Mastram Story चमकता सितारा
09-06-2018, 04:59 PM,
#30
RE: Mastram Story चमकता सितारा
बहुत ही सुहाना मौसम था और हल्की तेज़ हवाएँ चल रही थी।
बस स्टैंड पर डॉली शायद मेरे ही इंतज़ार में थी। वहाँ फिलहाल और कोई भी नहीं था। मैं डरा.. सहमा सा.. हल्के क़दमों से बस स्टैंड पर पहुँचा। डॉली एक छोर पर बैठी थी और मैं दूसरे छोर पर जाकर बैठ गया। 
डॉली सरकते हुए मेरे एकदम करीब आ जाती है।
मैंने डरते हुए कहा- जी अभी काफी जगह खाली है.. आप वहाँ पर बैठ जाएँ।
डॉली- कुछ दिन पहले तक तो मुझे बांहों में भरने को बेकरार थे। आज जब मैं खुद तुम्हारे पास आई हूँ.. तो दूर जा रहे हो। 
मैं- देखिए आपको कोई गलतफ़हमी हुई है। मैं वो नहीं हूँ.. जिसे आप ढूंढ रही हैं।
डॉली ने मेरे चेहरे को अपनी ओर करते हुए कहा- ह्म्म्म… ठीक कह रहे हो आप.. वो होता तो अब तक मेरे गले मिल चुका होता।
मैंने उससे दूर जाते हुए कहा- इस तरह से किसी को परेशान करके आपको क्या मिलेगा। मुझे ऑफिस के लिए देर हो रही है।
मैं आवाज़ तेज़ करते हुए बोलने लगा- और मैंने कहा न.. मैं आपको नहीं जानता हूँ.. फिर क्यूँ मेरे पीछे पड़ी हैं? 
डॉली की आँखों में अब आंसू आ गए थे।
‘तुम्हारा नाराज़ होना जायज़ है। तुमने मुझसे इतना प्यार किया और मैंने हमेशा तुम्हारे साथ बुरा बर्ताव किया.. पर मैं तुम्हें जान गई हूँ.. अब प्लीज मुझे माफ़ कर दो। अब कभी तुम्हारा दिल नहीं दुखाऊँगी।
वो यह कहते हुए मुझसे कस कर लिपट गई।
मेरा तो मन हो रहा था कि अभी इसे कस कर बांहों में भर लूँ और जी भर के प्यार करूँ.. पर स्क्रिप्ट के मुताबिक़ मुझे सड़क पर से एक लाल साड़ी में महिला के गुजरने का इंतज़ार करना था और उसके गुज़रते ही डायरेक्टर मुझे इशारे से पकड़ने को कहता.. तब मैं उसे बांहों में भर सकता था। मेरी बेचैनी अब मेरे चेहरे पर दिखने लग गई थी। मैं साँसें रोक कर और अपनी मुट्ठियाँ भींच कर इशारे का इंतज़ार कर रहा था। तभी सामने से लहराती हुई लाल साड़ी दिखी और डायरेक्टर ने इशारा कर दिया। इस बेचैनी ने मेरी आँखों में आंसू ला दिए थे और मेरा चेहरा लाल हो गया था। मैं उस इशारे के बाद कस कर डॉली को पकड़ लेता हूँ और हमारे होंठ मिल जाते हैं।
कट…
मैंने तो जैसे इस आवाज़ को सुना ही नहीं। अब तक मैं उसे चूमता ही रहता हूँ।
‘कट इट..’
इस बार थोड़ी तेज़ आवाज़ में थी।
मैं अलग हो जाता हूँ, कोमल आकर मेरे गले मिल कर मुझे बधाई देती है। 
‘क्या शॉट दिया है तुमने यार.. सच में मज़ा आ गया।’
मैं अब भी डॉली को ही देख रहा था। वो अब तक तेज़-तेज़ साँसें ले रही थी।
शायद यह चुम्बन कुछ ज्यादा ही लम्बा हो गया था। 
हम बातें ही कर रहे थे कि बारिश आ गई। सो मैं अपने वैन में आ गया। डॉली अब तक हमारे शॉट को स्क्रीन पर देख रही थी। थोड़ी देर में वैन का दरवाज़ा खुलता है और डॉली अन्दर आ जाती है।
सडॉली- तुम कमाल के एक्टर हो.. आज का शॉट सच में जबरदस्त था।
मैं- कमाल की अदाकारा तो आप हैं। कब इस दिल में खंज़र उतार देती हैं और कब इस पर मरहम लगाती हैं.. पता ही नहीं चलता। 
डॉली- मतलब क्या है.. इस बात का?
