RE: Post Full Story प्यार हो तो ऐसा
तभी अचानक एक खौफनाक चीन्ख पूरे खेत में गूँज उठती है. जो कि हवेली तक सुनाई देती है
“य..य..ये क्या.. था.. बा.ल.वन्त ?”
“पता नही कल्लू…बाकी के आदमी कहा गये ?”
“तुम्ही ने तो सबको 2-2 की टोली में बाँटा था”
“हाँ पर कोई दीख नही रहा” – बलवंत ने चारो ओर देखते हुवे कहा
इधर मक्की के खेत के बीचो बीच साधना, वो चीन्ख सुन कर काँप उठती है और प्रेम के गले लग जाती है. इस से पहले कि वो कुछ बोल पाए प्रेम उसके मूह पर हाथ रख देता है और कान में धीरे से कहता है…”डरो मत मैं हूँ ना तुम्हारे साथ..बिल्कुल चुप रहो”
“बलवंत वो देखो सामने कोई खड़ा है”
“कहा ?”
“उधर सामने..पर ये अपना आदमी तो नही लगता…ये तो कोई और ही लगता है”
“अबे ये तो मुझे आदमी ही नही लग रहा.. चल भाग… यहा से”
ये कह कर बलवंत वाहा से हवेली की तरफ भाग लेता है
कल्लू भी उसके पीछे-पीछे भागने लगता है
रास्ते में उन्हे 2 और साथी मिल जाते हैं जो कि दूसरी तरफ से भाग कर आ रहे थे.
“क्या हुवा बलवंत तुम क्यों भाग रहे हो”
“हम..ने वाहा कुछ अजीब देखा बीर्बल” – बलवंत ने हांपते हुवे कहा
“हमने भी….. पता नही क्या बला है भाई… जल्दी चलो यहा से” बीर्बल ने कहा
ठाकुर के सभी आदमी भाग कर हवेली में पहुँच जाते हैं और वीर को सारी बात बताते हैं.
“तुम सब के सब निकम्मे हो… कभी तुम्हे जंगल से डर लगता है.. कभी किसी साए से. किसी काम के नही हो तुम लोग. ऐसा क्या था खेत में जो तुम डर कर भाग आए. हो सकता है ये भीमा की कोई चाल हो… और क्या पता वो खुद भीमा ही हो” – वीर ने गुस्से में कहा
नही मालिक वो भीमा हरगिज़ नही था. भीमा को मैं आछे से जानता हूँ. उसे मैं किसी भी हालत में पहचान सकता हूँ. खेत में जो कोई भी था ..इंसान नही था..”
इधर खेत में साधना प्रेम से बुरी तरह लीपटि हुई है.
“प्रेम ये लोग किस से डर कर भाग गये ?”
प्रेम तुरंत उसके मूह पर हाथ रख देता है और कहता है, “चुप रहो और यही रूको… मैं देख कर आता हूँ कि चक्कर क्या है”
पर तभी फिर से एक भयानक चीन्ख खेत में गूँज उठती है जो इस बार हवेली को भी हिला देती है
“नही प्रेम रूको… कहीं मत जाओ… मुझे डर लग रहा है, आज खेत में ज़रूर कुछ गड़बड़ है”
“वही तो देखने जा रहा हूँ की क्या गड़बड़ है साधना, डरो मत”
“नही प्रेम रुक जाओ… यहा अकेले मुझे डर लगेगा”
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