RE: Desi Sex Kahani मौका है चुदाई का
कमरे का दरवाजा खोल के काकी अन्दर आई....सोम और नीलू अन्दर पहले ही नंगे बैठे हुए थे बिस्टर पर...
काकी - एक राउंड हो गया क्या??
सोम - नहीं .नीलू कह रही थी की काकी आ जाएँ फिर शुरू करते हैं. बड़ी देर कर दी आने में?
काकी - हाँ बच्चों के कमरे की लाइट चालू थी. अभी थोड़ी देर पहले बंद हुई है.
सोम - क्या कर रहे थे इतनी देर तक दोनों?
काकी - पता नहीं. कुछ देर दोनों छत पर थे.फिर वहां से आये तो दोनों भानु के रूम में थे और उसके बाद अपने अपने रूम में गए.
नीलू - और तुम उन पर नजर रख रही थी?
काकी - हाँ और क्या...मैं भी वेट कर रही थी की कब इनकी लाइट बंद हो और मैं आ जाती यहाँ...इसीलिए तो लेट हो गयी. लेकिन तुम लोग इतना लापरवाह मत रहा करो अब.
सोम - क्यों हमने क्या कर दिया अब?
काकी- अरे दोनों कमरे में नंगे और कमरा अन्दर से बंद भी नहीं किया है. अभी अगर उनमे से कोई आ जाता तो क्या देखता और क्या सोचता?
नीलू - देखता की हम नंगे हैं और सोचता की हम बड़े चुदासे हैं.....हा हा हा हा हा...
काकी- हंस ले तू....जिस दिन सच में ऐसा होगा उस दिन गांड फट जाएगी...
सोम - हाँ काकी. मैं इसे कह रहा था की दरवाजा बंद कर लेते हैं.
काकी - भोसड़ी के इसे ये कह की अब ऐसे नंगा नंगी रहना ठीक नहीं.
सोम - वो तो नहीं हो सकता. और फिर बच्चे भी इतने बड़े तो हो गए हैं की उन्हें पता है की आदमी और औरत रात में ऐसे ही रहते हैं.....
काकी - बड़ी मस्ती में हो दोनों...ठीक है. मुझे क्या. मैं तो समझा के थक गयी. तुम लोग कुछ सुनते ही नहीं तो फिर मैं क्यों परेशां रहूँ...
सोम - नहीं काकी. ऐसा नहीं है. हम भी बहुत चिंता करते हैं की कोई गड़बड़ न हो. देखो न जब से यह लोग आये हैं मैं ऑफिस से सीधे शाम को ही आता हूँ. नहीं तो पहले थोड़ी थोड़ी देर में आ जाता था ऑफिस से चुदाई करने को....
नीलू - - हाँ काकी. और मैं भी तो घर में सलीके से रहती हूँ..अब रात में तो नहीं सबर होता न.इसलिए रात में थोडा रंडी पन तो किया जा सकता है न.
काकी -अच्चा बाबा तुम जीते मैं हारी. मैं तो बस इसलिए कह रही थी की हमारी इतने समय की मेहनत से यह सब सेट हुआ है तो कहीं कुछ गड़बड़ न हो जाये.
सोम - कुछ नहीं होगा काकी. तुम बेकार में इतना ज्यादा परेशान न रहा करो. हमें भी अच्चा नहीं लगता तुम्हें इतना परेशान देखना.
काकी - अच्चा? तो क्या देखना अच्चा लगता है?
सोम- मुझे तो तुम्हारी भोस में नीलू का मुंह देखना अच्चा लगता है और तुम्हारे मुंह में अपना लौड़ा देखना अच्चा लगता है...
काकी - लेकिन मुझे तो नीलू की भोस में तेरा लौड़ा और अपने मुंह में तेरी आंड देखना अच्चा लगता है.
नीलू - और मुझे तुम दोनों को इस तरह की चुदासी बातें करते देखना अच्चा लगता है....
अब तीनो के लिए और वेट करना मुश्किल था...अब तक काकी की सारी भी खुल चुकी थी और वो भी उन दोनों की ही तरह एकदम नंगी हो गयी थी......काकी का बदन अब भी काफी टाइट था..इतनी उम्र के बाद भी इतना टाइट बदन होना अपने आप में बड़े कमाल की बात थी.....नीलू सोम और काकी अक्सर साथ साथ चुदाई करते थे....लेकिन काकी सिर्फ रात में ही चुदती थी. दिन के समय में वो बस थोडा बहुत चूस लेती थी या चुसवा लेती थी लेकिन चुदाई नहीं करवाती थी....काकी का कहना था की अब इस उम्र में उसे अपनी भोस थोडा सोच समझ के खर्च करनी चाहिए नहीं तो उसकी टाइटनेस अब ख़त्म हुई तो हमेशा के लिए ही वो फटा भोसड़ा बन जाएगी....दिन के समय में अक्सर सोम और नीलू ही चुदाई करते थे...नीलू भी इससे खुश थी क्योंकि कभी कभी उसकी भी यही चाहत होती थी की सिर्फ वो और सोम रहें....वैसे तो सोम और नीलू दूसरों के साथ भी खुल्लम खुल्ला चुदाई करते थे लेकिन आखिरकार मिया बीवी होने से दोनों का एक दुसरे पर कुछ तो हक था ही अकेलेपन में चुदाई करने का........
