RE: Hindi Sex Story बदले की आग
बदले की आग (भाग - 7)
मैने फिर से कॅमरा बिस्तर पर फोकस किया और उसे चालू कर दिया. 30 मिनिट बाद वह रसोई का काम ख़तम कर के कम'रे मैं आई और मेरे पास लेट गयी. मैने उसे फ़ौरन बाँहों में ले लिया और उस'के होंठों पर चुंबनों की बरसात शुरू कर डी. फिर उस'के गले को चूम'ते हुए मैं उस'की चूचियों को चूस'ने लगा वह अब सिसक रही थी..
आह विशाल. चूस लो इन्हें, दीदी के स्तनों की तरह इन मैं से भी दूध निकाल दो. चूस लो इन्हें, चूसो. आ डााआबाऊ मेरे मॅमन को. आह बहुत मज़ा मिल रहा है.. फिर मैं उस'की चूत की तरफ बढ और मैने आप'ने दोनों हाथों से उस'की चूत के होठों को खोला. वाउ! क्या गुलाबी रंगत की चूत थी, साली की, मुझ से रहा नहीं गया. मैने उस'के भगोष्ट पर काट लिया.. वह चिल्ला पऱी.
विशाल क्या कर रहे हो, दर्द होता है. मैने फिर उस'के भगोष्ट पर जीभ फेरी अब उस'ने सिस'कारी ली.
आह... क्या मज़ा है? विशाल. अब हम 69 में आ गये. मैं मधु के मुख में लंड पेले ऊपर था और उस'की चूत में मैने आप'ना मुख डाल रखा था.
चूस इस मस्ताने लंड को.. चूसो. . मैने जीभ उस'की चूत में डाल दी. उस'ने एक ज़ोरदार सिस'कारी भारी.
ऊह.. विशाल मैं पागल हो जवँगी. हहााआ... और कुच्छेक मिनिट बाद ही उस'की चूत रस से भर'ने लगी. छूट से एक सौंधी महक फूट पऱी.
विशाल मैं झऱ रही हून. हा.... और मैने उस'का सारा चूत का राज पी लिया.. क्या नमकीन चूत का राज था. मज़ा आ गया. फिर मैने आप'ना लंड उस'के मूँ'ह में गहरा दे दिया. वह किसी कइत्तिया की तरह उसे चाट रही थी. साली छूसा बहुत अच्च्छा करती थी. अपनी बऱी बहन से भी अच्च्छा. जब मेरा लंड पूरी तरह टन गया तो मैने उसे कहा की,
अब फिर से तेरी चुदाई होनी है.. लेट जा और अपनी टाँगों को खोल दो, उस'ने वैसे ही किया. मैं उस'की टाँगों के बीच मैं आ गया. अपना लंड उस'की चूत पर रखा और धक्का लगाया मेरा लंड आधा उस'की चूत में चला गया. फिर दूसरे धक्के से पूरा लंड उस'की चूत में चला गया क्योंकि उस'की चूत उसी के माल से भारी हुई थी. रास्ता चिकना था. ळौऱे को अंदर जेया'ने मैं कोई दिकाट नहीं हुई. वह कामुक सिस'कारी ले रही थी. अभी 5 मिनिट ही हुआ था उसे चोद'ते हुए के फोन की घन्टी बाज उठि. मैने साइड तबले से फोन उठाय और हेलो कहा ही था की दूसरी तरफ से कामिनी बोली,
हेलो विशाल डार्लिंग क्या हाल हैं आप के. अभी भी जाग रहे हो. मेरा मुन्ना परेशान तो नहीं कर रहा ना. जब वापस अवँगी तो मुन्ने को खूब प्यार करूँगी और सारी कसर निकाल दूँगी. मैं कुच्छ डर गया की साली मधु'ने अगर नीचे से सिस'कारी ली तो उसे पता नहीं चल जाए. मैं जितनी जल्दी हो सके फोन बंद करना चाह'ता था लेकिन कामिनी तो मूड मैं थी, बोली,
विशाल तुम्हारे बगैर नींद नहीं आती. यार तुम भी चले आ'ते तो क्या मज़ा आता डियर. मैं तो यहाँ भी मज़े मैं हून. अब तुम्हें क्या बताओन. मैने साथ ही मधु को देखा उस'के होंठों पर मुस्कान थी. रात के वक़्त फोन की आवाज़ उसे भी सॉफ सुनाई पऱ रही थी.
