Rishton Mai Chudai खानदानी चुदाई का सिलसिला
09-03-2018, 09:16 PM,
RE: Rishton Mai Chudai खानदानी चुदाई का सिलसिला
कम्मो के कमरे से जाते ही बाबूजी ने सरला को एसएमएस किया की वो अपनी सेक्सी ड्रेस में ड्रॉयिंग रूम में आके बैठ जाए और कोई पेपर वागरह पड़ने का नाटक करे. चूँकि सरला को पूरी बातें नही पता थी तो वो एक नए रोमांच को महसूस कर रही थी. उसे बस एक बात का यकीन था कि बाबूजी का शानदार लोड्‍ा और उनका तेज़ दिमाग़ आज कोई करामात दिखाने वाले हैं. ये सब सोच के ही उसकी चूत पिघली हुई थी. और 2 - 3 मिनट में सरला मादक अंदाज़ से चलते हुए एक सेक्सी सी नीली साड़ी और बॅकलेस ब्लाउस में ड्रॉयिंग रूम में आ गई.



कुच्छ ही देर में बाबूजी भी एक बढ़िया सी शॉर्ट्स और टी शर्ट पहने बाहर आ गए. बाबूजी जैसे ही रूम में एंटर हुए उनकी आँखें सरला को देख के फटी की फटी रह गई. सरला इतनी खूबसूरत और सेक्सी लग रही थी कि पुछो नही. उपर से उसने बढ़िया सा मेकप किया हुआ था. बाबूजी का लंड शॉर्ट्स में हिचकोले लेने लगा. सरला ने हाइ हील्स के सॅंडल्ज़ भी पहने हुए थे. इससे पहले कि वो कुच्छ कहते सरला उनके रिक्षन को देख के मुस्कुरा पड़ी और खिलखिला के हंस दी. बाबूजी ने चोर निगाह से दरवाज़े की तरफ देखा तो कम्मो भी वहाँ खड़े खड़े अपने मूह पे हाथ रखे हुए थी. वो भी सरला को देख के एग्ज़ाइटेड हुई पड़ी थी. कम्मो का सिर्फ़ चेहरा नज़र आ रहा था. 

बाबूजी ने फटाफट से अपना दिमाग़ चलाया और आगे की भूमिका बाँधी. इससे पहले की सरला कुच्छ कहती उन्हे सब बातों को संभालना था. उन्हे उमीद नही थी कि कम्मो इतनी उतावली होके पहले ही आके खड़ी हो जाएगी.

''अर्रे वाह सम्धन जी आप तो बड़ा सज धज के तैयार बैठी हैं.....कहीं बाहर जाने का इरादा है क्या.........बच्चे तो चले गए...पर आपने कहा नही कि आप भी बाहर जाना चाहती हैं......नही तो मैं राजू को कह देता.....'' ये कहते हुए बाबूजी दूसरे सोफे पे आके बैठ गए और उन्होने सरला को आँख मारी. सरला उनकी पूरी बात समझ नही पाई पर उसे लगा की शायद बाबूजी उसके साथ बातों का खेल खेलना चाहते हैं....

''अर्रे नही समधी जी....वो तो मैं बस ऐसे ही तैयार हो गई......मैने बाहर नही जाना ........मुझे लगा कि क्यों ना आपकी वीरान ज़िंदगी में कुच्छ उजाला किया जाए....हे हे हे......आख़िर कार आप भी तो ........'' कहते हुए सरला रुक गई. अचानक से इस तरीके का खेल खेलने में उसे मज़ा आ रहा था.

''अच्छा सम्धन जी...आपको कैसे पता कि मेरी ज़िंदगी वीरान है और उसको उजाले की ज़रूरत है......भरा पूरा परिवार है....सब लोग हैं ...समाज में दोस्त यार सभी तो हैं......तो फिर आपको क्यों लगा ऐसा...???'' बाबूजी ने थोड़ी उँची आवाज़ में कहा जैसे कि वो कम्मो को सुना रहे हों. उनकी उँची आवाज़ से सरला समझ गई कि दाल में कुच्छ काला है. पर उसको तो गेम खेलना था.

