College Girl Sex Kahani कुँवारियों का शिकार
08-25-2018, 04:26 PM,
#53
RE: College Girl Sex Kahani कुँवारियों का शिकार
कुँवारियों का शिकार--35 

गतान्क से आगे.............. 

प्राची ने कुच्छ ऐसा अस्सर डाला था मेरे ज़हन पर कि मुझे और कुच्छ सूझ ही नही रहा था. दोपहर को जब खाने पर बैठे थे तो तनवी से भी मेरी मनोस्थिति च्छूपी ना रह सकी. उसने मुझसे पूच्छ ही लिया: “क्या बात है राज कुच्छ खोए-खोए से और उड्द्वेलित लग रहे हो?” मैं मुस्कुरा दिया और बोला, “तुमने भी भाँप ही लिया तनवी, आज एक नयी अड्मिशन हुई है…….” 

“प्राची”, तनवी ने मेरी बात काटी. मैं फिर से मुस्कुराए बिना ना रह सका और बोला, “बहुत ही अच्छे से समझ लेती हो तुम मुझे, मेरा क्या होगा जब तुम चली जाओगी?” 

तनवी: “इसमे हैरानी की क्या बात है, वो है ही ऐसी, मैने उससे देखा था तुम्हारे ऑफीस से निकलते, मम्मी-पापा थे शायद उसके साथ. उसको देखते ही मैं समझ गयी कि नयी अड्मिशन हुई है, बुक्स और यूनिफॉर्म बॅग भी तो था. फिर मैने चेक किया तो नाम भी पता चल गया. अब तुम्हारी यह दशा देखकर तो कोई भी 2 और 2 चार कर सकता है.” 

मैने तनवी को प्रशंसा भरी नज़रों से देखते हुए कहा, “मैं बहुत भाग्यशाली हूँ के मुझे तुम्हारे जैसी दोस्त मिली है.” 

तनवी: “नही, प्राची बहुत भाग्यशाली है के उससे तुमने पसंद कर लिया है और वो तुम्हारे संसर्ग में आकर लड़की से औरत बन-ने जा रही है.”

मैं: “यह क्या कह रही हो तनवी?” 

तनवी: “ठीक कह रही हूँ रोमी, मेरा दावा है कि एक महीने के अंदर वो तुम्हारे नीचे उच्छल रही होगी, मैं हूँ ना.” 

मेरा लंड उसकी बात सुनकर मेरे जॉकी में उच्छलने लगा. तनवी से मेरी हालत च्छूपी नही थी, उसने हाथ बढ़ा कर मेरी जांघों पर रख दिया और प्यार से सहलाते हुए मेरे आकड़े हुए लंड पर ले आई तो मैने कहा कि क्यों सोए हुए नाग को छेड़ रही हो तो हंस के बोली कि सोया हुआ कहाँ है यह तो जाग गया है और मैं जानती हूँ की इस अंधे नाग को इसके बिल का रास्ता दिखाना है. हम दोनो उठे और बिना देरी किए हुए बेडरूम में आ गये और कब हमारे कपड़े हमारे शरीरों का साथ छ्चोड़ गये और कब हम बेड पर एक दूसरे में समाने को आतुर हो गये और कब एक घंटा बीत गया पता ही नही चला. फिर हम दोनो एक दूसरे की बाहों में सीमटे हुए सो गये और शाम को 6 बजे के बाद हमारी नींद खुली. दोनो इकट्ठे ही उठे और एक दूजे की ओर देख कर मुस्कुराए और एक बार फिर एक दूजे की बाहों में बँध गये. रात का खाना भी हम ने इकट्ठे ही खाया और इकट्ठे ही सोए. आख़िर सुबह भी हो ही गयी. 

स्कूल पहुँचे. और प्राची भी आ गयी. पेवं ने जैसे ही बताया मैने उससे अंदर बुला लिया. क्या लग रही थी वो, एकदम गुड़िया सी. स्कूल यूनिफॉर्म में उसकी सुडौल गोरी टाँगें चमक रही थीं. मैने अपने चेहरे पर एक ज़बरदस्त मुस्कान लाते हुए उससे चेर पर बैठने के लिए कहा और उसे बताने लगा. 