काकी उठ के बिस्टर पर आ गयी और वो सोम के उपर झुक गयी.,...सोम बिस्टर पर टिक कर बैठा हुआ था....काकी उसके लंड पर झुक गयी और लंड को मुंह में ले लिया.....सोम का लंड पहले से ही तना हुआ था तो उसमे गीलापन बहुत था..काकी वो सारा चाट गयी और उसने साथ ही अपनी कमर पीछे की तरफ से उठा दी...नीलू उठी और अब वो काकी के ठीक पीछे आ गयी और उसने अपने हाथों से काकी की बुर की दोनों फांकों को अलग किया..काकी का भोसड़ा खुल गया था..उसका छेद जो की एकदम पिंक था वो अपना मुंह खोले नीलू की जीभ का वेट कर रहा था...नीलू ने उन फांकों को थोडा और खोला और काकी की भोस पर अपनी जीभ टिका दी.....एक तरफ से नीलू काकी को चूस रही थी और आगे से काकी सोम का लौड़ा पी रही थी....
कुछ ही देर में लंड और चूत एक दुसरे में घुस जाने के लिए तैयार थे.....काकी नीचे आ गयी....पीठ के बल लेट गयी और सोम उसके सामने आ गया..उसने काकी की कमर के नीचे दो तकिया लगा दी और खुद पोजीशन में आ गया....इधेर नीलू उठ ने काकी के चेहरे के दोनों तरफ टांगें कर के कड़ी हो गयी....सोम धीरे धीरे काकी की भोस में अपना लंड डाल रहा था और नीलू धीरे धीरे काकी के मुंह पैर बैठ गयी थी....काकी नीचे से चुद रही थी और नीलू की चूत अब उसके मुंह के ठीक उपर थी तो वो जीभ निकाल के नीचे से नीलू की चूत भी चाट रही थी....नीलू उपर से अपनी कमर को जोर जोर से हिला रही थी और अपनी चूत को काकी के मुंह पर रगड़ रही थी..उधेर सोम ने शुरू से ही तूफानी धक्के देना शुरू केर दिया था....चूत भले ही कितनी भी टाइट हो लेकिन जब ९ इन्च का लंड इतनी तेजी से अन्दर बहार होता है तो हालत बिगड़ ही देता है...यही कारन था की काकी जैसी चुदासी औरत भी बहुत जल्दी ही झड़ने की कगार पर पहुच गयी थी....सोम को अपने लंड पर काकी की टाइट होती चूत का पता चल गया....चूत खुद ही लंड को निचोड़ रही थी...सोम ने जल्दी नहीं की..पहले उसने रफ़्तार धीमी की और फिर लंड को पूरा ही बहार निकल लिया.....नीलू को भी समझ में आ गया था की क्या हो रहा है....यह तीनो इतने सालों से एक साथ चुदाई कर रहे थे की इन्हें अब कुछ कहने की जरुरत नहीं पड़ती थी..बस इशारों इशारों में ही साडी बात हो जाती थी....इसलिए जैसे ही सोम ने लंड बाहर निकला वैसे ही नीलू ने पूरी ताकत से अपनी चूत काकी के मुंह पर घिसनी शुरू कर दी क्योंकि वो जानती थी की लंड बाहर अ अजाने से काकी सोम को गाली देने वाली है...लेकिन उसने कुछ बोलने का मौका ही नहीं दिया.........दोनों की इस मिली भगत ने काकी को बहुत गुस्सा दिला दिया...उसने नीचे से ही अपने मुंह पर रगडती हुई नीलु की चूत को दांतों के बीच दबाया और जोर से काट दिया....नीलू को इसका अंदाजा नहीं था..काकी के ऐसा काटने से नीलू की चीख निकल गयी.......एक जमाना था जब यह तीनो इसी तरह एक दुसरे काट के मार के चिल्ला के पूरी रात चुदाई करते थे लेकिन अब वो समय बदल गया था..इसीलिए जैसे ही नीलू के मुंह से चीख निकली वैसे ही पीछे से सोम ने उसके मुंह पर हाथ रखा और उसे काकी के उपर से धकेल के बिस्तर पर गिरा दिया...काकी भी हडबडा के उठी....तीनो ने एक दुसरे को देखा और इशारों में थोड़ी देर शांत वैसे ही बैठे रहे और ध्यान से सुनते रहे की क्या बाहर कोई हलचल हो रही है....शंका इस बात की थी की कहीं बच्चों ने यह चीख न सुन ली हो और कहीं वो कमरे में न आ जाये.......तीनो उसी स्थिति में बैठे रहे जैसे उन्हें सांप सूंघ गया हो.....और फिर करीब पांच मिनट तक इन्तेजार करने के बाद जब कुछ नहीं हुआ तो तीनो नार्मल हो गए.....काकी ने नीलू को देखा तो नीलू हंस दी....काकी भी थोडा सा हंसी..उसे भी अपनी शरारत खुद ही पसंद आई थी....तीनो फिर शुरू हो गए...लेकिन इस बार तीनो बहुत सावधान थे और बहुत ही सिंपल सेक्स कर रहे थे....
