RE: Post Full Story प्यार हो तो ऐसा
“अरे क्या हुवा पगली…. रो क्यों रही है, कुछ नही है अभी मदन आ जाएगा तो सब ठीक हो जाएगा”
“बिल्कुल इसी तरह एक दिन मैने और भैया ने मिल कर प्रेम को यहा खेतो में ढूनदा था, पता नहीं क्यों बार बार वो दिन याद आ रहा है”
“अरे पागल हो क्या…. चल थोड़ी देर बैठते हैं, मदन ज़रूर कहीं गया होगा, आ जाएगा थोड़ी देर में”
“पर ये कौन है खेत में दीदी जो दीखाई भी देता है…. पर अगले ही पल गायब हो जाता है”
“चल छ्चोड़ ये बाते, चिंता मत कर. पिता जी कहा हैं ?”
“वो अभी भी फसलों में ही हैं”
तभी गुलाब चंद मक्की की फसलों से निकल कर साधना और सरिता के पास आता है और कहता है,
“पता नहीं क्या हो रहा है यहा ?, साधना बेटी क्या तुमने सच में किसी को देखा है या फिर ये नज़रो का धोका है”
“पता नही पिता जी ठीक से मैं भी कुछ नही कह सकती…. पर मुझे एक साया सा फसलों से झाँकता हुवा दीखा था…. हो सकता है ये मेरा वेहम हो… पर पता नही क्यों ऐसा लगता है कि यहा खेत में आज कुछ गड़बड़ है….”
क्रमशः................................
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