RE: Post Full Story प्यार हो तो ऐसा
इधर जंगल में :----- किशोरे समझ चुक्का था कि इन गोरो की नियत ठीक नही है. पर वो समझ नही पा रहा था कि वो क्या करे. दूर एक पेड़ के पीछे से मदन और वर्षा भी ये सब देख रहे थे. “मदन इन गोरो ने क्या रूपा और किशोरे को बंधक बना लिया है?” – वर्षा ने पूछा “लगता तो ऐसा ही है, मुझे कुछ करना होगा” – मदन ने कहा “पर उनके पास बंदूक है” – वर्षा ने चिंता में कहा “चिंता मत करो, मुझ पर भरोसा रखो, तुम ऐसा करो यहीं रूको, यहा से हिलना मत” – मदन ने धीरे से कहा “पर तुम क्या करना चाहते हो मुझे बताओ तो सही” – वर्षा ने पूछा “समझाने का वक्त नही है, जैसा कहा है, वैसा करो वरना उन दोनो की जींदगी मुस्किल में पड़ जाएगी” – मदन ने कहा मदन चुपचाप आगे बढ़ा और एक मोटा पत्थर उठाया और रॉबर्ट के सर को निशाना बना कर फेंक दिया. पत्थर निशाने पर लगा. रॉबर्ट के सर से खून बह निकला और वो लड़खड़ा कर नीचे गिर गया. उसके गिरने की आवाज़ सभी ने सुनी और उसके सभी साथ घबरा गये कि क्या हुवा. “वॉट हॅपंड रॉबर्ट?” – टॉम आस्क्ड लेकिन रॉबर्ट अपने होश खो बैठा था. सिमोन, टॉम, जूलीया और कॅरोल, तीनो ने रॉबर्ट को घेर लिया. मोके का फ़ायडा उठा कर किशोरे और रूपा जंगल की घनी झाड़ियो में घुस्स गये और उनकी आँखो से औझल हो गये. किशोरे और रूपा उसी और भागे थे जिस तरफ मदन और वर्षा छुपे थे. मदन और वर्षा को देख कर रूपा और किशोरे खुश हुवे. “मैने तुम्हे देख लिया था जब तुमने पत्थर से उस गोरे के सर का निशाना लगा रहे थे, धन्यवाद दोस्त वरना आज ना जाने हमारा क्या होता. ” – किशोरे ने कहा “ये वक्त बाते करने का नही है, उन्हे अब तक शक हो गया होगा, चलो चुपचाप आगे बढ़ते हैं” – मदन ने कहा मदन के पत्थर का वार इतना भयानक था की रॉबर्ट मर चुक्का था. “ओह गॉड, हे इस डेड, वी मस्ट लीव दिस फोरेस्ट इमीडीयेट्ली, दिस ईज़ नोट फन एनी मोर” – कॅरोल सेड. यू आर राइट कॅरोल, आइ आम विथ यू. दोज़ टू इंडियन्स आर ऑल्सो मिस्सिंग. “ओह…माइ गॉड! वॉट ईज़ दट?” कॅरोल शाउटेड. “व्हाट?” सभी ने एक साथ कहा कॅरोल के चेहरे पर डर के भाव थे उसने काँपते हाथो से इशारा किया. सभी ने पीछे मूड़ कर देखा. सभी के होश उड़ गये. “लेट्स गेट दा हेल आउट ऑफ हियर,” टॉम सेड. लेकिन अगले ही पल उन सभी की चीन्ख वाहा गूँज रही थी. पेड़ के पीछे से चुप कर वर्षा,मदन,किशोरे और रूपा ये सब देख रहे थे. “ये क्या है मदन?” वर्षा ने पूछा. “जो भी है बहुत भयानक है. इस से पहले की इसकी नज़र हम पर पड़े हमें यहा से निकल जाना चाहिए.” मदन ने कहा. “मुझे एक गुफा का पता है…चलो जल्दी वाहा चलते हैं. वो सुरक्षित रहेगी.” “कितनी दूर है वो.” “बस थोड़ी ही दूर है…जल्दी चलो अगर उसकी नज़र हम पर पड़ गयी तो वो हमें भी नोच-नोच कर खा जाएगा.” किशोरे ने कहा. वो चारो चुपचाप वाहा से निकल पड़े और थोड़ी ही देर में गुफा के पास पहुँच गये. “चलो जल्दी अंदर” किशोरे ने कहा सभी के अंदर आ जाने पर किशोरे ने अंदर से एक बड़ा सा पत्थर गुफा के दरवाजे पर लगा दिया. “वो क्या था किशोरे…उसने उन अंग्रेज़ो को नोच-नोच कर खा लिया.” रूपा ने कहा “अछा हुवा ये गोरे इसी लायक हैं.” किशोरे ने कहा. “हां पर भगवान ऐसी मौत किसी को ना दे.” मदन ने कहा “ऐसा जानवर मैने पहले कभी नही देखा. पता नही क्या था वो…” किशोरे ने कहा “कहीं रात को खेतो में भी यही तो नही था?” रूपा ने सवाल किया “हो सकता है…क्योंकि