RE: Desi Sex Kahani मौका है चुदाई का
तीनो सहेलियां एक नंबर की चुदासी औरतें थी...और सबके पति बहुत अमीर थे....नीलू उन सबकी बॉस जैसी थी...सब उसी के पास आते थे.और उन लोगों के ग्रुप सेक्स की पार्टी हमेशा ही नीलू ही प्लान करती थी........यह लोग काफी देर तक बैठे रहे और फिर अपने अपने घर चले गए......अब काकी और नीलू अकेले थे.....काकी ने इशारे में कहा की रानी अपने कमरे में है..और फिर उठ के वो बाथरूम की तरफ चल दी........नीलू ने भी देर नहीं की और वो भी उसी तरफ चल दी....काकी ने अन्दर आते ही अपनी सारी को उपर करना शुरू किया और उसकी सारी पूरी उसकी कमर तक आ गयी....काकी की उम्र काफी है....करीब करीब ६० साल की है काकी लेकिन इस उम्र में भी वो खुद को बहुत सजा के रखती है..इस बात का इससे बड़ा सबूत और क्या होगा की एक घरेलु औरत जिसकी उम्र ६० साल की है उसकी चूत में एक भी बाल नहीं है...झांट एकदम साफ़ है...चिकनी और वो पूरा हिस्सा भी काला नहीं पड़ा हुआ है...मेरे जिन भाइयों को नहीं पता है उन्हें बता दूं की हम औरतों के उस कोमल हिस्से की बार बार शेविंग करने से वहां एक कालापन आ जाता है...इसलिए वहां से हेयर रिमूव करना ज्यादा फायदेमंद होता है...लेकिन रेजर का उपयोग ज्यादा आसन होता है...खैर....अगर आगे किसी औरत की चूत पर इस तरह का कालापन दिखे तो उसे गन्दी मत समझना..बल्कि वो लगातार बाल साफ़ करते रहने के कारण होता है..........हाँ तो काकी का वो नाजुक हिस्सा अभी भी उतना ही नाजुक था..उतना ही कोमल था....नीलू ने भी अपनी जीन्स नीचे केर दी थी और अपनी पेंटी भी सिरका दी थी.....काकी ने तो पेंटी पहनना ही कब का बंद कर दिया था.....दोनों ने अपनी अपनी टाँगे थोडा सा झुका ली और अपनी चूत के अन्दर दो दो ऊँगली डाल दिन........लेकिन ऐसा वो लोग अपनी चूत में ऊँगली करने के लिए नहीं कर रहे थे..बल्कि अगले ही पल उन्होंने अपनी उँगलियाँ बाहर निकालनी शुरू केर दी..और इस बार उन दोनों की ही उँगलियों में फंसा हुआ कुछ उन दोनों की ही चूत से बाहर आ रहा था..........गरम मौसम में आप लोगों ने ककड़ी बिकते हुए देखि होगी...एक तो मोटा खीरा होता है और एक पतली ककड़ी होती है...वैसी ही एक एक ककड़ी इन दोनों ने अपनी अपनी चूत के अन्दर डाली हुई थी...करीब ४ इंच लम्बी और एक इंच मोती उस ककड़ी ने उनकी चूत में जरुर खूब घमासान मचाया होगा..क्योंकि जब वो ककड़ी चूत से बहार निकली तो उन दोनों के रस से एकदम भीगी हुई थी........दोनों ने हौले हौले वो ककड़ी अपनी अपनी चूत से बाहर निकाली ताकि कहीं वो ककड़ी अन्दर ही ना टूट जाये...और फिर दोनों ने अपनी अपनी चूत की ककड़ी बदल ली.......
नीलू वो ककड़ी खा रही थी जो बहुत देर से काकी की चूत में थी और काकी वो ककड़ी खा रही थी जो बहुत देर से नीलू की चूत में थी........
