RE: Antarvasna kahani ज़िद (जो चाहा वो पाया)
मैने बर्तनो को दीवार पर रखा और वो दीवार फाँद कर उसके छत पर आया…फिर बर्तन उठाए और तेज़ी से सीडीयों की तरफ बढ़ने लगा….ये सब करते हुए मेरा दिल बहुत जोरो से धड़क रहा था….जब तक मे उसके घर की सीडीयों से कुछ नीचे नही उतरा…..मेरी साँस मेरे हलक मे अटकी रही…..जब मे सीडीयाँ उतार कर नीचे आया तो मेरी जान मे जान आई…..मे इस तरह किसी के घर मे चोरों की तरह पहली बार घुस रहा था….
जब मे नीचे आया तो, मुझे किचन से स्टोव के जलने की आवाज़ सुनाई दी तो मे सीधा किचन की तरफ चला गया…कदमो की आहट सुन कर वीना ने पीछे की तरफ मूड कर देखा और मुस्कराते हुए मेरे पास आई, और मेरे हाथों से झूठे बर्तन लेकर पलट कर सेल्फ़ पर रखते हुए बोली…”बैठिए ना थोड़ी देर मे खीर बन जाएगी.”
अब भला कोई उसको बताए कि मे वो खीर खाने नही आया था….”जो उसने अभी स्टोव पर चढ़ा रखी थी…..मे तो उसकी चूत से निकलने वाली खीर खाने आया था.. और उसे अपने लंड से निकलने वाली रस मलाई खिलाने…..
मे बैठा नही…..बल्कि सीधा अंदर चला गया….और स्टोव पर रखे बर्तन के अंदर उबाल रही खीर को देखने लगा…वो मुझे अपने साथ इस तरह किचन मे पाकर थोड़ा नर्वस फील कर रही थी…
.”खुसबू तो बहुत अच्छी आ रही है….” मैने उसकी तरफ देखते हुए कहा….
.”जी शुक्रिया…बस थोड़ी देर और….”
मैने अपनी जेब से 5000 रुपये निकाले और वीना की तरफ बढ़ा दिए…वीना ने मेरी तरफ हैरत भरी नज़रो से देखा…..”ये क्या है…..?”
मे: पैसे है….मैने कहा तो था कि, मे खाने के बदले पैसे दिया करूँगा…
वीना: (मेरे हाथ मे पकड़े हुए पैसो की तरफ देखते हुए….) पर ये तो ज़यादा लग रहे है……
मे: 5000 रुपये है…
वीना: ज़्यादा है….
मे: तो फिर कितने पैसे दूं….
वीना: जी आप को जो ठीक लगे….
मे: तो फिर आप ये पैसे रख लो….
वीना: पर…(मैने वीना का हाथ पकड़ लिया….और वो बोलते-2 चुप हो गयी…मैने उसकी हथेली पर पैसे रखे और दूसरे हाथ को उन रुपयों के ऊपर रख दिया….अब मैने अपने दोनो हाथों से उसके एक हाथ को पकड़ा हुआ था…..)
मे: तुम बहुत अच्छी हो….ये पैसे रख लो…..
वीना: (काँपती हुई आवाज़ मे) आप इतने ज़्यादा पैसे देकर मुझसे क्या चाहते हो…
मे: (वीना की आँखो मे देखते हुए) मे तुम्हे चाहता हूँ…जब से तुम्हे पहली बार देखा है….तब से मुझे हर जगह सिर्फ़ तुम ही तुम नज़र आती हो….
वीना: (अपना हाथ छुड़ाने की कॉसिश करते हुए….) देखिए तुषार जी….आप जैसे सोच रहे है…मे वैसे औरत नही हूँ….प्लीज़ मेरा हाथ छोड़ दीजिए….मे आपकी बहुत इज़्ज़त करती हूँ….
मे: मे भी तुम्हारी इज़्ज़त करता हूँ…देखो मे बहुत अकेला महसूस करता हूँ…मुझे तुम्हारे साथ और प्यार दोनो की ज़रूरत है…..
वीना: ये मुमकिन नही है….आप ग़लत दरवाजा खटखटा रहे है…प्लीज़ मेरा हाथ छोड़ दीजिए…..(उसने अपनी नज़रे झुकाते हुए कहा….)
मे: देखो मेने बड़ी हिम्मत करने के बाद तुमसे अपने दिल की बात कही है…अगर तुम ऐसे बिना सोचे समझे ना कर दोगी तो मेरा दिल टूट जाएगा….
वीना: देखिए मेरे दिल मे आपके लिए इज़्ज़त के अलावा और कुछ नही है…मेरा घर परिवार है…मे अपने परिवार के साथ धोखा नही कर सकती…
मे: (वीना के गाल पर अपना हाथ रख कर उसके चेहरे को ऊपर उठाते हुए) देखो तुम मेरा दिल ना तोडो…नही तो दिल के साथ-2 मे भी टूट जाउन्गा…
अभी तक वीना ने पैसे पकड़े नही थे….वो उसकी हथेली के ऊपर रखे हुए थे. मैने उन पैसो को पकड़ कर सेल्फ़ पर रख दिया…”देखो मेरी आँखो मे देखो… क्या इनमे तुम्हे अपने लिए प्यार नज़र नही आता…..”
मेरा हाथ इस तरह अपने गाल पर महसूस करके उसका बदन थरथराने लगा था…”जिसे आप प्यार कह रहे है…वो प्यार नही….वो तो सिर्फ़ वासना की भूक है और कुछ नही….”
मे: नही ये सच नही है….
वीना: यही सच है…और जो आप मुझसे चाहते है…वो मे आपको कभी नही दे पाउन्गी….मे अपने पति को धोखा नही दे सकती…वो मुझे प्यार करते है…..
मे: हूँ जानता हूँ मे और तुम भी जानती हो….तुम्हारे अंदर आग है…जो तुम्हे अंदर ही अंदर जलाए जा रही है…और मे ऐसा होने नही दूँगा….(मैने उसकी ओर देखते हुए अब अपना दूसरा हाथ भी उसके गाल पर रख दिया था….)
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