RE: Antarvasna kahani जुआरी
कामिनी : "विजय, सॉफ-2 कहो, क्या करना होगा गेम जीतने वाले के लिए...''
उसकी लड़खड़ाती आवाज़ बता रही थी की उसे चढ़ चुकी है..
विजय : " देखो भाई, कुणाल और मैं ये गेम खेलेंगे...तीन पत्ती का.. और पैसो के बदले हम कुछ सर्वीसेज़ रखेंगे... जैसे अभी तुम पायल से बॉडी मसाज करवाने जा रही थी, वो गेम में रखेंगे.. गेम में अगर कुणाल जीत गया तो पायल जीती हुई मानी जाएगी, और मैं जीता तो तुम जितोगी, और जो हारेगा, वो दूसरे की मसाज करेगा...''
कामिनी को पूरा विश्वास हो गया की आज विजय का दिमाग़ खराब हो गया है...
एक नौकरानी की मालिश वो क्यो करेगी...
पर विजय के सामने कुछ बोलने का मतलब था उससे डांट खाना, इसलिए वो चुप रही..
विजय : "और इस तरह से हम हर गेम से पहले कुछ डिसाईड कर लिया करेंगे की हारने वाली टीम क्या करेगी...ओके ..''
इतना कहकर उसने पत्ते बाँट दिए...
अब ब्लाइंड या चाल चलने वाली गेम तो थी नही ये, इसलिए दोनो ने अपने-2 पत्ते उठा लिए..
विजय के पास 6 का पैयर आया था...
उसने मुस्कुराते हुए पत्ते नीचे फेंक दिए...
जवाब में कुणाल भी मुस्कुराया और उसने 6 के पेयर पर अपना 8 का पेयर खींच कर दे मारा...
यानी पहली बाजी कुणाल जीत गया...
और परिणाम स्वरूप कामिनी को अब पायल की मसाज करनी थी..
पर अब सवाल ये था की कैसे.. और कहाँ...
इसका भी जवाब विजय ने ही दिया...
वो बोला : "और जो भी होगा, यहीं ड्रॉयिंग रूम में, किसी भी चीज़ के लिए कोई अंदर या बाहर नही जाएगा...''
विजय की बात सुनकर कामिनी के साथ-2 पायल भी शर्मा कर रह गयी...
यानी पायल को अपने पति और मालिक के सामने ही अपनी मालकिन से मसाज करवानी पड़ेगी..
पर कोई कुछ बोल ही नही पाया...
मंत्री जी के सामने किसी और के बोलने की हिम्मत ही नही थी...
कुणाल भी इस गेम से होने वाले फायदे और नुकसान का हिसाब लगाने लगा, और जल्द ही उसे भी पता चल गया की इस गेम में भले ही पैसे नही मिलेंगे पर मज़ा बहुत मिलने वाला था...
कामिनी ने अपना पेग एक ही बार मे खाली कर दिया, और पायल को पकड़कर लंबे सोफे पर ले आई और उसे लेटने को कहा...
पायल बेचारी डरते-2 सोफे पर लेट गयी...
उसने कुणाल की तरफ देखा तो उसने निश्चिन्त होकर वैसा ही करने का इशारा किया...
अपने पति की स्वीकृति मिलने के बाद उसमे थोड़ी हिम्मत आई और वो लेट गयी..
कामिनी ने एक बॉडी लोशन निकाला और पायल की साड़ी खोलकर उसने निकाल दी...
और नीचे झुककर वो पायल के नंगे पेट, बाजू और गले की मालिश करने लगी...
दोनो मर्द एक दूसरे की बिबीयों को घूर-2 कर देख रहे थे...
कुणाल तो झुकी हुई कामिनी की बाहर निकली हुई गांड को देखकर सिसकारियाँ भरने लगा..
और विजय सोफे पर लेटी पायल के उतार चढ़ाव देखकर उत्तेजित हो रहा था..
कामिनी अपनी लाइफ में पहली बार शायद ऐसा काम कर रही थी, आज तक वो खुद मसाज करवाती आई थी पर आज उसे जब वो करनी पड़ रही थी तो वो थोड़ा सकुचा रही थी.
