RE: Mastram Kahani मेरी बेकाबू जवानी
डेट 19-जून-2000. मेने जब नाहके अपना कॉलेज ड्रेस पहना मेने बड़े प्यार से राज अंकल का दिल अपने दिल के पास रख के कॉलेज जाने के लिए घर से निकल गयी. नीचे राज अंकल मेरा इंतेजार कर रहे थे. उन्होने 10 मिनट तक मेरे होंठो चूमा और उनके दिल को भी चूमा और कहा “ जया आज कॉलेज से रिसेस के टाइम पे ही सीधे मेरे घर आ जाना , मे तुम्हारा इंतेजार करूँगा”. मे हल्की सी स्माइल दे के कॉलेज चली गयी. मे रिसेस आते ही कॉलेज से राज अंकल के घर चली गयी. अंकल ने मुझे अंदर आते ही मेरी कॉलेज बेग और छाता बाजू मे रख के मुझे अपनी और खिचाते हुए अपने दोनो हाथ मेरे स्तन के बाजू मे से लेके मेरी पीठ पर रख दिया और मेरे दोनो हाथ उनकी गर्दन पे रख दिए और मेरे होंठो को चूमने लगे. 10 मिनट के बाद उन्होने मुझे छोड़ दिया और अपनी बाहो मे उठा के किचन मे ले जाके मुझे अपनी दोनो जाँघो के बीच मे बैठा के जूस पिलाने लगे, आज एक ही ग्लास मे जूस था, पहले अंकल ने मुझे जूस पिलाया और फिर मेने अंकल को. फिर अंकल मेरे होंठो पे लगे हुए जूस को चाटने लगे मुझे बहुत अच्छा लग रहा था. उन्होने कहा “ जया अब तुम मेरे होंठो पे लगे जूस को अपने होंठो से चाट के साफ कर दो “ में उनके होंठो पे लगे जूसे को अपने होंठो से साफ करने लगी. होंठो को साफ करते समय में अंकल के उपर के होठ को मेरे दोनो होंठो के बीच मे रख के चूस रही थी कि अचानक मेरी जीभ ने अंकल के होठ को छू लिया, मेरे पूरे जिस्म मे रोज्ञटे खड़े हो गये ओर मे शरम से लाल हो गयी, मेने अंकल के नीचे वाले होठ को भी अंपनी जीभ से चाट के साफ कर दिया. राज अंकल बहुत खुस हो गये थे मेरे इस बर्ताव से. फिर उन्होने मेरे दोनो होंठो को बारी बारी चूमा और मुझे आज़ाद कर दिया. में टेबल पे रखे ग्लास को लेके धोने चली गयी. राज अंकल मेरे पीछे आ गये और मुझे पीछे से पकड़ लिया और अपना हाथ मेरे हाथ मे डालके दोनो ग्लास को धोने लगे. राज अंकल बोले “ जया तुम वाकई ही एक समझदार लड़की हो, तुम्हे घर के सारे काम आते है, और तुमने आज मेरे इस अकेले वीरान घर को अपना बना लिया है, आज से इस घर की हर चीज़ पर तुम्हारा अधिकार है, तुम जो चाहे वो इस घर मे कर सकती हो.” मेने अंकल से कहा “ आपका बहुत बहुत सुक्रिया के आपने मुझे आपना ही समझा वरना इस पूरी सोसाइटी मे मेरे साथ दोस्ती करने वाला कोई नही है, सो आज से हम एक बेस्ट फ्रेंड की तरह ही रहेंगे, लेकिन ये तो तब तक चलेगा जब तक कॉलेज से जल्दी छुट्टी मिल रही है उसके बाद क्या?” अंकल ने कहा “ तुम उसकी फिकर मत करो कॉलेज समय पे चालू बंद हो उसमे 15 दिन लग जाएँगे, सो तब तक तो तुम हर रोज़ रिसेस मे मेरे यानी कि अपने ही घर चली आना, आज से मे तुम्हे इस घर का हिस्सा बनाते हुए ये घर की चावी तुम्हे सोपता हू, तुम अपनी मम्मी से नज़र बचाते हुए यहा पर कभी आ जा सकती हो.” मैने बहुत खुस हो के कहा “ इस चावी से आपके घर मे कभी आ जा सकती हू जब आप घर पर ना हो तब भी, मे दोपहर को आ सकूँगी क्यूंकी मम्मी सो जाती है, लेकिन आप नही होते हो दोपहर को” उन्होने कहा “ कोई बात नही तुम अंदर आके जो करना चाहे वो करके चली जाना और एक काग़ज़ मे लिख देना के तुमने क्या किया है और मे उसे देख सकु और तुम्हे इनाम भी दे सकु.” फिर उन्होने