफ ध्यान नहीं दिया और अपने तने हुए लंड को, आँचल की चूतरस से भीगी हुई चूत में पीछे से घुसेड़ दिया ।
आँचल तो कुछ और ही सोच रही थी , हुआ कुछ और ।
समीर ने पूछा , " तुमने नहीं क्यों कहा ?"
" कुछ नहीं , मैंने सोचा तुम आज फिर मेरे बदन की कुटाई करने वाले हो । " आँचल ने शरारत भरी मुस्कान से समीर को देखा ।
समीर मुस्कुरा दिया , उसे अच्छी तरह से पता था कि आँचल ने “ नहीं “ क्यों कहा था। वो जानता था अब आँचल उसके मोटे लंड को अपनी टाइट गांड में डालने नहीं देगी । वो तो बस मज़े में आँचल के मुंह से सुनना चाह रहा था । पर आँचल ने भी सीधे कहने की बजाय इशारों में जवाब दिया था ।
अब समीर ने दोनों हाथों से आँचल की कमर पकड़कर पीछे से धक्के लगाने शुरू कर दिए । आँचल भी अपने भाई का पूरा साथ देते हुए पीछे को गांड दबाकर लंड अपनी चूत में ज्यादा से ज्यादा अंदर भरने की कोशिश करने लगी । समीर बीच बीच में आँचल की मखमली पीठ पर हाथ फेरने लगता । कभी आगे हाथ बढ़ाकर उसकी नीचे को लटक के हिलती हुई मुलायम चूचियों और निप्पल को हाथ में दबाकर मसलने लगता और आँचल को तड़पाने के लिए धक्के रोक देता ।
|