RE: Mastram Kahani मेरी बेकाबू जवानी
कुछ देर एक दूसरे को चूमने के बाद हम वाहा से आगे बढ़े और अपनी गाड़ी मे जाके बैठ गये. पति जी ने गाड़ी को सुरू किया और हम घर की ओर बढ़ ने लगे. गाड़ी मे हम दोनो नंगे ही थे. जैसे ही घर आया पति जी ने गाड़ी को पार्किंग एरिया मे रखा और नंगे ही बाहर निकल के मुझे गाड़ी से नंगा ही निकल ने का इशारा किया. मैं काफ़ी हिच कीचाहट महसूस कर रही थी, लेकिन पति जी ने मेरी एक ना सुनते हुए मेरे बालो मे हाथ डाल के मुझे बाहर खीच लिया. मैं अपने ही घर की पार्किंग मे नंगी घूम रही थी. पति जी ने मुझे गाड़ी के सहारे खड़ा किया और लंड को चूत मे डाल के चोदने लगे. उनका गुस्सा साफ नज़र आ रहा था, क्यूंकी वो मेरे पूरे जिस्म को जहा जगह मिली वाहा से नोच के दबाने लगे. उन्होने मेरे बालो, कमर, गर्दन और होठ का खुमबर बना दिया. आधे घंटे के बाद वो रुक गये और उपर चल ने का इशारा किया.
काफ़ी देर से चुद ने से मेरे पैरो और चूत मे बहुत दर्द हो रहा था और मैं ठीक से चल नही पा रही थी. ये देख पति जी ने मुझे अपनी गोद मे उठा लिया और उपर जाके बेडरूम मे सुला दिया. सुबह 6 बजे मुझे उठाया और में घर जाके फ्रेश होके कॉलेज जाने के लिए घर से निकल गयी. नीचे अपनी ससुराल मे जाते ही पति जी ने मुझे अपनी गोद मे उठा लिया और किचन मे ले जाके डिननिग टेबल पर बिठा दिया. उन्होने मेरे होंठो को चूमा और फिर मुझे टेबल पे लिटा दिया. मेरी टाँगो को फेलाते हुए और मेरे स्कर्ट के अंदर उन्होने अपना मुँह मेरी जाँघो के पास ले जाके उसे चूमने लगे, मेरी चड्डी को निकाल के फेक दिया और मेरी चूत मे अपनी जीभ घुमाने लगे. मेने तुरंत ही पानी छोड़ दिया और पति जी ने वो सारा पानी पी लिया. फिर मुझे टेबल के उपर बिठा के मुझे कहा “ जया आज से तुम चड्डी मत पहनना, क्यूंकी तुम्हारी चूत को ताजी हवा की ज़रूरत है”. मेने पति जी से नाश्ता लिया और उन्हे एक लंबी सी किस देके कॉलेज के लिए चल गयी.
मैं कॉलेज मे ठीक तरह से पढ़ नही पाई, क्यूंकी मेरी चूत मे बहुत जलन हो रही थी, इसलिए मेने प्रिन्सिपल से जाके घर जाने की छुट्टी ले ली और तुरंत पति जी के पास चल पड़ी. घर मे जाते ही मेने देखा की पति जी आसन वाले रूम मे है. जैसे ही मे अंदर गयी पति जी ने मुझे अपने सीने से लगा लिया और मेरे होंठो को चूमने ने लगे. पति जी एक हाथ मेरी चूत के पास ले गये और एक उंगली को मेरी चूत मे डाल दिया और उसे अंदर बाहर करने लगे. मैं भी इस वक़्त बहुत जोश मे थी और पति जी ने मुझे अपना लंड मेरे हाथो मे दे दिया और अपने एक हाथ से मेरे हाथ को पकड़ के लंड को आगे पीछे करने लगे. मैं मन ही मन सोच रही थी शायद यही मेरी असली ट्यूशन है पति जी के पास जिस्म की प्यास को बुझाने की. हम दोनो काफ़ी रोमांचित हो चुके थे और खड़े खड़े थक गये थे.
