RE: Desi Sex Kahani मौका है चुदाई का
नीलू की इस पिक ने दोनों की जैसे एक बड़ा झटका सा दे दिया....ये पिक सिस्टम पर आते ही बिना कुछ सोचे ही भानु का हाथ सीधे मॉनिटर पर गया और उसने मॉनिटर बंद कर दिया. गनीमत थी की उसने सीपीयू नहीं बंद किया था.सिर्फ मॉनिटर ही बंद किया था और उसके तुरंत बाद ही रानी भी एक झटके से उठी और बिना कुछ कहे उस कमरे से बाहर आई और अपने कमरे में चली गयी...भानु को तो जैसे सांप सूंघ गया हो...वो बस एक जगह बुत बन के खड़ा हुआ था.......दोनों अभी कुछ देर पहले तक दुसरे लोगों की पिक्स देख देख के उनके गांड चूची की बात कर रहे थे और इसी धुन में अपनी मम्मी की ही ये तस्वीर उन्हें झकझोर गयी......दोनों के दिमाग में ही इस समय कुछ चल ही नहीं रहा था..जब कोई बड़ा झटका लगता है तो कुछ देर के लिए दिमाग सुन्न हो जाता है. सोचने की शक्ति चली जाती है. दोनों का वही हाल हुआ था....उस पिक को देखने के बाद अब दोनों एक दुसरे के सामने कैसे आयेंगे और कैसे उस पिक को इगनोर करेंगे..या अगर बात करेंगे तो क्या बात करेंगे उसके बारे में..कैसे बात कर सकते हैं उस पिक के बारे में...वो तो उनकी अपनी मम्मी की पिक थी...और पिक देख के साफ़ पता चल रहा था की वो किस आनंद में डूबी हुई थी जिस समय ये पिक ली गयी थी.....कैसे ये सब देख के भी वो अनदेखा कर देंगे??? वो तो एक एक पिक को ज़ूम कर कर के उसकी एक एक बारीकी देख रहे थे और यहाँ इस पिक ने तो बिना ज़ूम किये ही वो बारीकी दिखा दी थी जो वो कभी देखने की सोच भी नहीं सकते थे.....मस्ती मस्त के चक्कर में दोनों के सामने एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया था की अब क्या करें........
दूसरी तरफ....
काकी अपने कमरे में आ के बैठी ही थी की सोम और नीलू दरवाजा खोल के अन्दर दाखिल हुए.....खाने की टेबल पर बच्चों ने जो फार्म हाउस जाने वाली बात कही थी उस बात ने इन तीनो के मन में एक ही भाव जगाया था..तीनो को लगा था की यही सही मौका है और हमें इस मौके का फायदा जरुर उठाना चाहिए......अभी वो दोनों काकी के कमरे में इसी बारे में बात करने के लिए आये....काकी उन्हें आते ही बोल पड़ी...
काकी - मैं न कहती थी कुछ न कुछ राह निकल ही आएगी.
नीलू - ये तो तुम ने कभी नहीं कहा. ये तो इंदु कहती थी की कुछ न कुछ राह निकल ही आएगी...हा हा हा हा हा
काकी - हाँ चलो उसी की बात सही...पर सच में बड़ा मजा आया मुझे सुन केर. हमें तो अपने आप ही मौका मिल गया कुछ करना भी नहीं पड़ा...
नीलू - हाँ...मैं तो भगवन का शुक्र मनाती हूँ की इन दोनों को ये ख्याल आ गया...मैंने सोम को कह दिया है की फार्म में सब मेनेज कर देंगे इनके लिए.
काकी - हाँ सोम. ध्यान देना जरा. वहां की सब व्यवस्था ठीक हो जाये. इन्हें दो दिन तक वहां किसी चीज की तकलीफ न हो. स्टाफ को सब समझा देना और हर चीज ले जा के रख देना वहां पर..
नीलू - हाँ काकी कहीं ऐसा न हो की हम लोग नंग धडंग बैठे रहें और इतने में ही ये दोनों आ जाएँ....हा हा हा हा..
