Antarvasna kahani ज़िद (जो चाहा वो पाया)
10-06-2018, 12:57 PM,
#11
RE: Antarvasna kahani ज़िद (जो चाहा वो पाया)
अपनी पैंटी को मेरे हाथ की उंगली मे ऐसे लटकते हुए देख उसका चेहरा और लाल हो गया….और उसने अपने सर को झुकाते हुए पैंटी की तरफ हाथ बढ़ाया…मे उसके चेहरे और उसके होंठो को बड़े गोर से देख रहा था….तभी मुझे उसके होंठो पर हल्की सी शर्माहट भरी मुस्कान नज़र आई..और अगले ही पल उसने अपनी पैंटी को पकड़ कर जल्दी से साड़ी के नीचे कर दिया….फिर उसने एक बार मेरी तरफ देखा तो मे मुस्कराते हुए उसकी ओर देख रहा था….उसके होंठो पर भी मुस्कान फैल गयी…और अगले ही पल वो तेज़ी से मूड कर नीचे के तरफ चली गयी…..

अब तक तो सब ठीक चल रहा था….पर उसके बाद से लेकर रात तक वीना ऊपर नही आई थी…..मुझे समझ नही आ रहा था कि, क्या वीना को मे पटा भी पाउन्गा या नही….या फिर मे बेकार ही उसके पीछे टाइम वेस्ट कर रहा हूँ..इसी तरह वो रात भी गुजर गयी…अगली सुबह सेम रूटीन था…मे जब बाहर खड़ा होकर ब्रश कर रहा था…..तब कमलेश तैयार होकर गेट पर ही खड़ा था….मुझे देख कर वो मुस्कराते हुए मेरे पास आया….”तुषार भाई जी क्या हाल है…”

मे: ठीक है आप सुनाओ….(मैने अपने घर के सामने वाली खाली प्लोट मे थूकते हुए कहा….)

कमलेश: भाई आप कल रात पीने नही गये क्या बात है…..

मे: (अभी मे ये कहने ही वाला था कि, मे दारू नही पीता हूँ…उस दिन दूसरी बार पी थी…) पर मे एक दम चुप हो गया….वो दरअसल कल किसी दोस्त के घर पर पार्टी थी तो इसीलिए वहाँ चला गया….

कमलेश: अच्छा आज तो आएँगे ना आप…साथ मे बैठ कर पेग लगाएँगे….

मे: ठीक है…शाम को मिलते है…..

फिर वो ड्यूटी पर चला गया….मे घर के अंदर आया और शवर लेते हुए सोचने लगा कि, इस साले कमलेश के पास दारू के लिए इतने पैसे आते कैसे है….या तो साला का कोई दो नंबर का धंधा है….या फिर साला घर पर कुछ देता नही होगा…सारा पैसा दारू मे उड़ा देता होगा….पर मे कॉन सा कमाता हूँ…..अब इस साले को भी कुछ दिन या हो सकता है एक दो महीने इसको दारू पिलाने पड़े…वो तो शुक्र है कि, जो घर मेने किराए पर चढ़ाया हुआ था…उसके 20 रूम्स से जो रेंट के 20000 मिल जाते थे…

और ऊपर से मेरा खरचा भी कुछ ज़्यादा नही था…पर अब ज़यादा होने वाला था…ये सोच कर मे ये सब कैसे मॅनेज करूँगा…मैने काफ़ी देर हिसाब किताब मे लगा दिया…10 बजे मे नहा धो कर फिर से कल वाली जगह चेयर पर बैठ गया…

और अपने मोबाइल पर मेसेज चेक करने लगा….तभी विशाल की कॉल आए…..मैने कॉल रिसीव की…..”हेलो हां विशाल कैसा है….”

विशाल: ठीक हूँ भाई तू बता तूँ कैसा है….?

मे: मे भी ठीक हूँ….

विशाल: और सुना क्या कर रहा है आज कल नयी जॉब मिली कि नही…..

मे: नही यार जॉब वोब नही मिली और वैसे भी अभी मेरा जॉब करने का दिल नही है…

विशाल: यार एक जॉब है मेरे पास करेगा…..तू घर पर बैठ कर ही वर्क कर सकता है….

मे: ऐसा कॉन सा जॉब है बता तो सही….

