RE: Free Sex Kahani कौन सच्चा कौन झूठा
चंपा पानी की बाल्टी अंदर ले कर आई किचन मे रखी,दीपक ने चंपा को अपने पास
बुलाया
चंपा: कुछ चाहिए साहेब जी
दीपक: मा कैसी है
चंपा: अछी है साहेब जी,सब ठीक है आप चिंता ना करे
चंपा ने दीपक को घर मे हुई चोरी के बारे मे नही बताया
थोड़ी देर बाद चंदू खोली मे आया
चंदू: एक जगह खाली है ,यही पास मे है ,जो उसमे रहता था वो आज दुपहेर को
गाओं चला गया,पर अपना समान ले कर नही गया,तू बोले तो इसको वही ले चले
चंपा ने दीपक की तरफ देखा ,दीपक ने अपनी आँखें झपका के हामी भरी
चंपा: थोड़ी देर रुक जा ,अंधेरा होने दे फिर ले कर चलेंगे
चंदू: ठीक है मे रात को आउन्गा ,अभी मे चलता हू
चंपा: एक काम और कर ,वो सोनी के पति का रिक्शा ले कर आना साहेब जी को ले कर
जाने के लिए
चंदू: ठीक है
ये बोल के चंदू खोली से बाहर हुआ ,चंपा रात के खाना बनाने मे लग गयी
.....
मिस्टर.मयूर और उनकी बीवी वीना दोनो इंदु के पास बैठे थे ,इंदु की आँखों से
आँसू नही रुक रहे थे ,दोनो घर मे हुई चोरी के खबर सुन के आए थे.
मयूर: भाभी चोर अंदर आया कैसे.
इंदु: पता नही भाई साहब कोई लॉक भी टूटा नही था , और ना ही अलमारी को कोई
नुकसान हुआ था
मयूर: आपके घर की नौकरानी ही होगी , ऐसा काम तो वो बड़ी आसानी से कर सकती
है
इंदु: नही भाई साहब वो क्या करेगी ,हमारे घर
इंदु: हमारे घर मे ही पली बढ़ी है ,उसकी मा भी यही काम करती थी
वीना: हां मे जानती हू उन्हे वो ऐसा नही कर सकती,मेने देखा है उसे इस घर की
सेवा करते हुए उसकी मा भी यही काम करती थी ,राज ने ही उसकी मा के ऑपरेशन
के पैसे दिए थे
मयूर: तो फिर कौन होगा, चुप चाप आया और चोरी कर के चला गया
इंदु: लगता है मेने ही बहुत पाप किए है ,पहले राज और निशा चले गये और अब ये
हो गया ,अगर उस दिन राज की जगह मे होती तो अछा होता( ज़ोर ज़ोर से रोने
लगी)
वीना उठ के इंदु के पास आई
वीना: आप तो मेरी दीदी है ,अपनी छोटी बेहन के लिए मत रोइए ,अगर आप हिमत हार
गयी तो दीपक का क्या होगा ये तो सोचिए ,
ये बात सुन के इंदु ने अपने आप को संभाला.
वीना: दीदी मुझे पता है दीपक जैल से भाग चुका है ,और मैं ये कभी नही मान
सकती के एक बेटा अपने बाप और बेहन को मार सकता है,और वो बेटा जो उन्हे इतना
प्यार करता था
मयूर: आप दीपक से दुबारा मिली थी
इंदु: नही मिल पाई ,पोलीस हर वक्त घर के बाहर रहती हे ,अगर कही बाहर भी
जाती हू तो पीछा करते हैं,कैसे मिलती
दोनो थोड़ी देर वाहा रुके और फिर जाने के लिए उठे.
वीना: दीदी अगर आपको दीपक की कोई भी खबर मिले हमे बता दीजिएगा
इंदु: बता दूँगी
दोनो दरवाज़े की तरफ हुए और गाड़ी मे बैठ के वाहा से चले गये
बाहर खड़े पोलीस वाले ने गाड़ी का नंबर नोट कर लिया
......
चंपा काफ़ी देर से चंदू का इंतेज़ार कर रही थी , सामने घड़ी पर नज़र डाली
रात के 11:00 बज रहे थे,चंपा सोच रही थी के चंदू अभी तक आया क्यू नही
,दरवाज़े पर दस्तक हुई ,चंपा ने दरवाज़ा खोला सामने चंदू खड़ा था
चमाप: कहाँ था तू ,कितनी देर से मे तेरी राह देख रही हू ,तेरी मा से भी
पूछा पर तू घर पे कुछ बोल के नही गया
चंदू: अरे अपने दोस्तो के साथ था ,उन्होने आने नही दिया और जब सोनी के घर
पहुचा उसका पति नही था रिक्शे की चाबी उसके पास थी
चंपा: कमरे की चाबी लाया
चंदू: हां मेरी मा लाया हू ,जिस काम के लिए गया था वो तो करना था ,तू क्या
मुझे पागल समझती है
चंपा: चल आ अंदर आ ,खाना खाया तूने
चंदू: हां खा लिया ,चल अब इसे यहा से लेकर चले
दोनो ने दीपक को मिल के उठाया और बाहर रिक्शे मे डाल दिया
चंपा: तू चला मे इन्हे पकड़ के रखती हू ,आराम से चलना
थोड़ी देर बाद वो लोग उस कमरे के बाहर थे , दीपक को होश था ,उसको अब पहले
से अछा लग रहा था शाम को उसने खाना भी ठीक से खाया था
चंपा: यही है क्या
चंदू: हां चल उठाने मे मदद कर
चंपा: रुक जा पहले दरवाज़ा खोल दे
चंदू ने दरवाज़ा खोला और दोनो दीपक को खोली के अंदर ले गये ,सामने बिस्तर
पर दीपक को लिटा दिया
चंपा: चंदू ये खोली तो अपनी खोली से बड़ी है ,किसकी है ये
चंदू: ये अपने दोस्त के मालिक की है ,उनके वही काम करता है उन्होने ही उसकी
ईमानदारी का इनाम दिया उसे
चंपा: एक काम कर मेरी खोली मे जा ,वाहा बिस्तर के पास दवाइयाँ और मेरा समान
पड़ा है जा ले कर आ
चंदू: तू यही रुकेगी
चंपा: हां ख़याल तो रखना पड़ेगा कुछ दिन ,एक काम कर ये ले चाबी जब समान ले
कर आना खोली को ताला मार देना ध्यान से जा अब और जल्दी आना
चंदू खोली से बाहर हुआ
चंपा दीपक के पास गयी
चंपा: साहेब जी अब ये जगह ठीक है
दीपक ने अपनी आँखें झपकाते हुए हामी भरी
दीपक: मे तुम्हे त क्लिफ दे रहा हू ,इतना तो कोई किसी के लिए नही करता चंपा
जो तुमने मेरे लिए किया है
चंपा: साहेब जी आप ऐसा ना बोले , मैं छोटे घर की हू आप की सेवा करना मेरा
धर्म है
दीपक: चंपा जो तुमने किया है ,शायद ही मेरे लिए कोई करता , मेरे पास आओ
चंपा दीपक के पास गयी ,दीपक ने चंपा के चेहरे को पकड़ा और माथे को चूम लिया
चंपा के चेहरे पे खुशी थी ,और हैरानी भी
|