सोम - आज ये बहुत ज्यादा हंस रही है न ?
काकी - हाँ हाँ आज तो इसके हंसने का दिन है...देख नहीं रहे थे इतने दिनों से कैसे मुंह लटकाए बैठी थी..जैसे इसकी माँ मर गयी हो...
नीलू - माँ मेरी नहीं बल्कि मेरी चूत की मर गयी थी..इतने दिनों से कुछ घुसा ही नहीं था ठीक से अन्दर.
सोम - तेरी चूत तू किसी दूकान से खरीद के नहीं लायी है. जो तेरी माँ है वही तेरी चूत की भी माँ है.
काकी - अच्छा अच्छा ये बहस बंद करो...और जरा नोटबुक ले के बैठो तो...अभी बहुत सारी तयारी भी तो करनी है न..
सोम - हाँ मैंने पहले ही फार्म के मेनेजर को बता दिया है की बच्चे आने वाले हैं. वो सब काम कर लेगा. मैं शाम को जा के चेक कर लूँगा...और कल के लिए जो शौपिंग करनी है वो लिस्ट तुम लोग बना लो तो शाम को लौटते समय वो भी लेता आऊंगा...
काकी - हाँ यही ठीक रहेगा. शाम को सोम बाहर जा के सब काम कर लेगा और हम दोनों अन्दर के काम सब कर लेंगे. ताकि कल सुबह से ही सारी तैयारियां ख़त्म रहें और पार्टी जल्दी शुरू की जा सके...
नीलू - मैं सोच रही थी की इस बार हम पार्टी को सन्डे शाम को ख़त्म कर देंगे. तो हमारे पास सब कुछ साफ़ करने के लिए और ठीक करने के लिए पूरी एक रात रहेगी. और फिर मंडे तक तो बच्चे आ जायेंगे वापस...
काकी - हाँ ये ठीक रहेगा. मैं इंदु से इस बारे में बात कर लूंगी.
सोम - अच्छा अब बातें बंद और काम शुरू...सबसे पहले क्या काम करना है...?
(अब तक काकी अपने बिस्तर पर बैठी हुई थी. नीलू कुर्सी पर थी और सोम टहल रहा था....सोम ने काम की बात पार्टी के बारे में कही थी लेकिन नीलू कल से ज्यादा आज मजे करने में यकीन रखती थी..सो वो कुर्सी से उठी और बेड पर आ केर लेट गयी...उसने अपनी सारी को कमरे के उपर कर लिया जिससे उसकी गीली पेंटी दिखने लगी और वो सोम से बोली...)
नीलू - सबसे पहले तो मेरा काम कर दो फिर बाकी के काम करना...क्यों काकी ??
सोम - यार मेरे मन की बात कह दी तूने. मैं तो तब से सोच रहा था की एक राउंड हो जाये लेकिन मुझे लगा की काकी जरुर गुस्सा होगी इसलिए नहीं कहा...वाह मेरी रानी तू तो बहुत तेज निकली.
नीलू - तेरे लंड ने तेज बना दिया रे मुझे. नहीं तो मैं तो एकदम बकरी जैसी भोली थी...
काकी - हाँ बकरी जैसी भोली थी और जैसे ही पहली बार लंड चूत में घुसा तो बुलंद दरवाजे वाली रंडी बन गयी......
सोम - अरी कहाँ...मेरी नीलू तो अभी भी इतनी टाइट है की कोई कच्ची कमसिन छोकरी भी इसकी चूत के सामने शर्मा जाए..कहाँ इसकी चिकनाई और कहाँ रंडियों के भोसड़े..कोई तुलना ही नहीं है.....तुझे क्या पता काकी तेरे पास तो लंड ही नहीं है....जब नीलू की चूत में घुसता है न तो लगता है जैसे मक्खन में घुसेड रहा हूँ..इतनी कोमल है ये अन्दर से...
काकी - इतनी कोमल है तो घुस जा मादरचोद इसी के भोसड़े में...