मुझे अपनी बाँहो मे उठा के पति जी अपने बेडरूम लेके गये और मेने हर रोज की तरह कविता जी से आशीर्वाद ले लिया. पति जी खुद बेड पे लेट गये और मुझे उनके उपर बैठ ने का इशारा किया. मैं पति जी के पेट पे जाके बैठ गयी और झुक के पति जी के होंठो को चूमने लगी. पति जी ने अपने हाथो को मेरे बालो मे डाल के मेरे बालो को चेहरे से हटाया और मेरे गालो को अपने कड़क हाथो से दबा दिया. फिर मुझे कमर मे हाथ डाल के, थोडा सा उठा के उनके लंड के उपर बैठा दिया. मे अपने पैरो को और अपनी कमर को थोड़ा सा आजू बाजू करके पति जी के लंड को अपनी चूत के पास रखा. मेरे अंदर इतनी हिम्मत नही थी कि मैं लंड को खुद अपनी चूत मे डालु. इसलिए पति जी ने मेरी चूत को खोलके अपने लंड के आगे वाले भाग के उपर मेरी चूत को रख दिया. मेने चूत, कमर और पैरो के बल ज़ोर लगा के लंड को मेरी चूत के अंदर जाने के लिए रास्ता बनाने की कोशिश की, मैं इसमे थोड़ा सा कामयाब हुई और मेरे मूह से एक हल्की सी सिसकारी निकल गयी. पति जी ये देख खुश हुए और उन्होने अपने कड़क हाथो को मेरी कमर पे रख के उसे लंड के उपर दबाया और धीरे धीरे मेरी कमर को उपर नीचे करके लंड को मेरी नाज़ुक सी चूत मे पूरा पूरा का डाल दिया.
लंड को अंदर तक डाल ने से पति जी के मुँह पे एक ख़ुसी सी च्छा गयी. पति जी मुझे बाजुओ से पकड़ के अपने मूह की ओर झुकाते हुए मेरे होंठो चूमने लगे. मेने अपने हाथ पति जी के सिर मे डाल दिए और उनके बालो से खेलने लगी. उधर पति जी की ओर झुकने से पति जी ने लंड चूत से बाहर ना निकल जाए इसलिए अपने पैरो को घुटनो से मोड़ दिया. पति जी के ऐसा करते ही उनकी जंघे मेरी गन्ड पे लगने लगी और लंड ने चूत मे थोड़ा और अंदर तक जगह बना ली. इधर होंठो पे किस चल रही थी और नीचे मेरी चूत मे लंड अंदर बाहर हो रहा था. मुझे बहुत ज़्यादा अच्छा लग रहा था, क्यूंकी मुझे कमर को उपर नीचे नही करना था और मेरे होंठो पे चल रहे पति जी के चुंबन से मुझे प्यास भी कम लग रही थी, क्यूंकी मे पति जी के थूक को पी लेती थी. यही पोने घंटे तक, बीच बीच मे रुक कर पति जी ने मेरा और उनका पानी निकाल दिया.
फिर करीब 5 बजे हम दोनो नींद से जागे और इस बार मे ही खुद पति जी के उपर चढ़ गयी और लंड को अपनी चूत के मूह के पास ले जाके रख दिया और पति जी ने बिना देरी करते हुए लंड और चूत का संगम कर दिया और हम दोनो ने चुदाई सुरू की. पहले की तरह इस बार भी पति जी ने मुझे किस करने के लिए अपने उपर झुका दिया. एक मोड़ पे पति जी ने लंड को धक्का देना बंद कर दिया और किस को रोक दिया. मैं कुछ समझ नही पाई, इसलिए पति जी ने कहा “ जया अब अपनी गान्ड को आगे पीछे करो और देखो के तुम्हे कितना मज़ा आता है”. मेने वैसे ही किया और मुझे सच मे मज़ा आने लगा. मैं ने रोमांचित होके पति जी के बालो को नोच दिया और उनके होंठो को काट भी दिया और गान्ड को तेज़ी से आगे पीछे करने लगी. हम दोनो ने साथ मे पानी छोड़ दिया. हम एक दूजे के जिस्म को लपेट के सोए हुए थे और पति जी मेरे स्तन पे अपनी छाती का दबाव दे रहे थे और उन्होने मुझसे पूछा “ जया रानी सच बताना मज़ा आ रहा है ना, तुम मेरा ऐसे ही साथ दे ती रहना, कविता के जाने के बाद मेरी ज़िंदगी मे बहुत समय के बाद ख़ुसी आई है, मैं इसे खोना नही चाहता, अगर तुम्हे कोई भी तकलीफ़ हो तो मुझे तुरंत बताना”. मेने पति जी से कहा “ पति जी वैसे तो कोई तकलीफ़ नही है, लेकिन आज भी लंड चूत मे जाता है तो मुझे बहुत दर्द होता है, आपने तो कहा था कि सिर्फ़ एक बार ही दर्द होगा आगे जाके मज़ा ही मज़ा है”. इस पर पति जी ने कहा “ ऐसा है तो हम किसी अच्छे डॉक्टर को दिखाएँगे और तुम चिंता मत करना कि कोई हमे पहचान लेगा, मुझे बहुत सारे डॉक्टर जानते है मैं उनसे इस बारे मे बात करूँगा, ठीक है मेरी गुड़िया रानी”. और एक हल्की सी किस करके हम अलग हुए और मैं अपने घर जाके खाना ख़ाके और होमवर्क करके सो गयी, आज की रात और कलके दिन की नयी सुबह पति जी के साथ गुजारने ने के लिए.
क्रमशः........
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