मैं: “प्राची आज तुम्हारा स्कूल का पहला दिन है और तुम्हारा स्वागत है. मुझे पूरा विश्वास है के यू विल प्रूव टू बी आन असेट टू दा स्कूल. मेरे रहते तुम्हें यहाँ कोई भी परेशानी नही होगी और आशा करता हूँ कि यहाँ तुम्हारा यह साल बहुत अच्छा बीतेगा. मैं स्टूडेंट्स के साथ हमेशा एक दोस्त की तरह रहता हूँ तो क्या तुम मुझसे दोस्ती करोगी?” 

प्राची: “(मुस्कुराते हुए) जी मैं बहुत खुश हूँ कि मुझे इतने अच्छे स्कूल में अड्मिशन मिला है. पापा और चाचा बहुत तारीफ़ कर रहे थे स्कूल की और आपकी भी और मैं प्रॉमिस करती हूँ कि आइ विल नेवेर लेट यू डाउन. और मुझे बहुत खुशी होगी आपसे दोस्ती करके.” 

मैं: “गुड. किसी भी तरह की कोई भी बात हो तुम मेरे पास बेझिझक आ सकती हो और मैं हर तरह से तुम्हारी मदद करूँगा और बदले में मुझे केवल एक प्रॉमिस चाहिए कि तुम्हारी पढ़ाई में किसी भी तरह की कोई भी कमी नही आनी चाहिए. अगर तुम्हें मुझसे बात करने में कोई परेशानी हो तो तनवी से बात कर सकती हो, मैं तुम्हें तनवी से मिलवा देता हूँ.” 

मैने तनवी को इंटरकम पर कॉल करके कहा कि मेरे ऑफीस में आ जाए. तनवी आई तो मैने प्राची से उसे मिलवा दिया और कहा कि उसको सब बातें समझा दे और उसका ध्यान रखे. तनवी उससे अपने साथ ले गयी और जाते जाते मुझे एक अर्थपूर्ण मुस्कान दे गयी. 

मैं दोनो को जाते हुए देखता रहा और सोचने लगा कि देखो अब तनवी क्या गुल खिलाती है. मुझे बहुत सोचने पर भी ऐसा नही लगा कि तनवी अपना दावा पूरा कर पाएगी पर फिर यह सोचकर रह गया कि त्रिया चरित्रां, पुरुषास्या भागयाँ देव ना जानाती, का मनुष्या. स्त्री काचरित्रा और पुरुष का भाग्या, देवता नही जानते मनुष्या क्या जानेगा. थोड़ी देर बाद तनवी मेरे पास आई और बोली के ज़्यादा से ज़्यादा एक महीना. मैं मुस्कुरा कर रह गया. प्राची की सूरत मेरी आँखों के सामने घूमती रही सारा दिन. 

3-4 दिन के बाद तनवी ने कहा कि ग्राउंड रेडी हो रही है प्राची से तुम्हें मिलाने की. मैने पूछा की कैसे तो वो बोली की आम खाने से मतलब रखो और मुस्कुरा दी. फिर उसने बताया कि प्राची उस में रह कर आई है इसलिए उसे इंग्लीश लॅंग्वेज में तो कोई परेशानी नही है पर यहाँ के हिसाब से उसे ग्रामर और स्पेल्लिंग्स में थोड़ी मुश्किल आ रही है और वही मुश्किल उसे हिन्दी में भी आ रही है. तनवी उससे कोचैंग दे रही थी हर दूसरे दिन एक घंटा पढ़ा कर दोपहर को स्कूल के बाद अपने कमरे में. 

कुच्छ दिन बाद तनवी एक शाम को मेरे पास आई और उसने मुझे बताया कि मामला आगे बढ़ना शुरू हो गया है. मेरे पूच्छने पर उसने जो बताया वो उसी के शब्दों में: 