कुछ देर बाद जब चुदाई ख़त्म हुई तो काकी ने अपने कपडे समेटे और सोम के रूम से लगभग भागती हुई अपने कमरे में आ गयी....अब काकी सोने वाली थी और सोम और नीलू भी कुछ देर चुम्मा चाटी करने के बाद सोने वाले थे.........
सोम - आज तो काकी ने मस्त मूव किया न तुम्हारी चूत काटने का.
नीलू- हाँ मजा आ गया...कुछ ज्यादा ही तेज से काट दी...अभी तक दुःख रही है....
सोम - अच्चा सुनो इंदु का बार बार कॉल आ रहा है...क्या करें उसका?
नीलू - हाँ. बाकी लोग भी कॉल कर रहे हैं. करीब दो हफ्ते हो गए उन सब को गोली दे रहे हैं हम लोग. और कितने दिन तक ऐसा चलेगा.
सोम - हाँ. कहीं वो लोग नाराज न हो जाएँ..कुछ तो करना पड़ेगा न...
नीलू - हमने तो सबसे पैसे भी ले लिए हैं. और इस बार अगर नहीं की पार्टी तो अगली बार कोई शामिल नहीं होगा.
सोम - अच्चा खासा धंधा चौपट हो जायेगा. लेकिन बच्चों का क्या करें...
नीलू- एक काम करते हैं. बच्चों से कहते हैं की हमारी बिज़नस ट्रिप है इसलिए हम दो दिन के लिए बहार जा रहे हैं.और फिर हम लोग फार्म हाउस में पार्टी कर लेंगे और बच्चे यहीं रहेंगे.
सोम - और अगर उन दो दिनों में बच्चों ने फार्म हाउस जाने का प्लान बना लिया तो...हम तो वहीँ रहेंगे तो फिर क्या बताएँगे उन्हें?
नीलू - तो फिर काकी को बच्चों के पास छोड़ देंगे वो बच्चों को यहीं पर रोके रखेंगी.
सोम - लेकिन हमने कभी काकी के बिना पार्टी नहीं की है. कैसे मैनेज कर पाएंगे हम लोग. सबा कुछ तो वही मैनेज करती हैं.
नीलू - तो फिर तुम ही कोई आईडिया दो न? हर आईडिया को ख़ारिज मत करो. कुछ सोचो भी. मैं ही अकेले सोच रही हूँ.
सोम - नाराज मत हो यार . मैं भी तो परेशां हूँ.
नीलू - एक काम करते हैं..इस बार पार्टी इंदु के यहाँ कर लेते हैं....लेकिन वो भी ठीक नहीं रहगे. एक बार उसके यहाँ हम करेब तीन चार लोग थे रत की पार्टी में तो उसके पड़ोसियों ने थाणे फोन कर दिया था.पुलिस ने हालत ख़राब कर दी थी हमारी. उसके यहाँ का पड़ोस अच्चा नहीं है.
सोम - हाँ. हमारे यहाँ ही इतनी बड़ी खुली और शांत जगह है.इसीलिए सबको हमारा ही घर पसंद है. हमने कोई रंडी खाना थोड़ी न खोला हुआ है. मैं तो कहता हूँ की एक मीटिंग में इन लोगों को बता देते हैं की हमने अब यह काम बंद कर दिया है.अगर तुम लोग अरेंज करो और हमें भी बुलाओ तो हम आयेंगे जरुर लेकिन अब हम अरेंज नहीं कर पाएंगे. हमारे बच्चे आ गए हैं.
नीलू - हाँ मेरे ख्याल से ये ठीक रहेगा.....कल काकी से भी बात कर लेंगे और फिर इंदु को बुला लेंगे. अगर इंदु समझ गयी तो बाकी के सब लोग भी समझ जायेंगे. और फिर देखो न...बच्चों का भी तो ख्याल रखना है न हमें. हम तो उन्हें ऐसे ट्रीट कर रहे हैं जैसे उनके आने से हमें किनती परेशानी हो रही है.उन्हें अगर ऐसा फील हो गया तो कितना बुरा लगेगा उन्हें....सुनो यही करते हैं. इंदु को समझा देते हैं की हम लोग नहीं कर पाएंगे मेनेज......
सोम - हाँ यही ठीक रहेगा. कम से कम खुले मन से बच्चों के साथ तो रह पाएंगे. नहीं तो यहाँ तो सारा दिन ही चुदास छड़ी रहती है.देखो न हमारी उम्र के बाकी लोग तो अब तक पूजा पाठ में मन लगाने लगते हैं. एक हम ही हैं जो इतने अय्याश हैं....अब यह अय्याशी बंद...अब बस हम तीन आपस में कभी कभी कर लेंगे. बाकी लोगों का आना जाना बंद अब....
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