वो साया भी इतना ही भयानक था. अगर ये वही है तो हमें तुरंत गाँव लौट कर गाँव वालो को चोक्कना करना होगा.” किशोरे ने कहा. “पर हम गाँव वापिस नही जा सकते. वो ठाकुर हमें जींदा नही छोड़ेगा.” मदन ने कहा. “और अगर हम यहा जंगल में रहे तो वैसे भी कब तक बच पाएँगे. देखा नही कैसे एक मिनिट में सब अंग्रेज़ो को चीर दिया था उस जानवर ने.” “मैं वर्षा को लेकर दूसरे गाँव जा रहा हूँ.” मदन ने कहा. “पागल मत बनो मदन…तुम्हे क्या लगता है तुम दूसरे गाँव जा कर ठाकुर से बच जाओगे. अरे हमारे गाँव में तुम दोनो का साथ देने के लिए बहुत लोग आगे आ जाएँगे. वाहा तुम्हे कौन पूछेगा.” किशोरे ने कहा. “पर हम रास्ता भी तो भटक गये हैं…हम वापिस गाँव पहुँचेंगे कैसे.” वर्षा जो कि अब तक चुपचाप बैठी थी अचानक बोली. “क्या तुम गाँव वापिस जाना चाहती हो?” मदन ने पूछा. “मदन कोई और चारा भी तो नही है...” वर्षा ने कहा. “बस इतना ही साथ निभाना था तुमने…” मदन ने कहा. “मदन देखो वर्षा ठीक कह रही है. हम घने जंगल में फँसे हैं. और मुझे पूरा यकीन है कि हम अपने गाँव के ज़्यादा नज़दीक हैं. हम बस दिशा भूल गये हैं.” रूपा ने कहा. हवेली में: “मुझे उस कमरे तक ले चलो.” प्रेम ने रेणुका से कहा. रेणुका प्रेम को उस कमरे तक ले आई जिसमे वीर बंद था. प्रेम ने ज़ोर से दरवाजा खड़काया पर किसी ने दरवाजा नही खोला. ऱुद्र और जीवन भी वाहा आ गये थे. “ठाकुर अपने आदमियों से कहो ये दरवाजा तौड दे.” प्रेम ने कहा. “क्यों तौड दे…तुम कौन होते हो ये कहने वाले.” जीवन ने कहा. “अगर वीर को जिंदा देखना चाहते हो तो जैसा कहता हूँ वैसा करो.” “बलवंत तौड दो दरवाजा” रुद्र ने कहा जैसे ही दवाजा खुलता है प्रेम कमरे में ढाकिल होता है. “मैने तुम्हे यहा से चले जाने को कहा था.” एक आवाज़ आई. “हाँ पर मैं तुम्हारी बात क्यों मानु...रघु” प्रेम ने कहा. “तुम भूले नही मुझे हां” “कैसे भूल सकता हूँ…मुझे बताओ तुम ये सब क्यों कर रहे हो.” “मैं कुछ नही कर रहा जो कुछ किया है इस कामीने वीर ने किया है.” “क्या मतलब रघु मुझे सॉफ-सॉफ बताओ और वीर कहा है.” “इस खाट के नीचे छुपा है वो…पर ज़्यादा देर तक बच नही पाएगा तडपा-तडपा कर मारूँगा इसे में.” “तुम ऐसा क्यों कर रहे हो” प्रेम ने पूछा. “वो चीन्खे सुनी तुमने खेतो में” “हां सुनी…किसकी चीन्खे हैं वो.” “मेरी जान से प्यारी राधा की.” “राधा कौन राधा?” “तुम उसे नही जानते “इस कमिने वीर की वजह से वो तड़प-तड़प कर मरी…मैं इसे भी तडपा-तडपा कर मारूँगा.” रघु ने कहा. “देखो मैं तुम्हारा दर्द समझ सकता हूँ…लेकिन इस तरह खून ख़राबे से कुछ हाँसिल नही होगा.” “तो क्या मैं इस कमिने को यू ही छोड़ दू….तुमने देखा होता ना कि क्या हुवा मेरी राधा का तो ऐसी बात ना करते.” “मैने उसे नही मारा ये झूठ बोल रहा है…मुझे बचा लो” वीर खाट के नीचे से बोला. “तुमने नही मारा तो और किसने मारा…तुम्हारी वजह से ही हम जंगल में भागे थे और उस दरिंदे ने नोच-नोच कर खा लिया मेरी राधा को…मेरी आँखो के सामने हुवा ये सब..कितना दर्द हुवा होगा मुझे ये बस मैं ही जानता हूँ” रघु ने कहा. “ह्म्म…किस दरिंदे की बात कर रहे हो तुम” प्रेम ने पूछा. “मुझे बस इतना पता है कि वो बहुत भयानक है….राधा खेतो में बार-बार चीन्ख रही है क्योंकि उसे लग रहा है कि वो दरिन्दा कही आस पास ही है. अगर इस गाँव को बचाना चाहते हो तो जाओ
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