विशाल: यार एक राइटर है मेरे जान पहचान का….उसकी एक पब्लिकेशन फार्म है….यार उसको ऐसे बंदे की ज़रूरत है…जो उसके लिखे हुए ब्लॉग्स स्टोरीस और इंटरव्यू को देवननगरी मे टाइप कर सके…बोल करेगा….तू तो टाइप कर लेता है ना हिन्दी वर्ड्स मे…..

मे: यार अगर ऐसी बात है तो बात कर लेते है….क्या हर्ज है….

विशाल: चल ठीक है शाम को मुझे मिल फिर अपने पुराने अड्डे पर…वो भी वहाँ ही आ जाएगा….वही बात भी कर लेना….

मे: यार शाम 6 बजे चलेगा….दरअसल मुझे 7 बजे से कोई ज़रूरी काम है…

विशाल: चल ठीक शाम को 6 बजे आ जाना….

मैने फोन कट किया….और सोचने लगा….चलो कुछ तो इनकम बढ़ेगी….और दूसरा घर पर ही तो काम करना है…वैसे भी सारा दिन बैठे-2 बोर हो जाता हूँ.. काम के बहाने टाइम पास भी हो जाया करेगा……मे वही बैठा था….कि वीना ऊपर आई….जब मैने उसकी तरफ देखा तो उसने नमस्ते का इशारा करते हुए सर हिलाया और मुस्करा कर दूसरी तरफ देखने लगी….शायद वो अभी भी कल वाली घटना को लेकर शर्मा रही थी…..

उसके हाथ मे झाड़ू थी….उसने ऊपर छत पर झाड़ू लगाना शुरू कर दिया…मे उसके अपनी बाउंड्री के नज़दीक आने का इंतजार करने लगा….थोड़ी देर बाद जब वो झाड़ू लगाते हुए, मेरे घर की बाउंड्री के पास आई तो वो मेरी तरफ पीठ करके झाड़ू लगाने लगी…शायद कल की बात को लेकर वो अभी भी मुझसे नज़रें चुरा रही थी…..पर अब मुझे ही बोलना था….क्योंकि अगर मे भी चुप रह जाता तो शायद हम एक दूसरे से घुलमिल ना पाते….”कल आपने मुझे थॅंक्स नही कहा….” 

उसने मेरी आवाज़ सुन कर चोन्कते हुए मुझे देखा….वो ऐसे देख रही थी…जैसे मैने जो कहा था उसे समझ मे नही आया हो…..


वीना: जी…..?

मे: (खड़ा होकर दीवार के पास जाते हुए) वो मे कह रहा था कि, कल मैने आपकी मदद की आपके कपड़े उठा कर आपको दिए….और आप बिना कुछ बोले बिना शुक्रिया कहे नीचे चली गयी….

वीना: (उसे पता चल गया था कि, मे किस बारे मे बात कर रहा हूँ,….इसलिए उसके चेहरे पर फिर से कल वाली लाली दिखाई देने लगी थी….वो थोड़ा सा शरमाते हुए घबराते हुए बोली…..) जी शुक्रिया…..

मे: (हंसते हुए माहॉल कर नॉर्मल करने के कॉसिश करते हुए) हहा कोई बात नही मे तो मज़ाक कर रहा था….दरअसल सारा दिन रात घर मे अकेला रहता हूँ…इसीलिए किसी से बात करने के लिए भी तरस जाता हूँ…..कभी-2 तो किसी की आवाज़ सुनने के लिए भी दिल तरस जाता है…..

वीना: क्यों आप कुछ करते नही है क्या…?

मे: जी मे समझा नही….

वीना: वो मेरा मतलब कि आप पढ़ते नही हो….या फिर कोई काम नही करते..फॅक्टरी मे…..

मे: (मेरे दिमाग़ मे एक दम से विशाल के जॉब वाली बात आ गयी…क्योंकि मे उसको ये कह कर अपना बुरा इंप्रेशन नही छोड़ना चाहता था….कि मे नकारो के तरह घर मे पड़ा रहता हूँ…..) जी मे यहीं घर पर रह कर ही काम करता हूँ….कंप्यूटर पर किताबें लिखता हूँ एक फर्म के लिए…..

वीना: ओह्ह अच्छा…….
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RE: Antarvasna kahani ज़िद (जो चाहा वो पाया) - by sexstories - 10-06-2018, 12:57 PM

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