हमेशा की तरह आज भी जब प्राची आई तो मैं उसे पढ़ाने बैठी. मैने उस दिन स्कूल से आने के बाद नाहकार केवल एक नाइटी ही पहनी थी और उसके नीचे कुच्छ भी नही पहना था. प्राची उस दिन एक लाइट ब्लू कलर के ढीले से टॉप और बर्म्यूडा शॉर्ट्स में बहुत प्यारी लग रही थी. मैं उसकी ओर देख रही थी तो उसने पूछा के क्या देख रही हैं ऐसे? मैने कहा के प्राची तुम बहुत सुंदर हो, बहुत खुशनसीब होगा जिससे तुम्हें प्यार करने का अवसर मिलेगा. प्राची शर्मा गयी और अपनी नज़रें झुका कर बोली के ऐसी बातें मत कीजिए. मैने कहा के क्यों तुम्हें अच्छी नही लगती ऐसी बातें, तुम्हारा कोई बॉय फ्रेंड नही था क्या उस में. तो प्राची ने कहा के नही उसने कभी इस बारे में सोचा भी नही है. मैने तब तक अपना हाथ उसके घुटने पर रख दिया था और बहुत ही धीरे से उसे सहला रही थी. मैने उससे कहा कि देखो प्राची अब तुम बच्ची नही हो बड़ी हो गयी हो और तुम ना भी चाहो तब भी लड़के तुम्हारे पीछे पड़ेंगे ही दोस्ती करने के लिए और उसके भी आगे बहुत कुच्छ करने के लिए. और बहुत कुच्छ क्या वो चौंक कर बोली? मैने कहा कि तुम हो ही इतनी सुन्दर के किसी का भी दिल तुम्हें प्यार करने को चाहेगा. इस बीच मेरा हाथ लगातार उसके घुटने से आगे बढ़ रहा था बहुत ही धीरे-धीरे और अब उसकी गोरी, चिकनी, कोमल जाँघ को सहला रहा था. प्राची ने मेरे हाथ को हटाने की कोई कोशिश नही की सिर्फ़ अपनी दोनो टाँगें भींच कर मेरे हाथ को जकड़ने की कोशिस ज़रूर की. 

मैं उसे बातों मे ही उलझा कर अपने हाथ की कारगुज़ारी चालू रखे हुए थी. प्राची का चेहरा लाल हो रहा था और मैं समझ रही थी की ये सब उसके लिए नया है और उसे इसका कोई अनुभव नही है. प्राची ने कहा की वो मेरी बात का मतलब नही समझी. मैने कहा की देखो प्राची तुम इतनी सनडर हो की तुम्हे हर कोई प्यार करना चाहेगा ऐसे, कहते हुए मैने अपने हाथ को प्यार से उसकी जाँघ पर फिराया तो प्राची के मुँह से एक मादक सिसकारी निकल गयी. मैने तुरंत उसको पूचछा की प्राची तुम्हे अच्छा लगा ना? प्राची का चेहरा लाल अनार हो गया और वो कुच्छ नही बोली सिर्फ़ अपना सर झुका लिया. मैने प्यार से उसकी जाँघ को सहलाना जारी रखा. अब उसकी टाँगें भींची हुई नही तीन. 

फिर मैने उसको कहा के प्राची इसके आयेज भी बहुत कुच्छ करना चाहेंगे तुम्हारे साथ. उसने पूचछा की क्या? मैने पूचछा की तुम बुरा तो नही मानोगी? अब बात चल ही पड़ी है तो मैं चाहती हूँ की तुम सब जान लो. प्राची ने प्रश्नवाचक दृष्टि से मेरी ओर देखा. मैने अपना दूसरा हाथ बढ़कर उसकी पीठ के पीच्चे से लेजाकर उसको अपने पास खींचा और फिर उसकी बगल से आयेज निकाल कर उसके माममे पर रख दिया और बहुत ही हल्का सा दबाव डाला. उसका छ्होटा सा मम्मा मेरी हथेली मे पूरा आ गया और उसका कड़क हो चुका मटर के छ्होटे दाने जैसा निपल मेरी हथेली को गुदगुदाने लगा. मेरे इस आक्रमण से प्राची सिहर गयी और उसका पूरा शरीर काँप गया जैसे कोई करेंट उसके शरीर मे दौड़ गया हो. उसने एक गहरी साँस ली और बोली की ये क्या हो रहा है मुझे? मैने पूचछा की तुम्हे अच्छा लग रहा हैं ना प्राची? उसने हन मे अपने सर को हिलाया. 

