RE: Post Full Story प्यार हो तो ऐसा
प्यार हो तो ऐसा पार्ट--3
गतांक से आगे........................
मदन, किशोर और रूपा के गायब होने की खबर गाँव में आग की तरह फैल जाती है. पर किसी को ये नही पता कि ठाकुर रुद्र प्रताप की लड़की वर्षा भी गायब है. वर्षा के गायब होने की खबर सिर्फ़ ठाकुर की हवेली तक सीमित है. हवेली में सभी परेशान हैं, और परेशान हो भी क्यों ना ?, वर्षा को देखने लड़के वाले आने वाले हैं और वर्षा का कुछ आता पता नही है.
5थ जन्वरी 1901
10:00 आम
“अरे आप उठ गये” --- रेणुका ने वीर के पाँव छूते हुवे कहा
“हाँ उठ गया क्यों ? और ये रोज-रोज नाटक मत किया कर पाँव छूने का”
“ये नाटक नही है”
“चुप कर मैं तुझ से सुबह-सुबह बहस नही करना चाहता”
“पिता जी वर्षा को लेकर परेशान हैं”
“क्यों क्या हुवा ?”
“वर्षा को देखने लड़के वाले आने वाले हैं पर….”
“पर क्या” – वीर ने गुस्से में पूछा
“पर वो घर में नही है”
“क्या बकवास कर रही हो, होगी यहीं कहीं, चल तू अपना काम कर” --- वीर ने कहा और कह कर अपने पिता जी के कमरे की तरफ चल दिया
ऱुद्र प्रताप अपने कमरे में कुर्सी पर बैठा है, उसके सामने सर झुकाए उसका ख़ास नौकर भीमा खड़ा है. जैसे ही वीर कमरे में घुसता है वो देखता है कि उसके पिता जी भीमा से कुछ बात कर रहे हैं
“भीमा जाओ मंदिर के चारो तरफ देखो, वर्षा वहीं आस पास होगी”
“जी मालिक” --- भीमा ने सर झुका कर कहा
“क्या हुवा पिता जी” --- वीर ने पूछा
“पता नही ये वर्षा सुबह-सुबह कहा चली गयी” --- रुद्र प्रताप ने कहा
“अछा….तो ये रेणुका ठीक ही कह रही थी” --- वीर ने कहा
“क्या ठीक कह रही थी, उसे डाँट कर रखा करो, बहुत ज़ुबान लड़ाती है वो”
“मालिक मैं चलूं ?” --- भीमा ने पूछा
“हाँ-हाँ जाओ, मेरा मूह क्या देख रहे हो, जल्दी वाहा देख कर आओ, और हाँ पुजारी से भी पूछ लेना की उसने वर्षा को देखा है कि नही”
“जी मालिक”
पूरा दिन बीत जाता है. मंदिर के साथ-साथ वर्षा को ढूँडने के लिए ठाकुर के आदमी पूरा गाँव छान मारते हैं, पर उन्हे वर्षा का कुछ पता नही चलता. लड़के वाले आ कर चले जाते हैं. चिन्ताओ के बादल घने होने लगते हैं.
“ऐसा कैसे हो गया, कहा जा सकती है वर्षा बिना बताए ?” ---- वीर ने कहा
रुद्र प्रताप चेहरे पर चिन्ताओ के भाव लिए चुपचाप बैठा है
तभी वाहा रूपा का बड़ा भाई बलवंत आता है, वो सर झुका कर कहता है, “ठाकुर साहिब अगर बुरा ना माने तो एक बात कहूँ”
“हाँ-हाँ कहो क्या बात है ?”
“मुझे पता चला है कि गुलाब चंद का लड़का मदन भी गायब है”
“कहना क्या चाहते हो तुम ?” – रुद्र प्रताप ने गुस्से में कहा
“गुस्ताख़ी माफ़ मालिक….. पर कहीं इस सब में मदन का तो हाथ नहीं”
“क्या मतलब साफ़-साफ कहो क्या कहना है?”
“कल मंदिर के बाहर मेरे चाचा ने मदन को वर्षा मेम-साब से बात करते हुवे देखा था”
“वर्षा उसे जानती है, एक बार वो जब खेत में रास्ता भटक गयी थी तो मदन उसे घर तक छ्चोड़ कर गया था” – रुद्र प्रताप ने कहा
“मालिक एक बात और है जो मैं आपको बताना चाहता हूँ”
“हाँ-हाँ बताओ”
“चाचा ने पेड़ के पीछे से उनकी बाते सुनी थी, उनके अनुशार वो रात में खेत में मिलने की बात कर रहे थे”
“क्या बकवास कर रहे हो तुम, हम तुम्हारी ज़ुबान खींच लेंगे”
“गुस्ताख़ी माफ़ मालिक…..पर जो मुझे पता चला था वो आपको बता दिया, आप चाहे तो मेरी जान ले लीजिए लेकिन इस बात पर गौर ज़रूर करें”
|