RE: Post Full Story प्यार हो तो ऐसा
“आप ये कैसे कह सकते हैं… मुझे तो कुछ समझ नही आ रहा”
“सब तुम्हारे सामने है पर तुम देख नही पा रहे धीरज”
“क्या मतलब स्वामी जी ?”
“नही…… रुक जाओ.. इस बज़ुबान पक्षी ने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है” --- प्रेम ने चील्ला कर कहा
तब धीरज की नज़र छटपटाती हुई उस चिड़िया पर गयी जो हवा में झूल रही थी. ऐसा लगता था जैसे उसे किसी ने हाथ में पकड़ रखा था.. पर नज़र कोई नही आ रहा था.
प्रेम चिड़िया की तरफ बढ़ा.. लेकिन इस से पहले की वो कुछ कर पाता.. चिड़िया की गर्दन प्रेम की आँखो के ठीक सामने मरोड़ दी गयी.
“नही……. स्वामी जी कुछ कीजिए” – धीरज ने चील्ला कर कहा. (वो ये सब देख कर विचलित हो गया था)
प्रेम चाह कर भी कुछ नही कर पाया.
उन्होने चिड़िया के शरीर से खून टपकते देखा. वो चिड़िया हवा में अभी भी हिल रही थी. या यू कहो की उसे हिलाया जा रहा था.
जब उसका हिलना बंद हुवा तो प्रेम ने देखा कि ज़मीन पर खून की टपकती बूँदो ने कुछ संदेश छोड़ा था.
लीखा था, “चले जाओ”
“ये क्या मज़ाक है स्वामी जी”
“ये मज़ाक नही है… ये चेतावनी है धीरज. यही मैं तुम्हे कह रहा था. कोई है यहा जो नही चाहता कि हम यहा रहें”
“ये जो कोई भी है… दीखा दीजिए इसको कि हमसे पंगा ठीक नही”
“धीरज थोड़ा धीरज रखो……. अपने दुश्मन को कभी कमजोर मत समझो और उसकी ताक़त का सम्मान करो. तभी तुम उसे हरा पाओगे… वरना झुटा घमंड तुम्हे निक्कममा बना देगा और तुम्हे पराजय का मूह देखना पड़ेगा”
“वो तो ठीक है स्वामी जी.. पर हमारी आँखो के सामने एक पक्षी की हत्या की गयी है.. क्या हम मूह ताकते रहेंगे”
“पहले पता तो चले कि समस्या क्या है.. तभी तो उसका समाधान ढूंदेंगे” --- प्रेम ने कहा
“स्वामी जी वो देखिए वो मरी हुई चिड़िया जंगल की तरफ बढ़ रही है. जो कोई भी उसे पकड़े हुवे है, वो जंगल की तरफ जा रहा है. चलिए उसका पीछा करते हैं”
“रूको धीरज जल्दबाज़ी मत करो… मुझे सोचने दो”
क्रमशः......................
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