मैंने बात बदलते हुए कहा- वो मैं आपके हुस्न की तारीफ़ कर रहा था। तुम्हें क्या लगा?
डॉली- कुछ नहीं। 
पर उसकी आँखें कह रही थीं कि वो मेरे इशारे समझ गई है।
‘तुम्हें अपनी नई दोस्त से मिलने नहीं जाना है क्या?’
मैं उसे अपनी ओर खींचते हुए कहने लगा- क्यूँ.. कोई परेशानी है उनसे आपको..
डॉली- नहीं.. बस यह जानना था कि अब आपके दोस्तों की लिस्ट में इतनी बड़ी शख्शियतें हैं.. तो हमारे लिए वक़्त निकाल पाओगे?
मैंने उसके लबों को चूमते हुए कहा- अब यह हुस्न मुझे किसी और के लिए वक़्त निकालने की इजाजत दे… तब न..
तभी कोमल आई- आज पैक अप हो गया है। ये बारिस रात तक भी नहीं रुकने वाली है.. सो घर चलो.. जब बरसात थमेगी.. तब ही शूटिंग शुरू हो पाएगी।
मैं- ठीक है.. मैं जाता हूँ।
कोमल- कहाँ चल दिए आप..? अपना पता कहीं भूल तो नहीं गए? 
मैं- किसी की प्यार भरी आँखें मुझे कुछ याद रहने दे तब न.. तुम चलो.. मैं आता हूँ। अब यह मत पूछना कि कब आओगे?
कोमल- ठीक है जी.. जैसा आप कहें।
मैं डॉली की कार में बैठ गया.. आज मैं ड्राइव कर रहा था।
डॉली- क्या हुआ? आज ड्राइव कर रहे हो। 
मैं- तुम्हारे साथ दोनों हाथ फ्री रहने का भी फायदा नहीं है। वैसे भी मुझे अखबारों की सुर्खियाँ बनने का शौक नहीं है।
डॉली- तो एक्टिंग में क्यूँ आए। कुछ और बन जाते.. क्यूंकि यहाँ तो आपकी छींक भी.. सुर्खियाँ बनाने के लिए काफी है।
मैंने हंसते हुए कहा- अब कल की कल देखेंगे। 
बरसात तेज़ हो रही थी और शीशे पर ओस की बूंदें जमनी शुरू हो गई थीं। मैंने गाड़ी को साइड में रोक दिया। क्यूंकि सामने कुछ दिख ही नहीं रहा था।
डॉली- गाड़ी क्यूँ रोक दी है.. आपके इरादे मुझे ठीक नहीं लग रहे हैं।
मैंने अपने होंठों पर हाथ फिराते हुए कहा- कुछ कहने की ज़रुरत है क्या? अब समझ भी जाओ। 
फिर से हम गले मिल चुके थे.. हमारी साँसें अब तेज़ हो चली थीं। 
मैंने खिड़की को थोड़ा सा खोल लिया। अब बारिश की बूंदें छिटक कर हमारे जिस्म पर पड़ रही थीं। हर बूंद हमारे अन्दर की आग में घी का काम कर रही थी। आज डॉली घर से भी लाल रंग की साड़ी में आई थी और यही लाल रंग मुझे तो पागल किए जा रहा था। 
मैंने गाड़ी की पिछली सीट पर उसकी साड़ी को उतारना शुरू कर दिया। मैंने उसके बदन को चूमते हुए उसके हर कपड़े को अलग कर दिया और उन कपड़ों को आगे की सीट पर रख दिया। फिर मैंने साड़ी को रस्सी की तरह पकड़ा और डॉली को पलट के उसके हाथ बाँध दिए फिर साड़ी को उसकी गांड से ले जाते हुए उसकी गर्दन तक ले आया। 
अब मैंने एक दरवाज़ा खोला और डॉली के सर को थोड़ा पीछे की ओर लटका दिया।

