RE: Post Full Story प्यार हो तो ऐसा
थोड़ी देर बाद किशोर पूछता है, “अब ठीक है ना ?”
“हाँ…. क्या अभी भी कुछ बाकी है ?”
“हां थोडा सा…. ये लो इसे भी जाने दो… ऊओह मिल गयी मंज़िल इसको अब”
“गुऊर्र्र……गुऊूर्र्र्र्र्र्र्र्ररर…..गुऊूर्र्रर”
“किशोर ये आवाज़ कैसी है ?
“होगा कोई जानवर”
“वो यहा तो नही आ जाएगा ?” रूपा ने डरते हुवे पूछा
“अरे नही… गुफा के द्वार पर पठार है, डरने की कोई बात नही है.. तुम बस इस पल में खो जाओ”
ये कह कर किशोर रूपा के साथ संभोग सुरू कर देता है और कहता है, “अब कोई चीज़ हमारे बीच नही आएगी”
रूपा भी सहवास में खोने लगती है पर रह-रह कर उसका ध्यान गुफा के बाहर की आवाज़ो पर चला जाता है. आवाज़े तेज होने लगती हैं तो रूपा कहती है, “किशोर मुझे डर लग रहा है”
“अरे छोड़ो भी.. ये जंगल है… जानवर भटक रहे हैं बाहर… हम यहा सुरक्षित हैं, चलो इस संभोग का आनंद लो”
किशोरे बहुत तेज झटको के साथ रूपा को उस पल में खोने पर मजबूर कर देता है और वो सहवास के आनंद में डूबती चली जाती है
गुफा में जैसे एक तूफान सा आ जाता है. दो दिल हर चीज़, हर दर को भुला कर एक हो जाते हैं और वो गुफा उनके मिलन की गवाह बन जाती है
जब प्यार का तूफान रुकता है तो उन्हे होश आता है की उनकी गुफा का पथर हिल रहा है.
“किशोर भाग कर उस पथर को थाम लेता है और रूपा से कहता है, “तुम चिंता मत करो… शायद जुंगली कुत्ते हैं… वो ये पथर कभी नही हटा पाएँगे”
रूपा भी किशोर के पास आ कर उस पथर को थाम लेती है.
“गुऊूर्र्ररर….. गुउुउर्र्र्ररर … गुऊर्र्ररर” –गुफा के बाहर गुर्राने की आवाज़ आती रहती है
किशोर और रूपा दिल में एक डर लिए गुफा पर सटे पथर को थाम कर बैठ जाते हैं, लेकिन उनके दिल में मिलन का मीठा सा अहसाश बरकरार रहता है. वो कब एक दूसरे का हाथ थाम लेते हैं उन्हे पता ही नही चलता
क्रमशः......................
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