RE: Post Full Story प्यार हो तो ऐसा
प्यार हो तो ऐसा पार्ट--7
गतान्क से आगे..............
“ये क्या हो रहा है हमारे साथ किशोर, अब ये क्या नयी मुसीबत है ?” रूपा ने दर भरी आवाज़ में कहा
“कुछ नही घबराव मत, ये जंगल है, यहा ख़तरनाक जंगंग्ली जानवर हैं, ये ज़रूर जुंगली कुत्ते या भेड़िए हो सकते हैं” – किशोर ने कहा
“क..क..क्या भेड़िए ?”
“अरे सूकर मनाओ कि शेर नही है”
“क्या यहा शेर भी हैं, मुझे डराव मत ?”
“अरे गाँव के बचे-बचे को पता है कि यहा जंगल में शेर हैं”
“पता होगा… मुझे बस इतना पता था कि ये ख़तरनाक जंगल है, ये नही पता था कि यहा शेर हैं”
“देखो हम जंगल में हैं, यहा के ख़तरो को स्वीकार करना होगा, तभी हम यहा से निकल पाएँगे”
“वो दोनो कहा होंगे अब किशोर ?”
“पता नही, हो सकता है वो अब किसी जानवर के पेट में हो.. हहे” --- किशोर ने हंसते हुवे कहा
“छी…. कैसी बाते करते हो तुम”
“मज़ाक कर रहा हूँ भाई, पर ये सच है कि इस जंगल में कुछ भी हो सकता है, वो तो सूकर है कि हमे ये गुफा मिल गयी वरना ना जाने बाहर इस खौफनाक जंगल में हमारा क्या होता”
“वो तो है. वैसे तुम ठीक कह रहे थे, ये गुफा ज़रूर किसी इंसान की ही लगती है, ये पथर बिल्कुल इस गुफा के आकार का है, इशे ज़रूर किसी इंसान ने ही यहा रखा होगा”
“ह्म्म.. ठीक कह रही हो”
“वैसे एक बात बताओ, मदन और तुम में क्या दुश्मनी है ?”
“छोड़ो तुम्हे बुरा लगेगा”
“नही बताओ ना, मैं जान-ना चाहती हूँ”
“अरे तुम से पहले मैं साधना के पीछे पड़ा था, एक बार उसे देख कर मैने सीटी मार दी थी, मदन ने देख लिया और लड़ने आ गया, तभी से वो मेरी बुराई करता फिरता है”
“तो और क्या करता वो, तुम्हारी हरकत की क्या… तारीफ़ करता”
“वो तो है पर मैने उस से माफी माँग ली थी, फिर भी वो अब तक मुझ से खफा है”
“मैं जानती हूँ उसे, वो ऐसा ही है, दिल पर कोई बात लग जाए तो फिर भूलता नही”
“तुम ये कैसे जानती हो ?”
“तुमसे पहले मैं मदन को चाहती थी, पर वो मुझ से कभी सीधे मूह बात नही करता था. उसकी खातिर अक्सर उसके घर जाती थी. वैसे भी सरिता से मेरी अछी बोल चाल थी. घर आना जाना हो जाता था. एक बार मदन ने इतनी बुरी तरह डांटा कि मैं दुबारा उसके घर नही गयी. कल पता चला कि वो ठाकुर की बेटी को चाहता है” --- रूपा ने कहा
“अरे अजीब बात है मैं मदन की बहन के पीछे था और तुम मदन के पीछे थी.. क्या इतेफ़ाक है”
“पर आज मैं तुम्हे चाहती हूँ किशोर.. तुम मेरे सब कुछ हो”
“मुझे पता है पगली, पर ये ठाकुर की लड़की देखना मदन को बर्बाद कर देगी”
“गुउुउउर्र्ररर----गुउुउर्र्र्र्ररर-----गुउुउर्र्ररर”
गुफा के बाहर से गुर्राने की आवाज़े आती रहती हैं और किशोर और रूपा पथर को थामे धीरे-धीरे बाते करते रहते हैं
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