मैने अपने हाथ का दबाव उसके माममे पर तोड़ा बढ़ा दिया और दूसरे हाथ से उसकी जाँघ को सहलाते हुए, अपने हाथ को उसकी बर्म्यूडा शॉर्ट्स के अंदर घुसा दिया. प्राची की जांघों पर गूस बंप्स उभर आए और उसकी साँसें तेज़ हो गयीं. फिर मैने कहा की ये मेरे एक लड़की के प्यार करने से तुम्हे मज़ा आ रहा है तो सोचो की जब एक मर्द तुम्हे ऐसे प्यार करेगा तो कितना आनंद आएगा. प्राची ने कोई जवाब नही दिया और मेरे द्वारा दिए जा रहे आनंद का अनुभव करती रही. मैने अपना हाथ नीचे लाकर उसके टॉप को ऊपेर उठा दिया और उसका एक प्यारा सा मम्मा बाहर निकाल लिया और उसको अपने मुँह मे लेकर चुभलाने लगी. प्राची के शरीर मे सर से पाँव तक एक तेज़ करेंट की लेहायर दौड़ गयी और उसके मुँह से एक ज़ोर की सिसकारी निकली और वो बोली दीदी ये क्या हो रहा है मुझे मैं से नही पा रही हूँ. मैने अपना मुँह उसके माममे से हटा लिया और पूचछा के अगर तुम्हे अच्छा नही लग रहा तो रुक जाती हूँ? वो बोली की नही दीदी बहुत अच्छा लग रहा है आप करती रहो. 

मैने अपना मुँह दुबारा उसके मम्मे पर रख दिया और उसको पूरा अपने मुँह मे भर के चूसने लगी. प्राची की साँसें बहुत तेज़ हो गयीं. तुम भी तो मुझे ऐसे ही प्यार करो ना, मैने उसको कहा तो प्राची ने अपना एक हाथ मेरी जांघों पर रख दिया और दूसरा हाथ मेरे एक मम्मे पर और मुझे प्यार से सहलाने लगी. प्राची बोली कि हाए दीदी बहुत मज़ा आ रहा है. मैने उसको पूछा की प्यार करने मे ज़्यादा मज़ा आ रहा है या करवाने मे. प्राची ने कहा के दोनो मे ही आ रहा है. फिर मैने उसका टॉप पूरा उतार दिया और अपनी नाइटी उतार कर पूरी नंगी हो गयी. प्राची मुझे देखती ही रह गयी और बोली की दीदी आप भी बहुत सुंदर हो और आपके बूब्स तो बहुत प्यारे हैं और इतने बड़े हैं और इतने टाइट हैं. मैने उसे कहा कि तुम भी जब मेरी उमर की हो जाओगी प्राची तो तुम्हारे बूब्स भी बड़े हो जाएँगे और इनका ख्याल रखोगी तो टाइट भी रहेंगे. 

फिर मैने उसको लीप किस करना शुरू किया तो वो एकदम चिपक गयी मुझसे और वापिस किस करने लगी. मैने उसका बर्म्यूडा भी खोल कर उतार दिया और उसकी लाइट पिंक कलर की पॅंटी भी उतार दी. अब हम दोनो बिल्कुल नंगी एक दूजे से चिपकी हुई थीं. मैने अपनी एक टाँग उठाकर प्राची की टाँगों के बीच मे डाल दी और रगड़ने लगी. एक हाथ से उसकी गोल गांद को सहलाते हुए और कभी दबाए हुए उसको चूमती रही. फिर मैने अपना हाथ आगे लाकर उसकी कुँवारी बिना बालों की मुलायम चूत पर रख दिया जो पूरी तरह से गीली हो चुकी थी. मैने अपनी एक उंगली उसकी चूत की लकीर पर फिराई तो वो काँप कर मुझसे चिपक गयी. मेरी उंगली उसकी गांद के छेद से होती हुई उसके भज्नासे को छ्छू गयी. वो तड़प उठी. मैने कहा की देखो प्राची सबसे ज़्यादा मज़ा तो तुम्हे तब आएगा जब तुम्हारी इस चूत मे किसी मर्द का कड़क लंड घुसेगा. 

