RE: Behen ki Chudai बहन का दांव
मोनू भी उसके सेक्स से भरे चेहरे को देखता हुआ, उसे चूमता हुआ, ज़ोर-2 से झटके मारने लगा... ऐसी कामुक चुदाई तो उसने रुची के साथ भी नही की थी...रश्मी के हिलते हुए मुम्मे बड़े ही दिलकश लग रहे थे..इसलिए वो एक झटका धीरे और दूसरा तेज मारता जिसकी वजह से वो मुम्मे थोड़ा रुकते और फिर उपर उछलते...
मोनू : "ओह दीदी ................... सच मे ................. कमाल हो आप........... ऐसा मज़ा तो मुझे रुची के साथ भी नही मिला आज तक ................ आई लव यू दीदी ..................''
अपनी ऐसी तारीफ सुनकर रश्मी भी खुश हो गयी और उसने उपर होकर मोनू को चूम लिया, चूम क्या लिया उसे चूस सा लिया..
और फिर रश्मी ने उसको नीचे पटका और खुद उसके लंड पर चढ़ गयी....उसका चेहरा इस बार मोनू के पैरों की तरफ था...इसलिए मोनू के सामने उसकी भरी हुई गांड थी....जिसे हाथ मे लेकर वो उसे अपने लंड जोरों से पटक रहा था ...
और काफ़ी देर से चुदाई करने की वजह से अब वो झड़ने के बिल्कुल करीब था...अब वो खुद को रोकना नही चाहता था...इसलिए उसने रश्मी को पीछे करते हुए अपना लंड बाहर निकालना चाहा...पर रश्मी ने उसे रोक दिया और बोली : "नही ......मत निकालो ...अंदर ही करो ...... मैं गोली ले लूँगी ..... पहली बार मे मैं तुम्हे पूरा महसूस करना चाहती हू .....''
वो भी झड़ने के बिल्कुल करीब थी.....इसलिए वो ज़ोर-2 से उसके लंड पर कूदने लगी...
और फिर उसे अपने अंदर एक गोली सी छूटती हुई महसूस हुई...जो मोनू के लंड से निकली थी....उसके लंड का रस किसी गोली की तरह महसूस हुआ उसे अपने अंदर...और उसे महसूस करते ही उसकी चूत की दीवारों ने भी नमी छोड़नी शुरू कर दी...और वो भी मोनू के साथ-2 झड़ने लगी..
''अहह ..... ओह मोनू ............. वॉट ए फीलिंग ................ उम्म्म्मममममममममममममममम .....मज़ा आ गया ................... अहह ...''
मोनू के लंड से मिलकर उसका रस भी इतना अधिक हो गया की झटके के साथ-2 वो भी बाहर निकलने लगा.... सारा का सारा रस निकल कर उसी वक़्त मोनू की जांघों पर आ गिरा....और वो भी हाँफती हुई सी उसके पैरों पर गिर पड़ी... थोड़ी देर ऐसे ही पड़े रहने के बाद वो पलटी और खिसक कर उसकी छाती से लग गयी...और कुछ ही देर में सो भी गयी... मोनू के लंड से और उसकी चूत से रस निकल कर ना जाने कितनी देर तक नीचे पड़े नोटों पर गिरता रहा... सुबह रश्मी की नींद जल्दी खुल गयी..और उसने अपने कपड़े पहने, और अपनी माँ के पास जाकर लेट गयी.. दीवाली का दिन था, इसलिए सोई नही वो उसके बाद...पूरे घर की अच्छी तरह से सफाई की...मोनू के कमरे में गयी और उसे नहाने के लिए भेजा...बिस्तर की हालत देखकर उसे खुद ही बड़ी शर्म आई...काफ़ी नोट फट चुके थे..कई नोटों पर खून की बूंदे और कई पर उनके प्यार की मिली जुली निशानी चमक रही थी...उसने उन ख़ास नोटों को अलग रख लिया निशानी के तोर पर और बाकी नोटों को समेट कर अलमारी में रख दिया...
अब दोनो को शाम का इंतजार था.. दीवाली का दिन था इसलिए पूरे दिन घर में कोई ना कोई मेहमान या गली में रहने वाले लोग आते-जाते रहे...दीवाली की शुभकामनाए और मिठाई के साथ... रश्मी ने भी काफ़ी गिफ्ट और मिठाइयाँ ली और अपने रिश्तेदारों और पड़ोसियों के घर जाकर दे आई...ये सब करते-2 कब शाम हो गयी उसको भी पता नही चला..मोनू घर पर ही था..सुबह से माँ की तबीयत ठीक नही लग रही थी इसलिए वो उनके साथ ही रुका हुआ था. शाम को जब तक रश्मी घर पहुँची, डॉक्टर उनके घर से निकल रहा था..जिसे देखकर रश्मी घबरा गयी..वो भागती हुई उपर के कमरे में गयी, मोनू अपनी माँ के पास बैठा था. पूछने पर पता चला की उन्हे साँस लेने मे तकलीफ़ हो रही है...शायद नजला जम गया है और उसकी वजह से उनके हार्ट पर भी ज़ोर पड़ रहा है..इसलिए डॉक्टर ने सलाह दी की इन्हे एक दिन के लिए हॉस्पिटल में एडमिट कर दो और नेबोलाइस करवा लो...साथ ही साथ हार्ट पर जो दबाव पड़ रहा है उसकी भी जाँच हो जाएगी...
प्रोसिज़र तो सिंपल था और सिर्फ़ एक ही दिन का था..पर मुसीबत ये थी की त्योहार का दिन था..पर माँ की तबीयत पहले है, इसलिए दोनो भाई बहन उसी वक़्त माँ को हॉस्पिटल ले आए...वैसे भी उनके पास अब पैसों की कमी तो थी ही नही ..माँ को एडमिट करवाया , मोनू ने कहा की वो उनके साथ ही रुकेगा..और रश्मी को वापिस घर भेज दिया...और साथ ही साथ उसने रुची को भी फोन करके बोल दिया की वो आज रात के लिए उसके घर पर ही रुक जाए, क्योंकि रश्मी को वो अकेला नही छोड़ना चाहता था.[url=http://rajsharmastories.com/memberlist.php?mode=viewprofile&u=32926][/url]
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