RE: Post Full Story प्यार हो तो ऐसा
रेणुका सीढ़ियाँ चढ़ कर वर्षा के कमरे के बाहर पहुँच जाती है, और उसे आवाज़ लगाती है --- “वर्षा उठ गयी क्या, चलो मंदिर चलते हैं”
पर अंदर से कोई जवाब नही आता
वो अंदर जा कर देखती है तो पाती है कि वर्षा कमरे में नही है
रेणुका मन ही मन सोचती है “अरे वर्षा क्या आज फिर अकेली मंदिर चली गयी, ये मेरा इंतेज़ार क्यों नही करती. इस घर में चाचा जी ही हैं जो मुझ से ठीक से बात करते हैं, वरना हर कोई अपनी दुनिया में गुम है”
वो इस बात से अंजान है कि आख़िर क्यों जीवन चाचा उसके साथ इतने प्यार से बात करता है.
रेणुका अकेली ही मंदिर जाती है. पर मंदिर पहुँच कर वो देखती है कि वर्षा मंदिर में भी नही है
“अरे ये वर्षा कहा है, मंदिर का रास्ता तो एक ही है, वो मंदिर आई थी तो कहा गयी…. हो सकता है वो घर पर ही हो” ---- रेणुका सोचती है और मंदिर में हाथ जोड़ कर वापस घर की तरफ चल देती है.
रेणुका जब घर पहुँचती है तो पूरे घर में, हर तरफ वर्षा को ढूंडती है, पर वो उसे कहीं नही मिलती
तभी उसे सामने से रुद्र प्रताप सिंग आता हुवा दीखाई देता है
“सुप्रभात पिता जी” ---- रेणुका अपने ससुर के पाँव छू कर कहती है
“जीती रहो बहू, वर्षा कहा है ?”
“पिता जी मैं भी उसे ही ढूंड रही हूँ, पर वो जाने कहा है”
“क्या बकवास कर रही हो ?”
रेणुका काँप उठती है
“जाओ बुला कर लाओ उसे, आज उसे देखने लड़के वाले आ रहे हैं”
“जी पिता जी मैं फिर से देखती हूँ, वो यहीं कहीं होगी”
पर रेणुका को वर्षा घर में कहीं नही मिलती
“भैया… सुप्रभात”
“सुप्रभात जीवन… आओ,…. तुमने वर्षा को देखा है क्या” – रुद्र प्रताप ने पूछा
“नही भैया ? क्यों क्या हुवा ?”
“कुछ नही बहू कह रही थी कि वो कहीं नही दीख रही”
“होगी यहीं कहीं भैया, कहा जाएगी”
तभी रेणुका वाहा आती है और अपने ससुर को कहती है, “पिता जी मैने फिर से देख लिया वर्षा घर में नही है”
“अरे तुम तो मंदिर गयी थी ना उसके साथ” – जीवन ने रेणुका से पूछा
“जी चाचा जी, जाना तो वर्षा के साथ ही था पर मैं जब वर्षा के कमरे में गयी थी तो वो वाहा थी ही नही, इश्लीए मैं अकेली ही मंदिर चली गयी”
“क्या मतलब….. तुम कहना क्या चाहती हो ?” रुद्र प्रताप ने गुस्से में कहा
“कुछ नही पिता जी….. मैं तो बस ये कह रही थी कि वर्षा ना जाने सुबह-सुबह कहा चली गयी” --- रेणुका ने दबी आवाज़ में कहा
“मंदिर के अलावा वो कहा जा सकती है, वो वहीं होगी” --- रुद्र प्रताप ने कहा
“जी… पर मुझे वो मंदिर में भी नही मिली” --- रेणुका ने कहा
“ठीक है-ठीक है जाओ अपना काम करो” --- रुद्र प्रताप ने कहा
“जी पिता जी” --- रेणुका ने कहा और चुपचाप वाहा से चली गयी.
“बहुत ज़ुबान लड़ाती है ये लड़की” --- रुद्र गुस्से में बोला
“अभी नादान है भैया धीरे धीरे समझ जाएगी” --- जीवन ने कहा
इधर खेत में साधना, सरिता और गुलाब चंद ज़मीन पर बीखरे खून को देख कर डरे, सहमे खड़े हैं
अचानक साधना को सामने मक्की के खेतो में कुछ दीखता है
“वो..वो कौन है वाहा” --- साधना हड़बड़ा कर कहती है
“कहा पर साधना” --- सरिता ने पूछा
“अभी-अभी वाहा सामने की फसलों से कोई झाँक रहा था”
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