RE: Antarvasna kahani जुआरी
कुछ ही देर में कामिनी बाहर आ गयी, उसके हाथ में एक ब्रीफ़कसे था, वही शायद वो लेने आई थी...
पर कार की तरफ आते हुए वो जिस अंदाज से लड़खड़ा कर चल रही थी उससे सॉफ पता चल रहा था की वो अंदर पेग लगा कर आई है...
कुणाल तो उसके महकते हुए जिस्म और बहकति हुई चाल देखकर कुछ करने के सपने देखने लगा.
जब वो बाहर निकले तो कुछ आगे आकर कामिनी अपनी बहकती हुई आवाज़ में बोली : "कुणाल....मुझे ज़ोर से सुस्सू लगा है....''
उसकी इस बात को सुनकर कुणाल भी हँसे बिना नही रह सका... शायद 'सुस्सू' वर्ड सुनकर
ये काम तो वो अपनी फ्रेंड के घर भी कर सकती थी...
पर वो कहते है ना, चुदाई की भूख और इंसान का सुस्सू कभी भी लग सकता है...
शायद वही हाल कामिनी मेडम का भी हो रहा था.
कुणाल के दिमाग़ में एक शरारत आ चुकी थी...
वो चाहता तो गाड़ी को किसी फेमस रेस्टोरेंट या माल के पास रोक सकता था, जहाँ कामिनी मेडम अपना मूत निकाल सकती थी...
पर उसने ऐसा किया नही...
वो गाड़ी चलाता रहा क्योंकि उसे पता था की रास्ते में एक सुनसान रास्ता भी आता है...जहाँ सड़क के दोनो तरफ पेड़ ही पेड़ है.
वहां पहुँचते-2 कामिनी भी मचलने लगी थी, उसे देखकर सॉफ पता चल रहा था की कितना तेज लगा है उसे..
कुणाल ने एक सुनसान सी जगह देखकर गाड़ी पगडंडी पर उतार दी...
और घने झाड़ के पास पहुँचकर बोला : "मेडम जी...जल्दी से कर लो...यहाँ कोई नही देखेगा...''
ये सुनकर तो कामिनी भी हैरान रह गयी....
कहां वो हाइ सोसायटी में रहने वाली अमीर औरत और ये कुणाल उसे गँवार औरतों की तरह, खुल्ले में मूतने के लिए कह रहा है...
और वो भी ज़मीन पर बैठकर...
आज तक वो बिना कमोड के कहीं बैठी ही नही थी...
इसलिए गुस्सा उसके चेहरे पर सॉफ देखा जा सकता था.
पर ये वक़्त गुस्सा करने का था ही नही, उसके पास टाइम ही नही था...
उसे लग रहा था की थोड़ी देर और रही तो उसका मूत निकल जाएगा...
इसलिए जगह की परवाह ना करते हुए वो गाड़ी से उतरी और भागकर घनी झाड़ियो के पीछे पहुँच गयी...
पर वहाँ अंधेरा ही इतना था की उसकी फट्ट कर हाथ में आ गयी.
उसने तुरंत कुणाल को आवाज़ लगाई...वो तो गाड़ी से निकल कर जैसे इसी पल की प्रतीक्षा कर रहा था...
कुणाल भागता हुआ उसके करीब आया..
कामिनी : "कुणाल....ये ...ये कैसी जगह है...इतना अंधेरा...मुझे तो बड़ा डर सा लग रहा है.....तुम....तुम....यहीं रुकना ....पर इधर मत देखना.... ओके ...''
और कुणाल के जवाब की प्रतीक्षा किए बिना ही वो दूसरी तरफ घूमी और अपनी टाइट स्लैक्स को नीचे करके ज़मीन पर मोरनी बनकर बैठ गयी...
कुणाल इतना कमीना था की उसने दूसरी तरफ मुँह किया ही नही था...
और अंधेरे में ही सही पर उसने चाँद को बहुत करीब से देखा...
गोल गुंबद के आकार की कसी हुई गांड, जिसे जीन्स में देखकर उसकी आहह निकल गयी थी, कुणाल से मात्र 2 फीट की दूरी पर थी...
और नीचे बैठकर जब सुरर्र की आवाज़ के साथ उसका गोल्डन पानी बाहर निकला तो उसकी महक से कुणाल अंदर तक सिहर गया....
ऐसी फीलिंग तो देसी पीकर भी नही आती थी.
वो काफ़ी देर तक मूतती रही..सच ही कह रही थी वो,काफ़ी ज़ोर से लगी थी उसे.
और अंत में जब उसका ब्लैडर पूरा खाली हो गया तो वो उठ खड़ी हुई और एक बार फिर से कुणाल ने वो चाँद चमकते देखा...
वो जैसे ही पलटी तो उसने कुणाल को अपनी गांड को घूरते देख लिया...
और उसके तन-बदन में एक बिजली सी कौंध गयी..
ये सोचकर की उसकी नंगी गांड उसके ड्राइवर ने देख ली है.
पर जैसे ही वो गाड़ी की तरफ जाने लगी, कुणाल बोला : "ओ मेडम जी, थोड़ा रूको तो ज़रा...आपको पेशाब करते देखकर मुझे भी लग गया है...मैं भी कर ही लेता हूँ ...''
इतना कहते हुए वो कामिनी के करीब से होता हुआ आगे तक आया और अपना लंड निकाल कर पेशाब करने लगा..
उसने तो कामिनी के कुछ कहने की भी प्रतीक्षा नही की और ना ही इस बात का ध्यान रखा की वो काम थोड़ा छुप के कर ले..
वो जिस एंगल में खड़ा था, उसका मोटा लंड कामिनी को सॉफ दिखाई दे रहा था...
बाहर से निकलती गाड़ियों की रोशनी रुक-2 कर उसके लंड पर पड़ती तो कामिनी को वो सॉफ नज़र आ रहा था...
और ये सब उसने जान बूझकर किया था...
ताकि वो कामिनी को अपना लंड दिखा कर उसे उकसा सके.
और कामिनी पर उसका असर हो भी रहा था...
एक तो पहले से ही वो शर्मिंदगी से गड़ी जा रही थी की उसकी नंगी गांड को कुणाल ने देख लिया है, उपर से कुणाल के इस तरह से बेशर्मी भरे व्यवहार को देखकर, उसे मूतता देखकर,कामिनी को कुछ-2 होने लगा था...
उसकी छूट गीली हो रही थी.
ये तब भी हुआ था जब उसने सुबह कार की सीट पर कुणाल के माल को चखा था...
वही चिर-परिचित सी महक एक बार फिर से फ़िज़ा में फैल रही थी...
शायद कुणाल के लंड पर लगे प्रिकम का कमाल था ये.
मूतने के बाद कुणाल धीरे-2 अपने लंड को मसलने लगा...
और देखते-2 देखते उसका लंड अपने पूरे आकार में आकर फुफ्कार रहा था.
और ये सब देखकर, कामिनी ,जो उससे सिर्फ़ गज भर के फ़ासले पर खड़ी थी, मंत्रमुग्ध सी होकर उसे ही देखने लगी...
उसे मतलब उसके लंड को...
ऐसा लग रहा था जैसे किसी तांत्रिक ने उसे अपने सम्मोहन में बाँध लिया है...
कुणाल भी समझ चुका था की उसकी चाल कामयाब हो रही है...
वो अपनी ही स्पीड से लंड को मसलता रहा....
धीरे-2 मूठ मार रहा था वो कामिनी मेडम की आँखो के सामने.
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