RE: Antarvasna kahani ज़िद (जो चाहा वो पाया)
जब मुझे पता चला कि, मे वीना को उसी रूम मे चोदने वाला हूँ….जिसके दूसरी तरफ अनु सोने वाली है….मेरा लंड पेंट मे और फूल गया….धीरे-2 वीना और अनु दोनो ने मिल कर काम निपटा लिया….मे बेसबरी से आने वाले पलों का इंतजार कर रहा था…
इस दौरान अनु कई बार रूम मे आई, मेने उसकी तरफ देखा…..पर वो मुझसे नज़रें नही मिला रही थी….थोड़ी देर बाद वीना रूम मे आई, और मुझे पीछे स्टोर रूम मे जाने का इशारा किया….मे वहाँ से उठ कर स्टोर रूम के अंदर चला गया…जैसे कि मेने बताया था कि, स्टोर रूम मे डोर नही था….और जहाँ से डोर वाली जगह शुरू होती थी….ठीक वही दीवार के पास बिस्तर लगा हुआ था…मे वहाँ बैठ कर वीना के आने का इंतजार करने लगा….
स्टोर रूम की लाइट ऑफ थी…..पर रूम से आ रही रोशनी से अंदर काफ़ी उजाला था….तभी बाहर रूम की लाइट ऑफ हो गयी….पर फिर टीवी चलने की आवाज़ आने लगी. और टीवी की हल्की रोशनी भी स्टोर रूम मे आने लगी….”अनु बहुत रात हो गयी है… ये टीवी बंद कर दे कल स्कूल भी जाना है….” मुझे बाहर से वीना की आवाज़ आई, और फिर थोड़ी देर बाद वीना स्टोर रूम मे आई….
वीना मेरे पास आकर बैठ गयी….और ठीक मेरे कानो के पास अपने होंठो को लाते हुए, धीरे से फुसफुसाते हुए बोली….”तुषार कोई आवाज़ मत करना….जो भी करना है धीरे से कर लेना….जब वो औरत हमारे घर रात को अपने कस्टमर के साथ आती थी. तब अनु रात को टीवी के बहाने उनके रूम मे हो रही आवाज़ों को सुनने के कॉसिश करती थी...एक रात को मैने उसे बाहर के रूम के डोर के पास खड़े हुए पकड़ भी लिया और डाँट भी लगाई…..इसलिए ज़रा ध्यान से करना….
मे: क्या वो लोग उस रूम मे करते थे…..?
वीना: हां और कहाँ करते….
मे: वहाँ तो इतनी बदबू है…..फिर वो कैसे उस रूम मे रुक जाते थे…..
वीना: पता नही….वो तो मेरी समझ के भी बाहर है…
मे: चलो छोड़ो हमे क्या लेना देना अब उनसे…..
मैने वीना को अपनी बाहों मे भर लिया….स्टोर रूम मे आने से पहले वीना अपनी साड़ी उतार कर आई थी….मेने उसकी चुचियों को ब्लाउस के ऊपर से पकड़ कर ज़ोर से मसल दिया…वीना एक दम से कसमसा गयी….”आह तुषार धीरे…मुझे यहाँ पर दर्द रहता है….इन्हे ज़ोर से मत दबाया करो…..” जैसे ही वीना ने ये बात कही, तो मुझे याद आ गया कि, वीना अभी भी अजय को दूध पिलाती है…इसलिए वो मना कर रही है….
मेने वीना के ब्लाउस के हुक्स खोलने शुरू कर दिए….”आहह नही तुषार इन्हे मत खोलो….वो अनु बाहर है ना….अगर अंदर आ गयी तो….”
मैने वीना की चुचियों को ज़ोर से मसल दिया….”नही आयगी तुमने उसे सब समझा तो दिया है….”
वीना एक बार फिर से कसमसा गयी….”फिर भी तुषार इन्हे उतारने से क्या होगा…” वीना ने मेरे हाथों को पकड़ कर रोकने की कॉसिश करते हुए कहा…
मे: हाथ हटाओ….
वीना: तुषार प्लीज़ इसे मत खोलो…..