अच्च्छा विशाल क्या कर रहे हो. उन्ह... मेरा मुन्ना, अरे वही जो तुम्हारे नीचे लटक रहा है, उस'की बऱी याद आ रही है.
कामिनी कुच्छ नहीं कर रहा यार. अभी शवर ले रहा था तब बात रूम के बेसिन की नाली बाँध हो गयी थी. वही खोल रहा था. अभी मैने डन्ड नाली मैं डाला ही था की तुम्हारा फोन आ गया. डंडे को नाली मैं ही छोऱ के तुम्हारा फोन अटेंड कर रहा हून. मेरा लंड अभी भी मधु की चूत में ही था. मैने मधु को आप'ने होंठों पर अंगुल रख के चुप रह'ने का इशारा किया पर मधु वैसे ही बहुत समझ'दार थी. वह बिल्कुल खामोश थी.
अच्च्छा आप का बहुत बहुत शुक्रिया की आप'ने डन्ड नाली में ही छोऱ के मेरा फोन अटेंड किया. यार नाली कीट'नी बऱी है वैसे शायद डन्ड बऱ है तभी नाली ठीक से सॉफ नहीं हो रही है आप'से.
तुम साली बीवियाँ जब डोर होती हो तो ऐसी ही बातें कर'ती हो. यह मैं नॉर्मल होने के लियेMअधु को भी सुना रहा था.
अच्च्छा एक चुम्मा दो ना विशाल मुझे नींद नहीं आ रही थी. तुम्हें तो पता है ना जब तक तुम्हारी बाँहों में ना जौन तो मुझे नींद नहीं आती. चलो एक चुम्मा दो फोन पर. मैने फोन मधु के गाल के पास रख ज़ोर ज़ोर के मधु के गाल के टीन चार चुममे लिए. इधर मेट्री साली के मैं असली चुममे ले रहा था और उधर मेरी बीवी आप'नी चूत में अंगुल पेले हुए समझ रही थी की मैं चुममे हवा में उच्छाल रहा हून. इस'के बाद कामिनी ने ही फोन बंद कर दिया. मैने मधु से कहा,
सालीजी सीख लो. जब अपने मियाँजी से डोर होगी तब ऐसी ही बातें कर'ना.
जीजू साली की चूत में जऱ तक लंड पेल रखा है अब और सीख'ना क्या बाकी रह गया. पूरी ट्रैनिंग तो दे डी है. बेचारे होने वाले मियाँजी को तो जूठी पट्तल मिलेगी. मधु की इस बात ने मुझे बदले की बात फिर से याद दिला डी. मैं सोच'ने लगा की मुझे भी तो जूठी पट्तल मिली है. जैसे जैसे मैं सोच रहा था वैसे वैसे मैं आवेश में पागल हो रहा था.
उस आवेश में मैने मधु की धुआँ धार चुदाई शुरू कर डी. आप'ने ही ख़यालों में मैं मधु को ताबऱ तोऱ चोद'ता रहा और चोद'ता रहा. मधु क्या कर रही है और क्या कह रही है इस'का मुझे ज़रा भी होश नहीं था. जब होश आया तो सुबह हो चुकी थी और मधु मुझे जगा रही थी.
जीजू उठो. रात में शायद आप'ने मुझे कामिनी दीदी समझ लिया था. मेरी तो आप'ने जान ही निकाल दी थी पर कामिनी के भाग खुल गये हैं और मुझे मेरी जान निकल'ने का ज़रा भी गम नहीं है. मैं फ़ौरन उठा. जब तक मैं तैयार होके बात रूम से आया तब तक मधु चाय नाश्ता के साथ मेरा इंत'ज़ार कर रही थी.
कुच्छ देर बाद रूचि भी आ गई. मैने सेफ से फिल्म निकाली और रूचि को दे दी. दोनों बहनें दरवाजा खोल के घर से बाहर जा चुकी थी. फिर दोनों मुऱी और दोनों मुस्क्राके मेरी और देखी और आगे निकल गई.
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