RE: Post Full Story प्यार हो तो ऐसा
गतान्क से आगे..............
प्रेम का उस वक्त अचानक आना साधना के लिए किसी सपने से कम नही था. साधना मन ही मन सोच रही थी कि आख़िर आज प्रेम अचानक यहा कैसे आ गया. 3 साल से वो गाँव से गायब था, वो कहा था ? क्या कर रहा था ?.. ये कुछ ऐसे सवाल थे.. जो साधना के मन में घूम रहे थे. साधना प्रेम से बहुत कुछ पूछना चाहती है पर हालात ऐसे नही हैं. प्रेम भी साधना को बहुत कुछ बताना चाहता है पर उस वक्त वो चुप्पी साधे हुवे है.
लेकिन फिर भी साधना धीरे से कहती है, “प्रेम…. ठाकुर के आदमी दीदी को उठा कर ले गये हैं”
“घबराओ मत… सरिता अब वाहा नही है, मैं हवेली से ही आ रहा हूँ. सरिता को वाहा से भीमा अपने साथ ले गया है” – प्रेम ने धीरे से कहा
“तुम्हे ये कैसे पता”
“मैं कोई 2 घंटे पहले गाँव पहुँचा था, रास्ते में तुम्हारे पिता जी सड़क पर बेहोश मिले”
“क्या!! हे भगवान ” --- साधना ने भावुक हो कर पूछा
“धीरे बोलो” –प्रेम ने धीरे से कहा
“पर पिता जी को क्या हुवा था ?”
“साधना, छोटे ठाकुर ने उन्हे बहुत बुरी तरह मारा था… जिसके कारण वो बेहोश हो कर सड़क पर गिर गये. पर तुम चिंता मत करो वो अब ठीक हैं और सुरक्षित हैं. उन्होने ही मुझे सब कुछ बताया. मैं उनकी बात सुन कर सरिता के लिए तुरंत हवेली गया. पर मेरे वाहा पहुँचने से पहले ही भीमा, सरिता को वाहा से ले गया. भीमा को तो तुम भी जानती हो ना ? ….वो एक अछा इंसान है. फिर मैने हवेली की दीवार से अंदर की बाते सुनी..यही पता चला कि ठाकुर के आदमी भीमा और सरिता को ढूँडने इधर ही आ रहे हैं. तभी मैं भाग कर यहा आया ….क्योंकि तुम्हारे पिता जी ने बताया था कि तुम खेत में ही हो”
“मेरी मा तो ठीक है ना प्रेम ?”
पेम ये सुन कर चुप हो जाता है
साधना फिर से पूछती है, “मा तो ठीक है ना प्रेम ?”
“वो…… अब इस दुनिया में नही हैं साधना, मुझे दुख है… काश !! में थोडा और पहले पहुँच जाता तो ये सब नही होने देता”
साधना आँसुओ में डूब जाती है और अपने चेहरे को घुटनो में छिपा कर चुपचाप आँसू बहाने लगती है
प्रेम उसके कंधे पर हाथ रख कर उशे दिलासा देता है. पर वो लगातार आँसू बहाती चली जाती है
“ये क्या हो रहा है हमारे साथ आज, प्रेम. सुबह से भैया गायब हैं…. दीदी को ठाकुर के आदमी उठा कर ले गये… और अब मेरी मा चल बसी… एक दिन में इतना कुछ हो गया… और आज ही तुम वापिस आ गये…मुझे सब कुछ बहुत अजीब लग रहा है”
“अजीब तो मुझे भी लग रहा है”
प्रेम और साधना चुपचाप बाते कर ही रहे थे कि उन्हे किसी के कदमो की तेज आहट सुनाई देती है.
“बलवंत अगर भीमा उस छोकरी को ले कर जंगल में घुस्स गया होगा तो ?”
“तो हम वापिस चले जाएँगे कल्लू”
“पर छोटे ठाकुर हमें खूब दांटेंगे बलवंत”
“तू चिंता मत कर उनकी डाँट के डर से हम रात को उस भयानक जंगल में नही जाएँगे…वैसे मुझे यकीन है कि भीमा उस छोकरी के साथ यही कही छुपा होगा”
प्रेम और साधना, बलवंत और कल्लू की बाते सुन रहे थे.
|