मे: देखो अगर तुमने हाथ नही हटाए और इसे खोलने नही दिया तो मे वापिस चला जाउन्गा….
वीना: ये क्या ज़िद है तुषार प्लीज़ समझा करो…..
मे: नही मुझे नही पता…तुम्हे मेरी कसम…अब मुझे किसी बात के लिए नही रोकॉगी…(मैने वीना के हाथों को उसके ब्लाउस के ऊपर से हटाते हुए कहा…)
और इस बार वीना ने अपने हाथो को हटा लिया….मे जानता था कि, वीना मुझसे क्यों शरमा रही है…मैने धीरे-2 वीना के ब्लाउस के सारे हुक्स खोल दिए….और फिर उसके ब्लाउस को उसके बदन से अलग करके फेंक दिया…..अब उसके बदन पर वाइट कलर की ब्रा और पेटिकॉट ही था…मैने वीना के होंठो को चूस्ते हुए, उसके ब्रा के स्ट्रॅप्स उसके कंधो से सरका दिया…फिर अपने हाथो को पीछे ले जाते हुए उसके ब्रा के हुक्स खोल कर ब्रा भी उसके बदन से अलग कर दी….
जैसे ही वीना की बड़ी-2 चुचियाँ बाहर आई, तो मे उन्हे देखता ही रह गया….वीना की चुचियाँ नेहा से भी बड़ी थी…उसकी चुचियों पर हरे रंग की नसें जो शायद दूध से भरी हुई थी…सॉफ नज़र आ रही थी…अगले ही पल मैने वीना की चुचियों को दोनो हाथों मे लेकर ज़ोर से मसलना शुरू कर दिया…वीना मदहोश होकर लगतार मुझसे लिपटती जा रही थी….थोड़ी देर बाद मे वीना के ऊपर आ चुका था….मैने उसके होंठो को चूस्ते हुए दोनो चुचियों को नीचे से पकड़ कर ज़ोर से दबाया तो वीना एक दम सिसक उठी…..
उसके दोनो निपल्स से दूध की धार बाहर की ओर निकल कर मेरे हाथों पर गिरने लगी….जैसे ही वीना को इस बात का अहसास हुआ, वीना बुरी तरह झेंप गयी…और अपने ब्रा से अपनी चुचियों को कवर करने की कॉसिश करने लगी….”शियीयियीयियी तुषार…”
मैं वीना की आँखो मे देखते हुए अपने दोनो हाथों पर गिरा दूध अपनी जीभ बाहर निकाल कर चाटने लगा….वीना का चेहरा शरम के मारे एक दम से लाल हो गया….उसने मेरी चेस्ट मे शरमाते हुए मुक्का मारा और फिर दूसरी तरफ फेस करके मुस्कुराने लगी….
में अपने हाथों पर लगा दूध चाट कर चुका था…मैने वीना के पेटिकॉट को ऊपर उठा कर उसकी कमर तक चढ़ा दिया…जैसे कि मे सोच रहा था…वीना ने आज भी नीचे पैंटी नही पहनी हुई थी….मैने एक हाथ से वीना की राइट चुचि के निपल को पकड़ कर मसल्ते हुए दूसरे हाथ को वीना की चूत की फांको पर रख दिया.. “उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह श्िीीईईईईईई” वीना ने सिसकते हुए बेडशीट को कस्के दोनो हाथों से पकड़ लिया…मेने अपने आप को वीना की जांघों के बीच मे अड़जस्ट किया….और वीना की टाँगो को फैलाते हुए, घुटनो से मोड़ कर ऊपर उठा दिया….
जैसे ही वीना की टांगे ऊपर हुई, तो मुझे उसकी चूत का गुलाबी छेद सॉफ दिखाई देने लगा….जो पहले से कामरस टपका रहा था….मैने जल्दी से अपने शॉर्ट्स को उतार कर पास मे ही रख लिया…और अगले ही पल वीना की चूत के छेद मे अपनी दो उंगलियों को अंदर डालना शुरू कर दिया….जैसे ही मेरी उंगलियाँ वीना की चूत के छेद मे घुसी….वीना ने सिसकते हुए मेरी आँखो मे देखा….”आहह वीना तुम्हारी चूत तो बहुत गरम है….”
