RE: Post Full Story प्यार हो तो ऐसा
गुलाब चंद फॉरन उस तरफ दौड़ कर जाता है और पूरा खेत फिर से छान मारता है
“वाहा तो कोई भी नही था” --- गुलाब चाँद ने हान्फ्ते हुवे कहा
“तुझे कुछ वेहम हुवा होगा, साधना” – सरिता ने कहा
“नही दीदी मैने बहुत आछे से किसी को झाँकते देखा है, पर ये इतनी जल्दी हुवा कि मैं देख नही पाई कि वो कौन था”
“अरे गुलाब चंद किशोर को कहीं देखा है क्या”
गुलाब चंद ने पीछे मूड कर देखा तो पाया कि किशोर का बापू सोहन लाल उसे दूर से आवाज़ लगा कर पूछ रहा था
जब सोहन लाल नज़दीक आ गया तो गुलाब चंद ने पूछा
“क्या हुवा सोहन”
“किशोर कल रात से गायब है, हर तरफ ढूंड लिया, पर उसका कोई आता पता नही है, अभी अभी रूपा का भाई घर आया था, रूपा के बारे में पूछ रहा था. पता नही क्या चक्कर है. रूपा भी गायब है और किशोर भी, रूपा का भाई मरने मारने की धमकी दे कर गया है, अब तुम ही बताओ क्या करूँ……. इस नलायक ने तो हमें परेसान कर रखा है”
“चिंता मत करो सोहन, किशोर मिल जाएगा, कहाँ जाएगा, होगा यहीं कहीं” – गुलाब चंद ने कहा
“वो तो ठीक है…. चिंता की बात ये है कि रूपा भी गायब है, अब तुम्हे तो पता ही है, रूपा का भाई ठाकुर का ख़ास आदमी है, रूपा ना मिली तो वो हमें बर्बाद कर देगा”
“डरो मत सोहन, मैं खुद यहा परेसान हूँ, मदन ना जाने कहा चला गया ?”
“क्या मतलब ? क्या मदन भी गायब है, कहीं रूपा उसके साथ तो….”
“ज़ुबान संभाल कर बात करो सोहन, भला मदन का रूपा से क्या लेना देना”
“माफ़ करो भाई, मैं बहुत परेसान हूँ बस यू ही मूह से निकल गया. मैं तो यहा किशोर को ढूँडने आया था. हर तरफ देख लिया, सोचा तुम्हारे खेतो में भी देख लूँ…..अछा मैं चलता हूँ”
साधना और सरिता चुपचाप खड़े-खड़े उन दौनो की बाते सुन रहे थे.
“साधना क्या रूपा अभी भी घर आती जाती थी” – सरिता ने पूछा
“नही दीदी, जब से भैया ने उसे बुरी तरह डांटा था तब से उसने घर आना बंद कर दिया था”
ये कह कर साधना अचानक फसलों की तरफ भागती है
“अरे क्या हुवा, कहा जा रही है ?”
“यहा कोई है दीदी मैने फिर से किसी को देखा है”
“ये कह कर साधना मक्की की फसलों में घुस्स जाती है”
“अरे रूको मैं भी आ रहा हूँ” --- गुलाब चंद ने साधना के पीछे-पीछे भागते हुवे कहा
“पिता जी मैं भी आउ क्या” – सरिता ने पूछा
“नही तुम यहीं रूको हम देखते है क्या बात है”
“हे कौन हो तुम यहा क्या कर रहे हो, सामने क्यों नही आते, ये छुप-छुप कर क्या देखते हो, हिम्मत है तो सामने आओ, मैं तुम्हारा वो हाल करूँगी कि नानी याद आ जाएगी. तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई हमारे खेतो में घुसने की” ----- साधना ने खेत के बीच में चील्ला कर कहा
साधना और गुलाब चंद बार-बार हर तरफ देखते है, पर उन्हे फिर से कोई नही मिलता.
साधना हाँफती हुई फसलों से बाहर आती है
“क्या हुवा साधना, कौन था वो”
“पता नही दीदी हमने हर तरफ देख लिया पर दीखा कोई नही”
“ऐसा कैसे हो सकता है, तुझे ज़रूर कुछ वेहम हो रहा है”
“हो सकता है ये वेहम हो…. पर ये दूसरी बार मैने किसी को देखा है, …. मेरी आँखे 2 बार धोका कैसे खा सकती हैं, यहा कुछ तो अजीब हो रहा है आज ?”
ये कह कर साधना रोने लगती है
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