RE: Mastram Kahani मेरी बेकाबू जवानी
मेरी बेकाबू जवानी--10
गतान्क से आगे......
पति जी ने मेरे उपर लेटे हुए थे और उन्होने कहा “ जया इसे कहते असली जिस्म की प्यास, तुम अभी छोटी हो इस लिए तुम्हारी जिस्म की प्यास कम है और मेरी ज़्यादा”. मेने कहा “ पति जी मैं आपकी हू और आप अपनी जिस्म की प्यास को बुझाने के लिए मेरे साथ कुछ भी कर सकते हो. आपने ठीक कहा के मैं छोटी हू इसलिए मेने आपके साथ शादी की और मैं भी अपनी जिस्म की प्यास को बढ़ा स्कू और आपका साथ हमेशा दे सकु”. इतना कहते ही वो मेरे उपर हो गये और लंड को चूत मे डाल के मुझे ज़ोर से चोद ने लगे. इस बार मेरे हाथ खुले थे इसलिए मेने पति जी के जिस्म को अपने हाथो से खूब नोचा, उधर पति जी ने भी कोई कसर नही रखी मेरे जिस्म को दबोच ने की. करीब आधे घंटे के बाद हम दोनो साथ मे झाड़ गये और सो गये.
सुबह के 5 बजे का अलार्म बजा और हम दोनो उठ गये पति जी ने बेड से उतर के मुझे अपने पास खिच लिया और अपने हाथो मे उठा के मुझे बाथरूम मे ले जाके नहला दिया और मेरे जिस्म को रुमाल से पोछ भी दिया. उनके इस बर्ताव से मैं काफ़ी खुस थी, क्यूंकी मेरी इतनी देख भाल अब तक किसी ने नही की थी. फिर मेने अपनी रज़ाई ओढ़ ली और पति जी के पैरो को छू के अपने मयके चली आई. मैं घर मे जाके थोड़ी देर के लिए सो गयी और 7 बजे मम्मी ने जगा दिया और मैने फ्रेश हो कर अपना कॉलेज ड्रेस पहना. मेने कॉलेज ड्रेस मे अपना मगल्सुत्र कोई देख ना इस तरह से छुपा लिया और बेग लेके कॉलेज की लिए घर से निकल ने को चल पड़ी. तभी मम्मी ने आवाज़ लगाई कि “ जया तुम्हारा नाश्ता लेके जाओ”. मेने कहा “ जी मम्मी आई”. में अपना नाश्ता बेग मे रख रही थी और मम्मी ने कहा “ जया बेटा अब तो मैं भी दोपाहर को घर मे नही रहूंगी तो तुम राज जी के यहा चली जाना और शाम को मैं जब वापस आउ तो तुम्हे आवाज़ लगा दूँगी, क्यूंकी बेटी अगर तुम घर पर अकेली रहो गी तो तुम बोर हो जाओगी, इसलिए तुम कॉलेज से आते ही राज जी के घर पे चली जाना और उनके घर के सारे काम अच्छे से करना और उन्हे सीकायत का एक भी मोका मत देना, मेरी प्यारी बिटिया रानी”.
मैं मम्मी के पैर छू कर कॉलेज जाने के लिए घर से बाहर सीढ़िया उतर ने लगी और अपने पति जी के घर मे चली गयी. मेने देखा कि आगे के हॉल मे कोई नही था और मैं आगे चलके किचन मे चली गयी. वाहा मेने पति जी को नाश्ता बनाते हुए देखा और सीधे उनकी पीठ मे से हाथ निकाल के उन्हे पीछे से ज़ोर से पकड़ लिया, मेरे स्तन उनके पीठ लग गये और मेने कहा “ पति जी आप कितने अच्छे है, आप मेरे लिए नाश्ता बना रहे हो”, मेरे लिए इतना कुछ करते हुए देख मेरी आखो मे पानी आ गया. पति जी ने महसूस किया के मैं रो रही हू इसलिए तुरंत मुझे अपनी बाहो मे भरते हुए अपने दोनो हाथो को मेरे सिर पे रख के मुझे एक छोटी बच्ची की तरह शांत करने लगे. उन्होने मुझे चूमा और कहा “ जया मेरी रानी रोते नही, ये तो मेरा फर्ज़ है, तुम्हारी हर तरह से मदद करना, क्यूंकी तुम मेरी ख़ुसी और जिस्म की प्यास को बुझाने के लिए बहुत दर्द सहती हो, इसलिए मुझे जब भी तुम्हारी सेवा करने का मोका मिलेगा मैं उसे ज़रूर निभाउँगा”. फिर उन्होने मुझे नाश्ते का बॉक्स दिया और मेरी बेग मे जो मम्मी का बनाया नाश्ता था वो ले लिया और मुझे से कहा “ जया आज से तुम सिर्फ़ मेरा बनाया हुवा नाश्ता लेके जावोंगी और कॉलेज से आते मेरे हाथ का बनाया हुवा लंच ही करोंगी, ये मेरा आदेश है”. मेने सिर को झुकाते हुए कहा “ जी पति जी, मैं आजसे आपका बनाया हुवा नाश्ता और लंच करूँगी”. मेने उनके पैर छुए और कॉलेज जाने के लिए चल पड़ी.