फिर मैंने अपने लण्ड को उसके मुँह में अन्दर तक घुसा दिया। अब जब जब वो हिलती.. तो साड़ी उसकी गांड और चूत दोनों पर रगड़ खाती। 
अब हम जैसे एक सगीत की लय में बंध गए थे। मैं हाथों से साड़ी को कसता फिर ढीला छोड़ता.. उसी लय में डॉली अपनी कमर को हिला रही थी। फिर मैं अपने लंड को उसके एकदम गले तक पहुँचा देता।
आज बारिश की बूंदें भी अलग ही मज़ा दे रही थीं। 
फिर मैंने उसकी गांड को अपनी ओर किया और साड़ी को उसकी कमर में लपेट दिया। अब मैं उसी को पकड़ कर उसकी गांड में अपना लंड अन्दर-बाहर कर रहा था। 
मैंने साड़ी को कमर से खोल कर उसकी गर्दन में फंसा दिया और उसे सीधा करके चोदने लगा।
उसकी मखमली स्तनों पर अपने दांत गड़ाता और जब वो चिल्लाती तो उसके गर्दन के फंदे को कस देता। 
ऐसे ही चोदता हुआ थोड़ी देर में मैं उसके ऊपर गिर पड़ा। अब मैं पूरी तरह से स्खलित हो चुका था। साड़ी तो गन्दी हो ही चुकी थी.. पर डॉली के पास अब उसे पहनने के अलावा और कोई चारा भी तो नहीं था। 
फिर हम दोनों घर पहुँच गए और एक-दूसरे की बांहों में बाँहें डाल कर सो गए।
धीरे-धीरे वक़्त बीतता चला गया और मैं उसके प्यार में खोता चला गया। अब धीरे-धीरे मेरे दिल के हर ज़ख्म भी लगभग भरने लगे थे। जब भी मैं उसके साथ होता तो मैं हर पल को शिद्दत से जीता।
जब भी वो मुझसे दूर होती.. तो ऐसा लगता कि मैं उसके बिना कितना अधूरा हूँ। 
उसने मुझे एक्टिंग की तमाम बारीकियाँ सिखाईं.. प्यार के एहसास को जीना सिखाया और शायद वो अपने होने का मुझे एहसास करा गई।
फिल्म धीरे-धीरे पूरी होती जा रही थी। अब मेरी एक्टिंग में भी ठहराव सा आ गया था। डॉली के साथ जुड़े मेरे दिल के रिश्ते ने हमारी ऑन स्क्रीन केमिस्ट्री को भी दमदार बना दिया था। जो थोड़ी बहुत दिक्कत कांता के साथ के सीन्स में आती.. उसे भी डॉली की दी हुई ट्रेनिंग की वजह से मैंने बेहतर तरीके से निभाया। 
अब तो बॉलीवुड के गलियारों में भी मेरी एक्टिंग के चर्चे हो रहे थे और साथ ही डॉली के साथ मेरे सम्बन्ध मुंबई के अखबारों में थोड़ी-थोड़ी जगह बनाने लग गए थे। 
रोज की तरह आज भी मैं शूटिंग ख़त्म कर के डॉली के साथ घर को निकला।
मुझे अभी घर जाने का मन नहीं था। सो मैं डॉली के साथ समंदर किनारे चला गया। डॉली ने अपने चेहरे को ढक लिया और मैं तो अब तक सब के लिए अनजान ही था। 
सो हम दोनों एक-दूसरे की बांहों में बांहें डाले समंदर किनारे पैदल चलने लगे।
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RE: Mastram Story चमकता सितारा - by sexstories - 09-06-2018, 04:59 PM

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