नीलू - तू मत जल रे रंडी आज तेरी भी ठुकेगी...और फिर कल तो पार्टी में सब तेरा ही भोग लगायेंगे सबसे पहले...जैसे बड़ी बड़ी गाड़ियाँ होती हैं जो कुछ ही पलों में बहुत तेज गति पकड़ लेती हैं और हवा से बातें करने लगती हैं...वैसे ही ये तीनो भी थे..एक पल में तो इतने शरीफ की जो देखे इज्जत से सर झुका ले और दुसरे ही पल में इतनी बड़ी रंडियां की बड़ी बड़ी चुदैल भी अपने कान और अपनी चूत पर हाथ रख के भाग जाये इनका रंडी पन देख के.....और अब ये तीनो ही रंडी वाले रूप में आ गए थे.....सोम ने अपनी पेंट की ज़िप खोली और सीधे लंड बाहर आ गया.....उसने आजकल घर में अंडरवियर पहनना बंद कर दिया था..उसका कहना था की पता नहीं कब कहाँ से चुदाई का मौका मिल ही जाए तो ऐसे में कपडे उतरने में समय क्यों बर्बाद करना...सीधे पेंट खोलो और लंड ले लो....नीलू को तो मजबूरन पेंटी पहननी पड़ती थी नहीं तो उसकी चूत से इतना पानी गिरता था की उसकी पूरी टांगें चिपचिप होने लगती थीं.....उधर काकी को तो दिन भर ऐसी ही चिपचिपी टाँगे ले के फिरने की आदत थी..उसने तो न जाने कब से अपनी चूत के उपर पेंटी नाम की चीज डाली ही नहीं थी......इधर नीलू ने अपनी सारी उठा के पेंटी उतारी और सोम ने अपना लंड निकला और उधर काकी भी अपनी टाँगे चौड़ी कर के मैदान में कूद पड़ी.....पहला नंबर आज नीलू का था......
पहले से गीली चूत को फोरप्ले की जरुरत नहीं होती.....सोम ने भी इसमें समय नहीं गंवाया और सीधा ही नीलू की चूत पर अपना लंड टिका दिया....काकी ने नीलू को पूरा बिस्तर पैर खीच लिया था..सोम ने लंड टिकाया और काकी की तरफ देखा काकी ने इशारा कर दिया और इधर सोम का लंड अंदर घुसा चूत में और उधर काकी बैठ गयी नीलू के मुंह पर...लेकिन आज वो अपनी चूत नहीं बल्कि गांड का स्वाद दे रही थी नीलू को....वैसे तो बड़ा लंड जब अन्दर जाए तो औरत सिर्फ उस लंड को सम्हालने में बिजी रहती है लेकिन नीलू बहुत खेली खायी थी...वो एक साथ ही चुद भी सकती थी और चाट भी सकती थी..........सोम ने बिना किसी देरी के तेज शॉट लगाने शुरू किये और काकी ने अपनी गांड घिसनी शुरू केर दी नीलू के मुंह पैर..नीलू पूरी जीभ बाहर निकाल के काकी की गांड को चाट रही थी........और फिर काकी ने अपने हाथ से नीलू का ब्लाउज खोला और उसकी चुचिया आजाद कर दी....सोम ने आगे झुक केर एक चूची पकड़ ली और काकी ने दूसरी चूची पकड़ ली....सोम धक्के दे रहा था और चूची को मसल नहीं बल्कि रौंद रहा था....और काकी अपनी गांड से नीलू का मुंह चोद रही थी और दूसरी चूची को हाथ में ले के उसे इस तरह खीच रही थी जैसे उखाड़ लेना चाहती हो....नीचे पड़े पड़े नीलू एक तरफ से लंड का स्वागत कर रही थी और दूसरी तरफ से गांड की आवभगत कर रही थी...तीनो ही एक रिदम में आ गए थे....अब सोम ने नीलू को मारना शुरू किया...पहले थप्पड़ उसकी चुचियों पैर ही पड़े...वैसे ही थप्पड़ या तो गांड पर पड़ते थे ये मुंह पैर लेकिन आज नीलू का मुंह बिजी था और गांड नीचे थि इसलिए ये सुख उसकी चुचियों को मिला.....