RE: Post Full Story प्यार हो तो ऐसा
“रूपा प्यार किसी वक्त का मोहताज़ नही होता. अगर सामने मौत भी हो तो भी हमे प्यार का दामन नही छ्चोड़ना चाहिए. क्या हम भूल जायें की इस वक्त हम साथ हैं. मैं ये नही भूल सकता. जब तुम मेरे साथ होती हो तो मेरा मन बस तुम्हे प्यार करने का होता है. इस से कोई फराक नही पड़ता की वक्त और हालात कैसे हैं”
“तुम मुझे बातो में फँसा ही लेते हो” – रूपा ने थोडा मुस्कुराते हुवे कहा
“तो फिर निकालो ना इन फूलों को बाहर… इस जंगल में अपनी रूपा के स्वदिस्त अंगूर तो चूस लूँ”
“धात… पागल कहीं के” --- रूपा शर्मा कर कहती है
रूपा हिचकिचाते हुवे अपनी कमीज़ को उपर करती है और किशोर झट से उसके उभारो को थाम लेता है
“ये हुई ना बात.. तुम सच में बहुत प्यारी हो”
“तुम्हारे लिए मैं कुछ भी कर सकती हूँ किशोर.. बस मुझे धोका मत देना”
“पागल हो क्या.. मैं तुम्हे धोका क्यों दूँगा… क्या तुम्हे मुझ पर कोई शक है”
“तुम पूरे गाँव में बदनाम हो… मदन भी तुम्हारी बुराई कर रहा था.. एक मैं हूँ जो तुम पर यकीन करती हूँ.. मेरा विस्वाश मत तोड़ना”
“अरे तुम्हारा विस्वाश मेरे लिए बहुत अनमोल है रूपा.. मैं इस विस्वाश को नही खोने दूँगा”
“मुझे तुम पर यकीन है किशोर… ये दुनिया चाहे तुम्हे कुछ समझे, पर तुम मेरे लिए सब कुछ हो”
“मुझे पता है रूपा… लाओ अब इन अंगूरो को चूसने दो… वरना पूरी रात बातो में बीत जाएगी”
किशोरे रूपा के उभारो को थाम कर उन्हे अपने प्यार में भिगो देता है.
“एक बात कहूँ रूपा ?”
“हाँ कहो” – रूपा ने कहा
“तुम्हारे अंगूर बहुत मीठे हैं. इतने मीठे फल इस पूरे जंगल में नही मिलेंगे”
“चुप करो तुम,…. और अपना काम करो”
“कौन सा काम… रूपा ?”
“वही जो कर रहे हो”
“तुम्हे अछा लग रहा है ना रूपा”
“हाँ अछा लग रहा है… बस खुस… आहह”
“क्या हुवा ?”
“दाँत क्यों मार रहे हो ?”
“ओह… माफ़ करना… ग़लती हो गयी…आगे से ध्यान रखूँगा”
“कोई बात नही.. तुम करते रहो”
“मतलब.. तुम इस मज़े के लिए दर्द भी सह लॉगी…. हहे”
रूपा ये सुन कर शर्मा जाती है और कहती है, “चुप करो….मैने ऐसा कुछ नही कहा”
“ठीक है-ठीक है, मैं बस मज़ाक कर रहा था” --- किशोर ने कहा और कह कर फिर से रूपा के उभारो को चूसने लगा
“आअहह….. तुम बहुत चालाक हो”
“चालाक ना होता तो तुम मेरे प्यार में फँसती. अछा ये बताओ…क्या तुम भी मुझे प्यार करोगी ?”
“क्या मतलब ?”
“मतलब तुम भी मेरे उसको सहला लो..”
“नही.. नही मुझ से ये नही होगा”
“होगा क्यों नही… प्यार में कोई झीज़ाक नही करते.. मेरे तुम्हारे बीच अब कैसा परदा.. खेत में भी तो तुमने छुवा था ?”
“खेत का नाम मत लो मुझे डर लगता है”
अछा-अछा ठीक है मैं तो यू ही कह रहा था … लो पाकड़ो ना.. मुझे अछा लगेगा अगर तुम इसे थोड़ा दुलार दोगि तो”
किशोर अपने लिंग को रूपा के हाथ में थमा देता है और रूपा प्यार से उशे सहलाने लगती है.
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