मुझे अपनी बाहो मे उठाया और आगे हॉल मे जाके एक पुतले के पास खड़ा कर दिया. वो पुतला एक लड़की का था जो अपने दोनो हाथ उपर करके और एक पाव थोड़ा सा टेढ़ा करके खड़ी हुई थी, उसने उप्पेर एक चोली पहनी हुई थी और नीचे घोते दार लहनगा पहना हुवा था. राज अंकल ने कहा “ जया तुम्हारा जिस्म ऐसा होना चाहिए की मे तुम्हे जो भी पहनने को बोलू तुम उसमे सही तरीके से आ जाओ, इसके लिए तुम्हे मे कुछ आसन सीखा ता हू जिसे तुम रोज अपने खाली समय पे कर सकती हो या फिर सुबह जल्दी उठ के कर सकती हो” मेने कहा “ अंकल क्या आप रोज आसन करते हो “ उन्होने कहा “ हा मे रोज सुबह 5 बजे उठ के आसन करता हू” मेने कहा “ तो अंकल मे भी आपके साथ ही कल सुबह से आ जाउन्गी, क्यूंकी मम्मी तो 7 बजे और पापा 8 बजे सुबह उठ ते है, तो अगर मे 5 बजे आपके पास आ जाउ और 6 बजे वापिस चली जाउ तो उन्हे पता भी नही चलेगा और मेरा जिस्म भी एक दम अच्छा रहेगा.” राज अंकल बोले “ वेरी गुड आइडिया बेटी, मुझे तुम पे बहुत नाज़ है के तुम एक अच्छी औरत बन ने जा रही हो” ऐसा कहते ही उन्होने मुझे सिर, गालो, होंठो और गर्दन पर चूम लिया. फिर उन्होने मुझे उस पुतले के जैसे खड़े रहने को बोला. मे अपने दोनो हाथो को उपर करके और पाव को थोड़ा सा टेढ़ा करके खड़ी रही. राज अंकल मुझे देखते रहे गये और बोले “ जया तुम्हे बस थोड़ी सी कसरत की ज़रूरत है”. अंकल मेरे पीछे आते हुए मेरी कमर पर हाथ रख के धीरे धीरे उपर की ओर आने लगे और मेरे सतन को हल्का सा छूते हुए मेरे हाथो के पीछे अपने हाथ रख दिए और पाव को मेरी तरह ही करके मेरे साथ उसी पुतले की तरह खड़े हो गये. इस से मेरा पूरा पीछे का बदन उनसे लग रहा था और मेरे बाल जो मेरे पीछे थे अंकल ने उन्हे पकड़ ते हुए उनके पीछे रख दिए ताकि उनकी खुली छाती अब मेरी पीठ से लगा सके. वैसे ही थोड़ी देर खड़े रहने के बाद उन्होने मेरे हाथो को नीचे करने के बाद वो मेरी खुली गर्दन पे पीछे से चूमने लगे और उनकी भारी साँसे मुझे गरम कर रही थी और मेने भी अंकल को सहयता देते हुए मेरा जिस्म और थोड़ा पीछे करके उनके जिस्म से लड़ा दिया. फिर अंकल ने मुझे थोड़ा सा कमर पे हाथ रख के आगे की और झुका दिया, मेरे बाल जोकि अंकल की पीठ पे थे वो मेरे सिर से उपर आके मेरे पैरो तक पहुच गये. अंकल पीछे से काफ़ी ज़ोर से दबाते हुए मुझे मेरी गर्दन और पीठ पे चूम रहे थे. इस बार मेने महसूस किया के अंकल का पेट के नीचे का भाग मेरे पेट के नीचे के भाग लगा हुआ था. फिर कल की ही तरह अंकल के सारे जिस्म मे पसीना आने लगा और इस बार मेने ही बड़े रुमाल से उन्हे साफ कर दिया. ये मेरा अधिकार था इस घर के लिए सो मेने उसे कर दिया. अंकल बोले “ जया अब तुम जाओ और सुबह ठीक 5 बजे आ जाना.” मेने कहा “ ठीक है अंकल” और अपना कॉलेज बेग और छाता लेके जाने लगी. तभी अंकल ने आवाज़ लगाई “ जया थोड़ा सा रूको आज का तुम्हारा इनाम बाकी है.“ फिर अंकल ने अपने कमरे मे जाके एक बंद बॉक्स, जोकि उपर से सिल्वर पेपर से ढका हुवा था मुझे दिया और कहा “ जया उसमे जो है वो तुम सुबह ही खोलना और अपने साथ लेके आना.” मेने कहा “ जी अंकल” और एक चुंबन उनके होंठो पे देके अपने घर चली गयी. मैं अपना सारा काम ख़तम करके और 4:30 बजे का अलाराम. रख के सो गयी.
क्रमशः........
|