RE: Porn Sex Kahani तरक्की का सफ़र
“मेरा दिल नहीं कर रहा जाने के लिये”, मैंने कहा।
“नहीं राज तुम्हें जाना चाहिये! जाओ और चुदाई का मजा लो, मैं बुरा नहीं मानूँगी, कसम से, वैसे भी हम तीनों बिज़ी हैं...” प्रीती ने कहा।
जब मैं होटल के सूईट में पहुँचा तो एम-डी और महेश को मेरा इंतज़ार करते पाया, “आओ राज बैठो और अपने लिये ड्रिंक बना लो।”
मैं अपने लिये ड्रिंक बना कर सोफ़े पर बैठ गया और शक की निगाहों से उन्हें देखने लगा।
“डरो मत राज! आज हमने तुमसे कुछ लेने नहीं, बल्कि तुम्हें तुम्हारे काम का इनाम देने के लिये बुलाया है, इसलिये निश्चिंत हो जाओ”, एम-डी ने अपने ग्लास में से घूँट भरते हुए कहा।
“राज तुमने सुना तो होगा कि मैंने अपनी ऑफिस की हर औरत को चोदा है?” एम-डी ने मुझसे पूछा।
“हाँ सर! कुछ ऐसी अफ़वाह सुनी तो है...” मैंने जवाब दिया।
“ये अफ़वाह नहीं, हकीकत है राज! मैंने और महेश ने ऑफिस में काम करने वाली हर लड़की या औरत को खूब चोदा है। नयी-नयी लड़कियों को चोदने के बाद यहाँ काम पर लगाया है। आज हम दोनों तुम्हें अपना राज़दार और हिस्सेदार बनाना चाहते हैं”, एम-डी ने गर्व से कहा, मगर मैंने ये नहीं सोच था।
“इसका मतलब है कि तुम ऑफिस की किसी भी औरत को अपने नये केबिन में बुला कर उसे चोद सकते हो, तुम्हें मेरी परमिशन है इस काम के लिये।”
“थैंक यू सर”, मैंने जवाब दिया।
मेरे ऑफिस में कई लड़कियाँ थीं जिन्हें मैं चोदना चाहता था। इस बात ने मेरा काम और आसान कर दिया था। ये सोच मेरे चेहरे पर मुस्कान आ गयी थी।
महेश ने ताली बजाते हुए कहा, “राज... कल का क्यों इंतज़ार करें! आओ आज से ही शुरू करते हैं।”
महेश के ताली बजते ही बेडरूम से दो निहायत ही सुंदर लड़कियाँ बाहर निकल कर आयी। दोनों के हाथों में शराब के ग्लास और सिगरेट थीं। “ये रेहाना है, हमारे डिसपैच डिपार्टमेंट से और ये नसरीन है हमारी ब्राँच ऑफिस से”, महेश ने मेरा उनसे परिचय कराते हुए कहा।
“पहले कभी इन्हें देखा है? मैंने आज की रात सबसे बेहतरीन लड़कियों को अपनी ऑफिस और ब्रन्च ऑफिस से चुना है...” एम-डी ने कहा।
“सर रेहाना को मैंने देखा है, और इसे चोदना भी चाहता था पर नसरीन मेरे लिये नयी है...” मैंने जवाब दिया।
“चिंता मत करो! थोड़े दिनों में सबको जान जाओगे..., लड़कियों! ये राज है और आज से इसे मेरी परमिशन है कि ये तुम सबको जब जी चाहे चोद सकता है, ये बात औरों को भी बता देना, समझ गयी तुम दोनों?” एम-डी ने उनसे कहा।
“हाँ सर! हम समझ गये”, रेहाना ने अपनी गर्दन हिलाते हुए सिगरेट का धुँआ बाहर छोड़ते हुए कहा।
“चलो फिर शुरू हो जाओ और अपना छुपा हुआ खज़ाना राज को दिखाओ”, महेश ने हुक्म दिया।
दोनों अपने कपड़े उतारने लगी। दोनों ही काफी सुंदर थी, भरी-भरी छातियाँ, पतली-पतली कमर, बिना बालों की चूत काफी शानदार लग रही थी, तरबूज जैसी गाँड, लंबी-लंबी सुडौल टाँगें और अंत में गोरे- गोरे पैरों में बहुत ही सैक्सी और ऊँची ऐड़ी वाली सैंडल। उन्हें नंगा देखते ही मेरा लंड खड़ा हो गया।
“चलो महेश यहाँ से! और राज को चुदाई का पूरा आनंद लेने दो”, एम-डी ने कहा।
“रुकिये सर, आपने कहा कि मैं आज से आपका पार्टनर और राज़दार हूँ तो क्यों ना हम लोग मिलकर इन्हें चोदें?” मैंने एम-डी से कहा।
“देखा महेश! मैं नहीं कहता था कि अपना राज मतलबी नहीं है, ये सब कुछ शेयर करना चाहता है”, एम-डी खुश होते हुए बोला, “लेकिन राज ये दो हैं और हम तीन...”
“सर औरत के पास तीन छेद होते हैं, मर्द को मज़ा देने के लिये, चूत गाँड और मुँह... और इसके लिये हम तीन हैं।”
“मेरे लिये ये नयी बात होगी”, एम-डी ने कहा, “चलो महेश... कपड़े उतारते हैं और ट्राई करते हैं।”
“सर हम लोग एक-एक कर के तीनों छेदों का मज़ा लेंगे”, मैंने एम-डी को समझाया।
“ओह गॉड!!!” हम तीनों को नंगा देखते हुए एक ही झटके में अपना पैग गटकते हुए रेहाना बोली।
एम-डी की नज़र जब मेरे लंड पर पड़ी तो उसने हँसते हुए कहा, “महेश! देखो राज का लंड तुमसे बड़ा और मोटा है, अब तुम्हारे मोटे लंड के किस्से ही रह जायेंगे।”
रेहाना ने मेरे लंबे लंड को देखते हुए कहा, “सर!!! मैं ये लंबा लंड अपनी गाँड में नहीं लूँगी।”
“रेहाना! तुम्हें पता है मुझे ’ना’ सुनने की आदत नहीं है, इसलिये राज तुम्हारी गाँड में अपना लंड डालेगा।” फिर रेहाना ने विरोध नहीं किया। रेहाना वैसे भी काफी नशे की हालत में थी।
एम-डी बिस्तर पर लेट गया और रेहाना ने एम-डी के ऊपर आकर उसका लंड अपनी चूत में ले लिया और उछलने लगी। एम-डी का लंड जड़ तक उसकी चूत में समा चुका था। रेहाना की गाँड उभरी हुई थी। अपने लंड को सहलाते हुए मैं अपने थूक से उसकी गाँड को चिकना कर रहा था।
“राज ये कोई तरीका नहीं है इतनी सुंदर गाँड मारने का, मैं होता तो एक ही धक्के में पूरा लंड डाल देता...” महेश ने कहा।
“क्या उसे दर्द नहीं होगा?” मैंने कहा।
“हाँ... उसे दर्द तो होगा, पर जब वो दर्द से चींखेगी तो उसके दर्द की आवाज़ मुझे अपने कानों में संगीत की तरह लगती है...” महेश बोला।
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