RE: Post Full Story प्यार हो तो ऐसा
धीरज और नीरज प्रेम को ऐसे रूप में देख कर बहुत हैरान हैं… पर वो प्रेम से कुछ पूछने की हिम्मत नही करते.
नीरज, धीरे से धीरज से पूछता है, “स्वामी जी लड़की के साथ…कुछ अजीब नही है ?”
“चुप कर स्वामी जी सुन लेंगे तो बहुत डाँट पड़ेगी” – धीरज ने नीरज को धीरे से कहा
“क्या बात है धीरज ?” --- प्रेम ने पूछा
“कुछ नही स्वामी जी…. बस यू ही” --- धीरज ने जवाब दिया
कोई 30 मिनूट में वो सभी खेतो से निकल कर गाँव में साधना के घर पहुँच जाते हैं
साधना दौड़ कर अपनी मा के मृत शरीर से लिपट कर फूट-फूट कर रोने लगती है. सभी बहुत भावुक अवस्था में चुपचाप देखते रहते हैं. गाँव के दूसरे लोग भी धीरे-धीरे उनके घर की तरफ आने लगते हैं.
गुलाब चंद भाग कर प्रेम के पास आता है और पूछता है, “बेटा… सरिता कहा है ?”
“जी अभी वो तो नही पता….. लेकिन हाँ वो ठाकुर की हवेली की क़ैद से आज़ाद हो चुकी है…आप फिकर ना करें सब कुछ ठीक हो जाएगा”
“क्या ठीक हो जाएगा बेटा… मदन सुबह से गायब है…बिम्ला चल बसी और सरिता का कुछ पता नही… अब और क्या ठीक होगा ?” – गुलाब चंद इतना कह कर अपना सर पकड़ कर बैठ जाता है
“जी मैं समझ सकता हूँ….भीमा सरिता को हवेली से छुड़ा कर अपने साथ ले गया है. और मुझे यकीन है कि वो सुरक्षित होगी” ---- प्रेम ने गुलाब चंद से कहा
साधना तभी अपनी मा के शरीर को छ्चोड़ कर प्रेम के पास आती है और अपने आँसू पोंछते हुवे कहती है, “भीमा दीदी को लेकर हमारे खेत की तरफ ही आ रहा था ना.. मुझे डर लग रहा है प्रेम.”
“चिंता मत करो साधना मैं वापिस खेतो में ही जा रहा हूँ…मैं बस तुम्हे यहा तक छ्चोड़ने आया था” --- प्रेम ने कहा
“प्रेम मैं भी तुम्हारे साथ चलूँगा” ---- गोविंद ने प्रेम से कहा
साधना गोविंद की तरफ देखती है.
प्रेम उसका परिचय देता है, “साधना ये गोविंद है…. मेरा ख़ास मित्र”
वो ये बाते कर ही रहे थे कि साधना एक दम से बोलती है, “अरे !! दीदी तो वो आ रही है”
प्रेम मूड कर देखता है
सरिता लड़खड़ाती हुई भीमा के साथ घर की तरफ आ रही थी.
साधना भाग कर सरिता से लिपट जाती है और कहती है, “दीदी तुम ठीक तो हो”
“बस जींदा हूँ…ठीक तो क्या होना था” ---सरिता ने कहा
साधना, सरिता को अपनी मा के बारे में कुछ नही बता पाती. सरिता खुद अंदर आ कर अपनी मा के मृत श्रीर को देखती है और साधना से रोते हुवे पूछती है, “क्या हुवा मा को ?”
साधना फिर से रोने लगती है और अपनी दीदी को गले लगा लेती है. सरिता रोते, बीलखते हुवे अपनी मा के मृत शरीर पर गिर जाती है.
सभी लोग फिर से भावुक हो जाते हैं.
“तुम यही रूको मैं मंदिर हो कर आता हूँ” प्रेम ने गोविंद से कहा और वाहा से चल दिया
साधना प्रेम को जाते हुवे देखती है और दौड़ कर उसके पास आती है, “तुम अकेले कहा जा रहे हो प्रेम ?”
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