RE: Post Full Story प्यार हो तो ऐसा
इधर मदन को भी अहसास होता है कि उसे वर्षा के बंगलोव की तरफ चलना चाहिए
“अगर वर्षा आ रही होगी तो अकेली डर जाएगी”
वो सोचता है और वर्षा के बंगलोव की तरफ चल देता है.
वर्षा डरी डरी आगे बढ़ रही है, वो सामने से आते एक साए को देख कर डर जाती है और वापिस मूड कर भागने लगती है.
“अरे रूको वर्षा, ये मैं हूँ तुम्हारा मदन” --- मदन पीछे से आवाज़ लगाता है
वर्षा रुक जाती है और पीछे मूड कर देखती है कि मदन उसकी तरफ दौड़ा चला आ रहा है
“तुम्हे मेरी बिल्कुल परवाह नही है, क्या तुम्हे बंगलोव के पास नही होना चाहिए था”
“वर्षा पिता जी साथ थे, वो आज मुझे घर भेज कर खुद खेत में रुकना चाहते थे, बड़ी मुस्किल से उन्हे यहाँ से भेजा है”
“पता है कितना डर लग रहा था मुझे, मैं कभी भी रात को ऐसे बाहर नही निकली हूँ, ऐसा लग रहा था कि कोई मेरा पीछा कर रहा है” --- वर्षा ने गुस्से में कहा
“मैं समझ सकता हूँ वर्षा, मेरे बस में होता तो में खुद तुम्हे अपनी गोदी में उठा कर लाता” ---- मदन ने कहा
“बस-बस रहने दो”
“मैं सच कह रहा हूँ वर्षा मेरा यकीन करो”
ये कह कर मदन वर्षा को अपनी बाहों में जाकड़ लेता है
वर्षा के तन बदन में बीजली दौड़ जाती है, वो पहली बार मदन की बाहों में थी, वो भी रात की तन्हाई में
“छ्चोड़ो मुझे मदन ये क्या कर रहे हो”
“वर्षा मैं बहुत खुस हूँ …… मुझे बिल्कुल यकीन नही था कि तुम आओगी….. मुझे थोड़ी देर अपने करीब रहने दो”
“मुझे शरम आ रही है मदन, छ्चोड़ो ना”
मदन वर्षा को छ्चोड़ देता है, और अपनी आँखो में आए आँसुओ को पोंछने लगता है
“क्या हुवा मदन ?…. मुझसे कोई ग़लती हुई क्या ? ….. ठीक है भर लो मुझे बाहों में, मैं तो बस ये कह रहे थी कि मुझे शरम आ रही है. पहले कभी तुम्हारे इतने करीब नही आई ना…..” ---- वर्षा मदन के कंधे पर हाथ रख कर कहती है
“वर्षा जब से तुमसे प्यार हुवा है कभी सपने में भी नही सोचा था कि तुम्हारे इतने करीब आ पाउन्गा. आँखे भर आई हैं तुम्हारे इतने करीब आ कर, कहाँ तुम कहाँ मैं” – मदन ने भावुक हो कर कहा
“कहाँ तुम कहाँ मैं का क्या मतलब ???, अब प्यार में भी क्या ये सब सोचा जाता है”
“वो तो ठीक है वर्षा पर तुम नही जानती तुम्हारा प्यार मेरे लिए एक ख्वाब सा लगता है. हम दौनो अक्सर आँखो आँखो में बात करते आए हैं, बहुत कम हम दौनो ने मूह से बात की है, वैसे भी यहा मिलने का मौका ही कहा है जो कुछ बात करें. बड़े दीनो बाद आज मंदिर के बाहर बात हुई थी और आज ही पहली बार हम तन्हाई में मिल रहे हैं…. क्या ये सब सपना सा नही लगता?”
“हाँ मदन मुझे भी ये सपना सा लगता है, पता नही मैं क्यों तुमसे प्यार कर बैठी हूँ, मुझे आछे से पता है कि इस प्यार का अंजाम बहुत भयानक होगा पर फिर भी जाने क्यों…. मेरा दिल बस तुम्हारे लिए धड़कता है”
“वर्षा चलो कहीं भाग चलते हैं, यहा से बहुत दूर जहा ये उन्च-नीच, जात-पात की दीवार ना हो”
“मदन मैं तुम्हारे साथ कहीं भी चलने को तैयार हूँ पर पिता जी हमें ढूंड निकालेंगे और हमें वो खौफनाक सज़ा मिलेगी जिसकी तुम कल्पना भी नही कर सकते”
“मौत से ज़्यादा खौफनाक क्या हो सकता है वर्षा”
”तुम अभी मेरे पिता जी को नही जानते, वो तुम्हारे पूरे परिवार को तबाह कर देंगे, मैं ऐसा हरगिज़ नही होने दूँगी”
“तो इसका क्या ये मतलब है कि इस प्यार को हम भूल जायें और इस दुनिया के आगे इस प्यार का बलिदान कर दें”
“मैने ऐसा तो नही कहा मदन”
“फिर तुम कहना क्या चाहती हो”
“हम साथ जी नही सकते पर साथ मर् तो सकते हैं”
ये कहते हुवे वर्षा की आँखो में आँसू उतर आए
“ये क्या पागलपन है वर्षा… ऐसे दिल छोटा करने से क्या होगा, अगर भगवान ने इस प्यार में हमारी मौत ही लीखी है तो क्यों ना हम एक कोशिस करके मरें, क्या पता हमारे सचे प्यार के आगे भगवान का दिल पीघल जाए और वो हमें एक खुशाल ज़ींदगी दे दें”
“कैसी कोसिस मदन, मैं समझी नही” वर्षा ने अपने आँसू पोंछते हुवे कहा
“हम यहा से बहुत दूर चले जाएँगे, बहुत दूर…. जहा किसी को हमारी जात पात का पता ना हो”
“हम कहा रहेंगे मदन, हमारे पास कुछ भी तो नही है”
“जिस भगवान ने ये प्यार बनाया है वही इस प्यार को मंज़िल तक भी ले जाएँगे, चलो सच्चे मन से अपने प्यार के लिए एक कोशिस करते हैं, बाकी सब भगवान पर छ्चोड़ देते हैं. कोशिस करने से कुछ भी मिल सकता है वर्षा, बिना कोशिस किए हार मान-ना इस प्यार का अपमान होगा”
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