विजय समझ गया की कामिनी ऐसे ही करती रही तो खेल का मज़ा किरकिरा हो जाएगा..
इसलिए वो थोड़ी कड़क आवाज़ में कामिनी से बोला : "कामिनी बैबी, थोड़ा मन से करो... इसे खेल की तरह लो, ज़्यादा सोचो मत...''
कामिनी मंत्री जी की सख़्त आवाज़ का मतलब समझ गयी, इसलिए वो अपने को भूलकर पायल की मसाज करने लगी..
अचानक कामिनी के हाथ सरककर पायल के पेटीकोट में घुस गये और वो उसकी टाँगों और जांघों को मसलने लगी...
वो हाथ धीरे-2 उसकी चूत की तरफ जा रहे थे, और कामिनी के हाथों के अंदरूनी एहसास को महसूस करके पायल की टांगे काँप रही थी..
पर ऐसे सबके सामने वो कुछ शो नही करना चाहती थी, इसलिए उसने कस के आँखे बंद कर ली...
अब जो भी होगा देखा जाएगा
कामिनी पर भी अब मस्ती सवार हो चुकी थी, उसने जान बूझकर अपने हाथ की उंगलियाँ उसकी चूत से टच करवा दी, हालाँकि वो टचिंग पेटीकोट के अंदर हुई थी, पर उसका एहसास सभी ने महसूस किया...
और पायल के लाख कोशिशों के बाद भी, उसके मुँह से चीख निकलने से ना रुक सकी..
''आआआआआआआआआआआआआअहह सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स... म्*म्म्मममममममममम''
वो तो अपनी ही दुनिया में दोबारा खो सी गयी...
इस बात को भूलकर की उस कमरे में और भी लोग बैठे है, उसने कामिनी के हाथ को पकड़कर अपनी चूत पर ज़ोर से दबा दिया....
और कामिनी की नुकीली उंगली को अपनी चूत के अंदर लेकर जोरदार आवाज़ में बड़बड़ाने लगी..
''आआआआआआआअहह बीबीजी............... यही करो........ अंदर से करो.........''
कुणाल का पति भी अपनी पत्नी के इस अवतार को देखकर हैरान था, हालाँकि उसे कोई प्राब्लम नही थी
वहीं दूसरी तरफ विजय के मुँह से लार टपक कर ज़मीन पर जा गिरी
अब वो सोच ही ऐसे रहा था की पायल की रसीली चूत को वो चाट रहा है इसलिए लार निकलनी स्वाभाविक ही थी..
कामिनी भी मस्ती में आ चुकी थी...उसके हाथ तेज़ी से चलने लगे... और जल्द ही पायल का पूरा शरीर नागिन की तरह हिचकोले खाते हुए झड़ने लगा...
''आआआआआआआआआहह उम्म्म्मममममममम बीबिजीीइईईईईईईईईईईईई''
और जब वो शांत हुई तो कमरे में सभी के चेहरों पर शैतानी मुस्कान देखकर बेचारी शरमा कर रह गयी...
पहली ही गेम में माहौल खुल सा चुका था...
आने वाली गेम्स कितनी ख़तरनाक होने वाली थी, इसी का अंदाज़ा लगाने में सभी के दिमाग़ लगे थे.
विजय और कुणाल के तो कानों और आँखो में से धुँआ निकल गया ऐसा सीन देखकर..
जहाँ दोनो की बीबियाँ, मालकिन-नौकरानी के बीच का भेदभाव भूलकर, एक दूसरे को मज़ा दे गयी थी...
पर सबसे ज़्यादा मज़ा तो उन्हे मिला था
हालाँकि वो सिर्फ़ देख ही पाए थे
पर उन्हे ऐसे खुल्ले आम करते देखना भी करने से कम नही था...
और उन्हे अच्छी तरह से पता था की आने वाली गेम्स में ये रहे-सहे पर्दे भी गिर जाएँगे..
अब अगली गेम की बारी थी...
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