RE: Post Full Story प्यार हो तो ऐसा
प्यार हो तो ऐसा पार्ट--4
गतान्क से आगे..............
“चल अंदर” वीर ने सरिता को हवेली के एक कमरे में धकेलते हुवे कहा
सरिता ने रोते हुवे मूड कर उसकी और देखा.
“देख क्या रही है, सूकर मना तू अभी तक ज़िंदा है” --- वीर प्रताप ने कहा
रेणुका दूर खड़ी हुई सब कुछ देख रही है. उसने ऐसा आज तक अपनी जींदगी में नही देखा, इश्लीए बहुत हैरान और परेशान है. वो दौड़ कर रुद्र प्रताप के कमरे में जाती है
“पिता जी-पिता जी….. देखिए ये किशे यहा उठा लाए हैं…आप इन्हे रोकते क्यों नही ?”
“चुप रहो बहू, एक साल हो गया तुम्हे इस घर में आए… पर तुमने अब तक ये नही सीखा कि इस घर की औरते ज़ुबान नही चलाती”
“माफ़ करना….पिता जी… पर जो कुछ ये कर रहे हैं… ग़लत कर रहे हैं. एक औरत को यहा ऐसी हालत में घसीट कर लाए हैं कि मैं कह नही सकती”
“वीर !!!” --- रुद्र प्रताप ने चील्ला कर आवाज़ लगाई
वीर भाग कर वाहा आता है
“जी पिता जी क्या हुवा ?”
“बहू से कहो यहा से चली जाए वरना हम अपना आपा खो बैठेंगे….. अब ये हमे बताएगी कि हम क्या करें क्या नही”
वीर ने तुरंत रेणुका की ओर बढ़ कर उसके बाल पकड़ लिए और चील्ला कर बोला, “क्या तकलीफ़ है तुम्हारी”
“आहह क..क..कुछ नही मैं तो बस पिता जी से ये कह रही थी कि ये जो हो रहा है ग़लत हो रहा है” --- रेणुका ने कराहते हुवे कहा
“और जो हमारी वर्षा के साथ हुवा वो क्या सही था ?” वीर ने पूछा
वीर रेणुका के बाल खींचते हुवे उशे अपने कमरे तक ले आया और उशे बिस्तर पर पटक दिया और बोला, “खबरदार जो आज के बाद यहा किशी से कुछ बोला तो, मुझ से बुरा कोई नही होगा”
“आप से बुरा… कोई है भी नही दुनिया में”
“बिल्कुल सही, बहुत जल्दी समझ में आ गया तुझे”
तभी वीर को बाहर से आवाज़ आती है
“छोटे मालिक”
वीर बाहर आ कर पूछता है
“क्या बात है बलवंत ?”
“मालिक मैं कुछ आदमियों को लेकर पीछे के खेतो में जा रहा हूँ, मुझे यकीन है कि मदन की छोटी बहन वहीं छुपी होगी”
“रूको मैं भी साथ चलूँगा ?”
“ठीक है मालिक चलिए”
“भीमा !!” वीर भीमा को आवाज़ लगाता है
भीमा भाग कर आता है और सिर झुका कर कहता है , “जी मालिक ?”
“वो बाहर के कमरे का ताला लगा दो, हम अभी आते हैं”
“जो हूकम मालिक”
वीर बलवंत और उसके साथियों के साथ हवेली के पीछे के खेतो की तरफ चल पड़ता है
खेत में साधना बड़ी असमंजस की हालत में है. वो मन ही मन सोच रही है कि वो घर जाए या फिर यहीं खेत में बैठी रहे. एक पल वो मदन के लिए परेशान होती है…. और दूसरे ही पल सरिता के लिए. वो इस बात से अभी अंजान है कि उसकी मा मर चुकी है, उसके पिता जी सड़क पर बेहोश पड़े हैं और उसकी बहन सरिता ठाकुर की हवेली में क़ैद है. वो इस बात से भी बेख़बर है कि वीर प्रताप कुछ लोगो के साथ उसकी तरफ बढ़ रहा है
अचानक साधना को किसी के आने की हुलचल सुनाई देती है. साधना भाग कर मक्की की फसलों में छुप जाती है.
“पूरा खेत छान मारो वो यही कही होगी ?” वीर ने कहा
“छोटे ठाकुर आप चिंता मत करो वो यहा से बच कर नही जा पाएगी” – बलवंत ने कहा
ठाकुर के आदमी पूरे खेत में फैल जाते हैं.
साधना, वीर और बलवंत की बाते सुन लेती है और समझ जाती है कि वो लोग उशे ढूंड रहे हैं.
“मालिक मैं यहा सामने की फसलों में देखता हूँ” --- बलवंत ने कहा
“हां-हां देखो, जल्दी ढूंड कर लाओ उशे”
साधना के दिल की धड़कन बढ़ जाती है क्योंकि बलवंत उशी की तरफ बढ़ रहा है.
पर तभी वीर के पास कल्लू चीखता हुवा आता है
“मालिक-मालिक लगता है वो लड़की जंगल में घुस्स गयी”
ये सुन कर बलवंत वापिस मूड जाता है और कल्लू से पूछता है
“क्या बकवास कर रहे हो… उस जुंगल में लोग दिन में जाने से डरते हैं, अब रात होने को है, वो लड़की भला वाहा कैसे जाएगी” --- बलवंत ने कहा
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