''अरे समधी जी परिवार से ज़िंदगी में खुशी आती है पर बेडरूम में उजाला नही.....बिस्तर का उजाला तो एक पत्नी ही दे सकती है या फिर एक....प्रेमिका....समझ रहे है ना आप.......'' सरला ने भी थोड़े उँचे स्वर में जवाब दिया.

''ह्म्म्म्म ........तो फिर ये बताने का कष्ट कीजिए कि आप हमारे लिए ऐसे उजाला क्यों कर रही हैं.......??'' बाबूजी ने जानभूज के अंजान बनते हुए कहा..

''समधी जी आप या तो अनाड़ी हैं या बहुत चालाक..........'' सरला सीट से उठ के खड़ी हो गई और उनकी तरफ बढ़ गई.

''ना तो मैं अनाड़ी हूँ और ना ही चालाक.....मैं सॉफ बात करने में विश्वास रखता हूँ.......इतना तो समझ आ गया कि आप मेरे लिए तैयार हुई हैं....पर समधी सम्धन के रिश्ते के बीच पत्नी या प्रेमिका वाली बात तो जमती नही........'' बाबूजी ने सॉफ सॉफ कहा.

''तो फिर भूल जाइए कि मैं आपकी सम्धन हूँ......'' सरला ने एक मादक सा पोज़ बनाया. कम्मो को बाबूजी की बात का यकीन हो गया कि सरला वाकई में एक भूखी छिनाल है जो की बस मौके की तलाश में थी. अब उसको यकीन हो गया कि बाबूजी का लोड्‍ा जल्दी ही सरला और उसकी चूत को बारी बारी तृप्त करेगा. सरला की मादक अधेड़ उमर की जवानी को देख के कम्मो के मूह में पानी आ गया. सरला की चूत का स्वाद कैसा होगा ये सोच के ही उसकी जीभ लपलपाने लगी.

''पर आप ने ये तो बताया नही कि आपको क्यूँ लगा कि मेरी ज़िंदगी वीरान है.....क्या पता शायद मेरी भी कोई प्रेमिका हो....??'' बाबूजी ने मुस्कुराते हुए ज़ोर देके बात कही..

''अच्छा पूरा दिन तो घर में पड़े रहते हो.....तो कोई प्रेमिका कैसे होगी...??'' सरला ने भी अपना दाँव फेंका.

''इतनी समझदार हैं आप और उपर से इतना कुच्छ देखती भी हैं....फिर भी आज तक नही समझ पाई........घर में रहते हुए भी कई जुगाड़ किए जा सकते हैं....'' बाबूजी ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया. उनका जवाब सुन के कम्मो का दिल धक्क से रह गया. बाबूजी तो उसकी पोल खोलने वाले थे.

''हां समझती हूँ.....सब समझती हूँ....पर जिसकी बात तुम कर रहे हो मेरे समधी जी.....वो तुम्हे रोज नही मिलती.......बहुत कम मिलती है....सो अब ज़्यादा नाटक ना करो और आज हमारे बीच के रिश्ते को भूल के यहीं इसी जगह मेरा भोग लगा लो.....फिर आगे पिछे तुम्हे दूसरी वाली भी दिलवा दूँगी....'' सरला समझने की कोशिश कर रही थी कि बाबूजी का गेम क्या है. ये सब कहते हुए वो ठीक उनकी बगल में आके बैठ गई और उनके चेहरे पे एक उंगली चलाने लगी.
Reply


Messages In This Thread
RE: Rishton Mai Chudai खानदानी चुदाई का सिलसिला - by sexstories - 09-03-2018, 09:16 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,720,748 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 571,519 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,326,932 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 1,010,260 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,780,610 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,186,695 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 3,134,860 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,670,675 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,228,826 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 306,231 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 1 Guest(s)