प्राची बोली कि दीदी मैने तो सुना है की बहुत दर्द होता है जब इसमे वो घुसता है. मैने उसको पूछा के वो क्या? प्राची शर्मा कर बहुत धीमी आवाज़ मे बोली की वही जो आप अभी कह रही थीं, लंड. मैं हंस दी और उसको बोली कि मेरी गुड़िया पहली बार जब लंड किसी की चूत मे घुसता है तो उसकी कुंआरा झिल्ली फॅट जाती है और उसकी वजह से दर्द होता है जो हर लड़की को पहली चुदाई मे सहना पड़ता है. ये दर्द एक बार ही होता है और थोड़ी देर के लिए ही होता है. मज़ा तो उसके बाद मे ही आता है और इतना मज़ा आता है की उसके आयेज सारे मज़े बेकार लगने लगते हैं. 

फिर मैने प्राची की दोनो टाँगें खोल दीं और अपने मुँह उसकी चूत पर चिपका दिया. वो चौंक कर बोली ये क्या कर रही हो दीदी? तो मैने कहा के तुम्हारी चूत को चाटने लगी हूँ. वो हैरान होकर बोली कि ऐसे भी करते हैं क्या? मैने कहा के हां तुम देखना कितना मज़ा आएगा तुम्हे और मैने अपनी जीभ उसकी चूत की लकीर पर फिरानी शुरू कर दी. मेरी जीभ जब उसके भज्नासे पर पहुँची तो प्राची ज़ोर से काँप उठी. थोड़ी देर के बाद ही उसने कहा के छोड़ दो दीदी मेरा पेशाब निकलने वाला है. मैने हंस कर कहा कि नही पेशाब नही तुम्हारा पानी निकलने वाला है जो मज़े की चरम सीमा पर निकलता है. 

मैने तेज़ी से अपनी जीभ उसकी चूत मे चलानी शुरू कर दी और वो थोड़ी देर मे ही आ……………आ…………….ह, ओ………………ह करती हुई झाड़ गयी. उसका शरीर अकड़ गया और वो हाँफने लगी.फिर मैने प्राची को अपनी बाहों मे कस्स लिया और पूछा कि कैसा लगा मेरी गुड़िया को मेरा प्यार करना. वो शर्मा कर बोली कि दीदी बहुत मज़ा आया, मुझे नही पता था कि इतना मज़ा भी आता है. मैने कहा कि प्राची ये तो कुच्छ भी नही है सिर्फ़ ऊपेरी मज़ा है असली मज़ा तो तुम्हे तब आएगा जब तुम्हारी चूत मे लंड घुसेगा और तुम्हे चोद कर मज़े की चरम सीमा पार कराएगा. प्राची बोली के पता नही वो कब होगा? 

मैने कहा के प्राची वो जब भी तुम चाहोगी हो सकता है और अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हारी मदद कर सकती हूँ. तुम मेरी दोस्त हो और दोस्त ही दोस्त के काम आते हैं. फिर आज जो कुच्छ हुआ है उसके बाद तो हमारी दोस्ती और भी पक्की हो गयी है, है ना? उसने कहा कि वो तो हो गयी है और बहुत ही पक्की हो गयी है पर ………. मैने उसकी बात को काट दिया और कहा कि वो तुम मुझ पर छोड़ दो अगर तुम्हे मुझ पर विश्वास है तो. प्राची बोली की दीदी आप के ऊपेर तो मुझे अपने से भी ज़्यादा विश्वास है. 

फिर तनवी ने मुझे कहा के राज तुम अगर चाहो तो कल ही प्राची की कुँवारी चूत का उद्घाटन कर सकते हो. मैने उसे कल भी बुलाया है और वो आ रही है कल दोपहर को 3-4 घंटे के लिए. मेरा लंड अकड़ चुका था उसकी बातें सुनकर. मैने तनवी से कहा कि कल की कल देखेंगे तुम तो पहले आज की बात करो. मैने उसका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया और वो मुस्कुरा कर बोली कि वाह राज तुम तो एवर रेडी रहते हो. मैने उसे खींच कर अपने साथ सटा लिया और फिर उसे लेकर बेडरूम मे आ गया. तनवी भी उत्तेजित थी, उसने प्राची को तो चरमा सुख प्रदान कर दिया था पर खुद वंचित रह गयी थी. फिर हम दोनो ने जमकर चुदाई का आनंद लिया. खाने के बाद भी चुदाई का एक और दौर चला और हम दोनो नंगे ही सो गये एक दूजे से चिपक कर. 

क्रमशः...... 
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