मेने कॉलेज मे रिसेस के पहले सारे क्लास अटेंड किए और रिसेस मे अकेली ही नाश्ता करती हू इसलिए अकेले अपने नाश्ता के बॉक्स को खोला. मेने देखा कि उसमे पराठे थे और भिंडी की सब्जी थी, नाश्ता के हर नीवाले को खाते वक़्त मुझे सिर्फ़ अपने पति जी याद आती थी, उनका नंगा जिस्म मुझे दिख रहा था, उनका मुझे प्यार करना और दर्द देना मुझे याद रहा था. मेने नाश्ते को ख़तम किया और सीधे प्रिन्सिपल के पास जाके तबीयत ठीक ना होने का बहाना बना के घर जाने के लिए छुट्टी ले ली.
मैं कॉलेज से सीधे ससुराल वाले घर पे चली गयी. मेने चावी से घर को खोला और अंदर जाके पति जी को ढूँढ ने लगी. मेने देखा कि वो आसन वाले रूम मे थे. पति जी पूरे नंगे थे और उठक बैठक कर रहे थे. जैसे ही उन्होने मुझे देखा वो मेरी और दौड़ के आ गये, मैं एक दम से चॉक उठी कि इतनी बड़ी उमर मे भी वो कितने हेल्ती है.फिर उन्होने मुझे गोद मे उठा के चूमा और लाल आसन पे लिटा दिया, वो खड़े रहे और मुझे गोर से देख ने लगे. फिर वो मेरे पैरो के पास आ कर घुटनो के बल बैठ गये और मेरे लेफ्ट पैर को हाथो मे लेके उसे चूमने और चाट ने लगे, मुझे बहुत गुदगुदी हो रही थी और एक हल्का सा नशा भी छा रहा था. फिर उन्होने दूसरे पैर को भी इसे तरह से चूमा और चाता और फिर धीरे धीरे मेरे पैरो से आगे बढ़ते हुए मेरे घुटनो को चूमा और फिर मेरी जाँघो के पास आके रुक गये. मेरी ज़िंदगी मे ये पहली बार हुवा था कि किसी ने मेरे पैरो को चूमा, मैं काफ़ी खुस थी और एक नये जीवन की शुरुआत मे मेरा इतना आदर होगा ये कभी सोचा ना था.
फिर पति जी ने मेरी जाँघो को चूमना सुरू किया और चूमते चूमते वो मेरी चूत के पास आ गये. मेरी चूत के आगे वाले भाग को खोलके उसमे अपनी जीभ डाल ने लगे और दोनो हाथो से मेरी कमर पकड़ ली, उस से मेरी चूत मे उनकी जीभ और भी अंदर तक जाने लगी. मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं किसी ठंडी सैर पर निकली हू, क्यूंकी मेरी चूत मे पति जी की जीभ का थूक अंदर जाने से ठंड मिल रही थी और वो मेरी चूत की आग को ठंडा कर रहा था. थोड़ी देर ऐसा चल ने के बाद वो खड़े हो गये और मेरी बाजू मे आके सो गये.
मेरी बाजू मे आके सो ते ही उन्होने मुझे अपने जिस्म के उपर ले लिया. मेरे पैर पति जी के पैरो के उपर थे और मेरा सिर उनकी छाती मे छुपा हुवा था और मेरे स्तन पति जी के पेट के पास थे और पति जी का लंड मेरे पेट के पास था. पति जी का लंड काफ़ी उभरा हुवा था और वो मेरे पेट की नाभि के छेद मे जाने के लिए उतावला हो रहा था. मैं ये सब महसूस करके काफ़ी खुस हो रही थी और मेरे जिस्म बिजली के झटके जैसे हल्के हल्के झटके लग रहे थे.
पति जी ने मेरे सिर के बालो से मुझे सहलाते हुए और ज़ोर से पकड़ के खिचते हुए मेरे चेहरे को उनके चेहरे के उपर ले लिया और मेरे होंठो को अपने होंठो से चूमने और काट ने लगे, मेने पति जी के जिस्म से गिर ना जाउ इस बजह से मेरे हाथो को उनकी गर्दन मे डाल दिया और उनके बालो को सहलाने लगी. जब भी वो मेरे होंठो को काट ते मैं उनके बालो को ज़ोर से पकड़ लेती और वो और ज़ोर से उत्तेजित होके मेरे होंठो को बहुत ज़ोर से काट ते थे.
पति जी ने मेरे होंठो को अपने दांतो से काट के उसका रस पी लिया.फिर उन्होने मुझे मेरे कंधो के बल पकड़ के अपनी कमर के उपर बैठ ने का इशारा किया. मैं उनकी कमर के उपर बैठ गयी और मेरे बाल जोकि मेरे सिर के उपर थे वो मेरे दोनो स्तन के उपर आ गये और मेरा चेहरा खुला हो गया, पति जी का लंड मेरी पीठ के पीछे मेरी गन्ड पे लग रहा था. मैं नज़र झुका के बैठी थी और मेरे हाथ पति जी की छाती के पास थे.
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