सोम पूरा हाथ घुमाता और उसकी एक चूची पर जोर की चपत लगता...चूची पूरी उछाल सी जाती और फिर वो दूसरी चूची जो की काकी ने पकड़ी थी उसका भी यही हाल करता.....उसके ढककर लगातार तेज होते जा रहे थे..वो लंड को पूरा जड़ तक अन्दर चापं देता और फिर लगभग पूरा ही बाहर निकाल के फिर से उतनी ही जोर से थाप देता.......तभी नीलू ने अपना हाथ लहरा के कुछ इशारा किया और किसी मशीन की तरह तीनो के शरीर में हरकत हुई.....पुक्क की आवाज के साथ सोम का लंड चूत से पूरा बाहर निकल गया....वो नीलू क उपर से उठ गया...काकी भी नीलू के उपर से उठ गयी और वहीँ अपनी जगह पर ही चरों हाथ पैर पर झुक के घोड़ी बन गयी.....नीलू ने काकी के कपडे इस तरह एक किनारे किये की उसका नीचा का हिस्सा नंगा हो गया और नीलू ने वही नीचे लेते लेते ही अपने सर के नीचे एक तकिया रख लिया.....सोम बेड पर थोडा उपर आ गया....अब सीन कुछ ऐसा था की नीलू सबसे नीचे लेती थी...उसके मुंह के उपर काकी घोड़ी बनी हुई थी....और सोम उठ के नीलू के शरीर के दोनों तरफ पैर कर के खड़ा हो गया था..फिर वो घुटनों के बल बैठा और उसके अपना लंड काकी की गांड पर टिका दिया.....नीलू ने नीचे से काकी की कमर पर हाथ लपेटे और थोडा जोर लगा के अपना मुंह उपर किया......नीलू और सोम एक दुसरे के देख नहीं प् रहे थे लेकिन नीलू ने जैसे ही हाथ से दूसरा इशारा किया वो समझ गया और उसने एक ही झटके में लंड गांड में चांप दिया.....और ठीक उसी पल नीलू ने काकी की चूत में अपनी जीभ घुसेड दी.....अब काकी अपने दोनों छेदों में हमले ले रही थी...एक तरफ नीलू की जीभ और दुसर तरफ से सोम का मुसल जैसा लौड़ा.....और फिर से इन्हें रफ़्तार पकडे में देर नहीं लगी..करीब ५ मिनट तक ऐसी चुदाई के बाद फिर से पोजीशन बदली और इस बार सोम नीचे लेट गया....नीलू उचल कर उसके लंड को चाटने लगी और काकी ने पोजीशन बदल केर सोम के मुंह पैर हमला किया.....नीचे से सोम काकी की चूत चाट रहा था और नीलू सोम का लंड चाट रही थी...नीलू ने सोम की कमर को थोडा सा हाथ से हिलाया तो सोम ने अपनी कमर उपर कर ली...अब नीलू ने सोम की गांड का स्वाद लेना शुरू किया.....तीनो अपने अपने चरम पर आने ही वाले थे..तीनो की रफतार बहुत तेज हो गयी थी....और फिर वो समय भी आ ही गया..बड़े दिनों बाद आज तीनो अपने चरम पर एक साथ पहुचने वाले थे...नीलू ने अपनी चूत में अपनी तीन उँगलियाँ डाली हुई थी...सोम का लंड भी उसके मुंह में था और काकी की चूत सोम के मुंह में थी...और फिर लगभग एक साथ ही तीनो के शरीर टन गए......नीलू ने सोम का लंड पूरा मुंह के अन्दर तक ले लिया...सोम ने काकी की चूत को कस के अपने दांतों के बीच दबा लिया और काकी ने अपनी साँसे एकदम ढीली चोर के अपनी चूत से रस की नदी बहा दी.......कुछ देर तीनो ऐसे ही लुडके पड़े रहे...और सबसे पहले काकी बोली....
काकी - मादरचोद.......
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