RE: Antarvasna kahani चुदाई का वीज़ा
ज़ाहिर सी बात है एक 60 साला बूढ़े आदमी को जब एक 24 साला जवान चूत नज़र आ जाए तो उस की तो जैसे लॉटेरी ही निकल आती है.
अब्बा भी मेरी जवान गरम चूत को देख कर मचलने लगे.
60 साल की उमर के होने का बावजूद उन का लंड मेरी चूत और मुझे देख कर तन गया था.
और अब वो मेरे अंदर घुसने के लिए बे करार हो कर उछल कूद में मसरूफ़ था.
अब्बा मेरे उपर लेट गये और उन का लंड मेरी चूत की दीवारों के उपर रगड़ खाने लगा.
मैने एक बार फिर अपने दोनों हाथों से अब्बा के सीने पर रख कर उन को अपने उपर से धकेलने की कॉसिश की.मगर एक मर्द होने के नाते अब्बा में मुझ से ज़्यादा ताक़त थी.
और अब्बा ने अपने लंड को मेरी चूत के उपर टिका कर एक धक्का मारा. तो उन का बूढ़ा लंड मेरी जवान चूत की दीवारों को चीरता हुआ मेरी फुद्दी में दाखिल होने में कामयाब हो गया..
अपने सुसर के लंड को अपनी चूत के अंदर जाता हुआ महसूस कर के मेरी जान ही निकल गई. और बे सकता मेरे मुँह से अपने सुसर के लिए गालियाँ निकाल ने लगीं.
“जॅलील, कुत्ते,कमिने इंसान हट जाओ मेरे उपर से,में तुम्हारी असलियत सब को बताऊंगी चाहे कुछ भी हो जाय” में चीख रही थी.
लेकिन अफ्रीन है बेगैरती और ज़लील अब्बा पर कि वो कुछ ना बोले बस चुप चाप अपना लंड मेरी चूत के अंदर बाहर करते रहे.
नीचे से अपना लंड मेरी फुद्दी में डालने के बाद उपर से अब्बा ने अपना मुँह आगे बढ़ा कर अपने बूढ़े गलीज़ होंठो को मेरे नादां-ओ-मुलायम होंठों पर रख कर मुझ किस करने की कॉसिश की.
ज्यूँही अब्बा अपना मुँह मेरे मुँह के करीब लाए तो मैने उन को किस देने की बजाए उन के मूँह पर थूक दिया और कहा कि अपनी बेटियों से भी यही करता है कुत्ते.
में अब्बा को गालियाँ देती रही और रोती रही.मगर ऐसा लगता था कि अब्बा तो अंधे और बहरे बन कर बेज़्जती प्रूफ हो चुके थे. उन पर मेरी किसी बी बात और गाली का असर नही हो रहा था.
अब्बा ने जब देखा कि में उन को अपने होंठो से किस नही दे रही. तो उन्हो ने मेरे गाल गर्दन और चुचियों को अपने नापाक होंठो से चूमना चाटना शुरू कर दिया.
वो मेरे मम्मो को अपने मनहूस होंठों से चाट रहे थे और में चुप चाप आँसू बहा रही थी.
साथ ही साथ उन का लंड मेरी फुद्दी में बिना रोक टोक अंदर बाहर होने में मसरूफ़ था.
हालाकि शादी के बाद में अपने शोहर से चुदवाते वक़्त बहुत एंजाय करती और मस्ती और जोश में मेरे मुँह से निकलने वाली सिसकारियाँ पूरे कमरे में गूँज कर मेरे शोहर को मजीद जोश में लाती थीं.
मगर अब्बा से सख़्त नफ़रत और उन पर बे पनाह गुस्सा आने की वजह से लगता था कि मेरी फुद्दी वाला हिस्सा जैसे “सुन्न” हो गया था.
इसी लिए में उस वक़्त अपनी चूत और निचले धड में कुछ भी महसूस करने से कसीर हो चुकी थी.
अब्बा काफ़ी देर तक मुझे चोदते रहे और फिर वो ज़लील इंसान मेरे अंदर ही डिसचार्ज हो गया.
अपने लंड का पानी मेरी चूत में गिराने के बाद अब्बा ने अपने कपड़े समेटे और वॉश रूम में चले गये.
जब कि में ब्लंकेट में लिपटी हुई हिचकियाँ लेते हुए रोती रही.
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