उधर दूसरी तरफ अब भानु और रानी भी थोडा थोडा बेचैन होने लगे थे...हालांकि अभी उनकी बेचैनी इतनी बड़ी नहीं हुई थी की उसके लिए वो कुछ करने की सोचते लेकिन जब चिंगारी जल जाये तो उसे आग बन्ने में ज्यादा देर नहीं लगाती..और दोनों के शरीर में चिंगारी तो जल ही चुकी थी........एक रात भानु को नींद नहीं आ रही थी तो वो निकल कर छत पर आया....उसने सोचा था की कुछ देर यहाँ ठंडी हवा खायेगा फिर सोने चला जायेगा.......उसके लिए बिना सेक्स के इतने दिन रहना बड़ा मुश्किल था..उसे पता नहीं था की रानी पहले से ही छत पर थी....वो जैसे ही उपर आया उसके रानी को वहां पर टहलता हुआ पाया....रानी ने एक टी शर्ट और उसके नीचे छोटे से शॉर्ट्स पहने हुए थे..उसने ब्रा नहीं पहनी थी और पेंटी भी वो नहीं पहना कर्री थी रात में.....भानु भी वहां अपने टी शर्ट और शॉर्ट्स में ही आया था.....
भानु - यहाँ क्या कर रही है?
रानी - नींद नहीं आ रही थी सो थोड़ी देर के लिए उपर आ गयी..तुझे भी नहीं आ रही?
भानु - हाँ यार.....बड़ी बोरियत सी हो रही है..करने के लिए कुछ है नहीं यहाँ पर...
रानी - हाँ यार.वही तो...अभी हमें कुछ ही दिन हुए हैं यहाँ आये और मुझे तो लगता है की जैसे कितने सालों से मैंने कुछ किया ही नहीं है....
भानु - मेरा भी वही हाल है...
रानी – नीचे देख के आया था? सबा लोग सो गए?
भानु – नहीं.मम्मी के कमरे की लाइट जल रही थी शायद. थोड़ी थोड़ी रौशनी आ रही थी. मैंने ध्यान से देखा नहीं.
रानी – वो लोग भी रात में लेट से सोते हैं.
भानु – तू क्या कर रही थी अब तक?
रानी – सिस्टम पे एक मूवी पड़ी थी वही देख रही थी.उसमे भी बोर हो गयी..
भानु – कौन सी मूवी थी? दे न मुझे भी देखने को.
रानी – तेरे वाली नहीं थी.मेरे वाली मूवी थी. तेरे टाइप वाली मेरे पास नहीं है.
भानु – तू तो हर समय बस ताना ही मारा करती है.मैं कोई नार्मल वाली मूवी नहीं देख सकता क्या?
रानी – देखता होगा. मुझे नहीं पता.मैंने तो नहीं देखा तुझे नार्मल वाली मूवी देखते हुए.
भानु – तो तूने मुझे वो वाली मूवी देखते हुए भी तो नहीं देखा है कभी.
रानी – देखा है. कई बार तू सिस्टम चालू कर के सो जाया करता था अपने पुराने वाले फ्लैट में. कई बार मैंने तेरे रूम में आकर तुझे चादर ओढाई है और सिस्टम पैर मूवी बंद की है.
भानु – सच में?
रानी – हाँ . कई बार.
भानु – कभी बताया नहीं तूने.
रानी – इसमें क्या बताने वाली बात थी? मुझे लगा तो थोडा ओड फील करेगा सुन के की मैंने तुझे ऐसे देख लिया.इसलिए नहीं बताया...
भानु – हाँ सही किया...कभी कभी मुझे लगता है की हमारे बीच भाई बहन वाली कोई बात रह ही नहीं गयी है. तूने मुझे हर हाल में देख लिया. मैंने भी तुझे हर हालत में देखा है.
रानी – तूने मुझे कब देख लिया?
भानु – नहीं. देखा नहीं है.लेकिन सुना बहुत बार है...तुझे याद है तेरा वो सीनियर था न वो हरयाणवी जाट,,,,उसके साथ तो तेरा शोर इतना ज्यादा होता था की कई बार तो मैं तकिये की नीचे कान दबाने के सोने की कोशिश करता था फिर भी तेरी चीखें आती थी मेरे रूम तक....
रानी – ओ बाप रे....सच में ?
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