वीना का चेहरा एक दम लाल हो चुका था….जिस तरह से वो शरमाती थी….मेरा लंड उसके शरमाने की अदा को देख कर और अकड़ जाता था… “देखो ना वीना तुम्हारी चूत कैसे पानी छोड़ रही है….देखो ऐसे लग रहा है…जैसे कोई नदी बह रही हो…..” मैने वीना की चूत मे अपने उंगलियों को अंदर बाहर करते हुए कहा…..
फिर मे वीना की चुचियों के ऊपर झुक गया…और जैसे ही मैने वीना की लेफ्ट चुचि को मुँह मे लिया….तो वीना एक दम से सिसकते हुए मचल उठी…”यूम्ह्ष शियी तुषार ईए यी आह आप क्या कर रहे है…..?” वहाँ मुँह मत लगाओ…” वीना का बदन बुरी तरह से कांप गया….उसने बेडशीट को छोड़ कर मेरे सर के बालो को कस्के पकड़ लिया…”श्िीीईई उन्घ्ह्ह्ह्ह तुषार प्लेआस्ीई मत करिए ना….” वीना बुरी तरह कांप रही थी….
मैने वीना के निपल से मुँह हटाया और उसके होंठो को चूमते हुए बोला….”क्यों क्या हुआ….?”
वीना ने अपनी मदमस्त आँखो को खोल कर मेरी तरफ देखा….”आप ने देखा नही वहाँ से दूध निकलता है….आप को बुरा नही लगा….” मे वीना की बात सुन कर मुस्कुराने लगा….”क्यों इस दूध को बचा कर क्या करोगी….मुझे नही पिलाओगी…”
वीना: (शरमाते हुए) छी आपकी दूध पीने की उम्र है क्या अभी…..
मे: क्यों क्या हुआ…..उम्र मे क्या रखा है…वैसे भी तुम्हारी चुचियों से दूध की धार निकलती देख मेरा लंड भी साला और अकड़ गया है….देखो ना…
मैने वीना का हाथ पकड़ कर नीचे ले जाकर अपने लंड पर रख दिया…”क्यों इस बार ज़यादा कड़क लग रहा है ना…”
वीना ने शरमाते हुए हन मे सर हिला दिया
…”वीना अच्छा तुम्हारी भाषा मे इसे क्या कहते है….” मैने वीना के हाथ को अपने लंड पर दबाते हुए कहा….तो वीना और शरमाने लगी…
.”बोलो ना तुम्हे मेरी कसम जो पूछूँगा वो तुम मुझे बताओगी….”
वीना: लंड ही कहते है…..
मे: और चूत को….
वीना: उसे हमारी भाषा मे भी ऐसे ही बोलते है…..
मे: और कुछ नही कहते….चूत तो हिन्दी मे कहते है….जैसे हमारे पंजाब मे चूत को फुद्दी कहते है….वैसे तुम्हारी भाषा मे क्या कहते है…
वीना: (शरमाते हुए) नही मुझे नही पता….आप बहुत बेशरम हो…
मे: बोलो ना….नही तो ये बेशरम तुम्हारा सारा दूध खाली कर देगा…..
वीना: (शरमाते हुए) बुर….
मे: (वीना की चूत की फांको के ऊपर अपने लंड को रगड़ते हुए) तो फिर तुम्हारी बुर मे अपना लंड डालु क्या…..(जैसे ही मैने अपने लंड के मोटे सुपाडे को वीना की चूत के छेद पर सेट किया…वीना एक दम से सिसकते हुए मुझसे लिपट गयी….उसने खुद ही अपनी टाँगो को ऊपर उठा कर फैला लिया……”हाआँ डालो नही….पेलो मेरी बुर मे अपना लंड पेलो तुषार…” उसने मेरे सर के इर्द गिर्द अपनी बाहों को कसते हुए अपने होंठो को मेरे होंठो पर लगा दिया….और अपनी गान्ड को ऊपर की ओर उठाते हुए अपनी चूत को मेरे लंड के सुपाडे पर दबाने लगी……
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