RE: Post Full Story प्यार हो तो ऐसा
“अरे तब ये तन्हाई ना मिली तो, रोज रोज ऐसा मोका कहा मिलता है”
“मुझे कुछ नही पता”
“अछा चलो मैं अपना बाहर निकाल रहा हूँ, मैं तुम्हारी तरह डरता नही हूँ”
“नहीं ऐसा मत करो वरना मैं चली जाउन्गि”
“पागल हो क्या ? ऐसा कब तक चलेगा”
“तभी तो कहती हूँ कि शादी कर लो”
“शादी भी कर लेंगे रूपा समझती क्यों नही…. अछा ठीक है मैं कल ही तुम्हारे पिता जी से मिलता हूँ”
“सच कह रहे हो”
“और नही तो क्या, आज तक क्या मैने कभी झूठ बोला है ?”
“वो तो है पर…”
“पर क्या ?….चलो ना कुछ करते हैं कब तक यू ही तड़पेंगे”
“किशोर नहीं यहा मुझे डर लग रहा है… फिर कभी देखेंगे”
“अरे डरने की क्या बात है, पूर्णिमा की रात है चारो तरफ रोशनी है, अंधेरा हो तो डरे भी, ऐसी रोशनी में कैसा डर, लो पाकड़ो इसे”
किशोर रूपा का हाथ खींच कर अपने लिंग पर रख देता है और रूपा उसे डरते डरते हाथ में थाम लेती है
“इसे पहली बार छू रही हो, कुछ कहो तो सही कैसा है”
“ये ऐसा ही होता है क्या”
“हाँ रूपा ऐसा ही होता है, आचे से उपर से नीचे तक छुओ ना, शरमाती क्यों हो ?. शादी से पहले इसे आछे से जान लो ताकि शादी के बाद आराम से मज़े कर सको”
“धत्त… बेसराम कहीं के”
“चलो रूपा कुछ करते हैं”
“क्या करते हैं ?”
किशोर रूपा को बाहों में भर लेता है और उसके कान में कहता है, चलो आज संभोग करते हैं
“पागल हो गये हो क्या, मुझे यहा इतना डर लग रहा है और तुम्हे ये सब सूझ रहा है, मुझे लगता है हूमें यहा ज़्यादा देर नही रुकना चाहिए, चलो यहा से”
“अरे पगली ऐसा मोका रोज रोज कहाँ मिलता है आओ ना”
ये कह कर किशोर रूपा को बाहों में लिए लिए ज़मीन पर लेटा देता है और झट से उसका नाडा खोल कर उसकी सलवार नीचे सरका देता है
“किशोर नही”
“चुप रहो अब, वरना में कल तुम्हारे पिता जी से नही मिलूँगा, करनी है ना शादी तुमने मुझ से या फिर…”
“करनी है किशोर पर..”
“तो पर क्या ? .. चलो अछी पत्नी बन कर दीखाओ”
“नहीं किशोर रूको ना, मुझे डर लग रहा हैं यहा, फिर कभी करेंगे, आज ही करना क्या ज़रूरी है”
पर किशोर रूपा की एक नही सुनता और अपने लिंग को उसकी योनि पर रख कर ज़ोर लगा कर लिंग को उसके अंदर धकैल देता है
“आआईयईईईईईई” --- रूपा चील्ला उठती है
“रुक जाओ किशोर दर्द हो रहा है”
“एक मिनूट, मैं तोड़ा थूक लगाता हूँ, फिर आराम से होगा”
“किशोर मुझे यहा बहुत डर लग रहा है, तुम किशी और दिन कर लेना, मैं तुम्हे नही रोकूंगी, अभी चलो यहा से”
“इतनी प्यारी चाँदनी रात में कोई डरता है क्या, देखो अब चिकना हो गया है, अब आराम से अंदर जाएगा”
ये कह कर किशोर खुद को फिर से रूपा के अंदर धकैल देता है
|