RE: Post Full Story प्यार हो तो ऐसा
गतान्क से आगे...................... "क्या ठाकुर को पता चल गया कि वर्षा मेरे साथ है" मदन ने पूछा. "ठाकुर को ही नही पूरे गाँव को पता है...कुछ भी हो तुम यहा से बाहर मत निकलना.." किशोरे ने कहा. "सच-सच बताओ मेरे घर पे सब ठीक है ना." मदन ने पूछा. "सब ठीक ही होगा...मुझे तुम्हारे घर के बारे में किसी ने कोई ऐसी वैसी बात नही बताई...तुम चिंता मत करो...आराम करो अब...और हां ध्यान रखना ज़्यादा आवाज़ मत करना अंदर. बाहर से ताला लगा रहा हूँ...ध्यान रखना" "ठीक है, मैं ध्यान रखूँगा" मदन ने कहा. किशोरे के जाने के बाद मदन गहरी चिंता में खो जाता है. "क्या हुवा परेशान क्यों हो" वर्षा ने मदन के कंधे पर हाथ रख कर पूछा. "पता नही क्यों ऐसा लग रहा है कि घर पर सब ठीक नही है" "ऐसा क्यों सोच रहे हो?" "पता नही पर किशोरे मुझसे कुछ छुपा रहा है" "ज़्यादा मत सोचो....सब ठीक ही होगा...देखो हम जंगल से यहा सुरक्षित आ गये. भगवान सब ठीक ही रखेंगे" "ह्म्म तुम कहती हो तो मान लेता हूँ....पर अब तुम्हे बदले में छूट देनी पड़ेगी" "ये क्या बात हुई भला तुम मेरी बात मानो या ना मानो मेरी वो बीच में कहा से आ गयी" "आज तो तुम्हे देनी ही होगी देखो ना बंद कमरे में हम दोनो तन्हा हैं. बाहर से ताला लगा है. तुम्हारे पास चूत देने के सिवा कोई चारा नही" "तुमने तो अचानक रंग बदल लिए...प्यार क्या यही सब है" "प्यार तो बहुत कुछ है वर्षा पर प्यार में चूत में लंड तो देना ही पड़ता है" "हाई राम तुम तो बहुत बदमास हो कैसी बाते करते हो" "अच्छा लो अब पाकड़ो मेरे लंड को" मदन ने अपने लिंग को बाहर खींच कर कहा "ना बाबा ना मैं नही पाकडूँगी...मुझे तो नींद आ रही है...उस जंगल में रात भर जागती रही...अब मुझे परेशान मत करो." मदन ने वर्षा को बाहों में भर लिया और उसके नितंबो पर हाथ रख कर उसे अपनी और खींचा. वर्षा को अपनी योनि पर मदन का लिंग महसूस हुवा तो वो सिहर उठी. "छोड़ दो मुझे...अकेली लड़की का फ़ायडा मत उठाओ" मदन ने वर्षा के नितंबो को सहलाया और उन्हे मसल्ते हुवे बोला, "तुम्हारी गांद बहुत सुंदर है" "कैसी बात करते हो तुम हटो छोड़ो मुझे." "अक्सर तुम्हे मंदिर से जाते वक्त पीछे से देखता था मैं. बहुत गांद मटका कर चलती थी तुम" "मंदिर के बाहर क्या तुम ये सब देखते थे...शरम नही आई तुम्हे." "प्यार में कैसी शरम. एक प्रेमी को प्रेमिका के हर अंग को देखने का हक़ है" "मंदिर में भी हा" वर्षा ने कहा. "मंदिर में नही देखता था, तुम्हे मंदिर के बाहर देखता था." "मुझे ही देखते थे या किसी और को भी" "पागल हो क्या...तुम्हारे शिवा किसी और को क्यों देखूँगा.." "फिर ठीक है" "तुम्हारे चाचा पर बहुत गुस्सा आ रहा है...उसने बहुत हाथ फेरे हैं इस गांद पर" "मुझे दुबारा वो सब याद मत दिलाओ...मेरा मन खराब होता है." "ओह ग़लती हो गयी...वैसे ही मूह से निकल गया...तुम्हारे चाचा की तो मैं किसी दिन ऐसी धुनाई करूँगा कि वो याद रखेगा" "छोड़ो ये सब अपनी बाते करो" "ह्म्म तो कैसा लगा तुम्हे मेरा लंड" "लंड हे..हे..हे....अछा लगा...लंड" "फिर से मज़ाक उड़ा रही हो मेरे लंड का...तुम्हारी चूत फाड़ देगा वो ऐसे बोलॉगी तो" "अरे बाबा कुछ और नाम नही मिला क्या...लंड...हे..हे" "खोलो नाडा अभी मज़ा चखाता हूँ" मदन ने कहा. मदन वर्षा का नाडा पकड़ कर खोलने लगा. "रूको...मैं तो मज़ाक कर रही थी.." "इस नाडे को क्या हो गया...कैसे खुलेगा ये...खोलो इसे" "मैं नही खोलने वाली जनाब...आप में दम है तो खोल के दीखाओ" "अपनी चूत सामने लाओ अभी घुस्साता हूँ उसमे तब पता चलेगा कि लंड क्या होता है" "पहले नाडा तो खोल लो फिर घुस्साने की बात करना...ये खुलने वाला नही है" वर्षा ने हंसते हुवे कहा. "लंड तो मैं घुस्सा के रहूँगा चाहे कुछ हो जाए" "ऐसे कैसे घुस्सा दोगे...मेरी मर्ज़ी के बिना कुछ नही होगा" "अछा ये लो तुम्हारा नाडा खुल गया...अब तुम्हारी चूत की खैर नही." मदन ने कहा. "उऊयईी मा तुमने तो सच में खोल दिया....देखो ये सब अभी नही...फिर कभी" "आज क्या व्रत है तुम्हारी चूत का जो फिर कभी पर टाल रही हो" "सब कुछ अचानक हो रहा है...मैं तैयार नही हूँ" मदन ने वर्षा की योनि पर हाथ रखा और बोला, "झूठ बोल रही हो....तुम्हारी चूत तो लार टपका रही है और तुम कह रही हो की मैं तैयार नही हूँ" "मुझे वो सब नही पता....क्या पता मेरी वो क्यों लार टपका रही है" "लंड लेने के लिए तैयार है तुम्हारी चिकनी चूत...इतना भी नही समझती." मदन वर्षा के उभारो को मसलना शुरू कर दिया. "ऊऔच्च... इतनी ज़ोर से क्यों दबा रहे हो...तुम तो पागल हो गये हो आज" "तुम्हारे प्यार में पागल हुवा हूँ वर्षा गुस्सा मत करो" "धीरे से नही दबा सकते फिर" मदन ने बाते करते-करते अचानक अपना लिंग वर्षा की योनि पर रख दिया. वर्षा बिन पानी मछली की तरह तड़पने लगी. "आअहह तुम्हारा लंड महसूस हो रहा है मुझे" "अभी ये लंड बाहर है अभी थोड़ी देर में तुम्हारे अंदर घुस्सेगा...आअहह" "लगता है तुम नही मानोगे" "अगर तुम सच में मुझे रोकना चाहती हो तो मुझे अपने उपर से धकैल दो मैं दुबारा नही आउन्गा" "ये क्या बात हुई...मैं ऐसा कभी नही करूँगी" "डाल दू फिर क्या तुम्हारी चूत में" "मुझे नही पता था कि तुम ऐसी कामुक बाते करोगे." "मैं तो रोज तुम्हारी गांद देख-देख कर जीता था." "क्या मतलब...ऐसा क्या है उसमे" "तुम्हारी गांद मटकती देखता था तो लंड मचल उठता था." "ह्म्म...मुझे नही पता था कि तुम मुझे ऐसी नज़रो से देखते हो वरना ख्याल रखती." मदन अपने लिंग को हाथ में पकड़ कर वर्षा की योनि पर रगड़ने लगा. "आअहह ये क्या कर रहे हो" वर्षा कराह उठी "लंड को रास्ता दीखा रहा हूँ...एक बार रास्ता मिल गया तो घुस्स जाएगा...हे..हे" "तुम तो इसे कही और ही रगड़ रहे हो ऐसे कैसे रास्ता मिलेगा." वर्षा बोली.
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