RE: Behen Chudai Kahani बहन का दांव
रश्मी ये देखकर फिर से हँसने लगी, और बोली : "तू तो एकदम लड़कियो की तरह से शरमाता है...सीधा बोल ना, माल जब तक अंदर से बाहर नही निकलता, परेशानी होती है..''
अपनी बहन को ऐसे बेशार्मों की तरहा बोलता देखकर मोनू का मुँह खुला रह गया
रश्मी : "ऐसे क्या देख रहा है तू...तुझे क्या लगा, मुझे ये सब नही पता...लगता है तुझे रुची ने कुछ भी नही बताया...की हम दोनो के बीच कैसी-2 बातें होती थी पहले..''
मोनू : "नही...उसके साथ ऐसी बातें करने का टाइम ही नही मिला कभी...''
रश्मी (आँखे घुमाते हुए) : "हाँ , उसके साथ तो तुझे बस एक ही काम करने का टाइम मिलता होगा...और उसमे भी मैं बीच मे टपक पड़ती हू .. ही ही''
मोनू भी हंस दिया..
रश्मी : "अच्छा एक बात तो बता...अभी भी तू उसके बारे मे सोचकर ही ये कर रहा था ना..''
अब मज़ा लेने की बारी मोनू की थी.
मोनू : "मैं ...मैं क्या कर रहा था अभी ?''
रश्मी : "अच्छा ...अब मुझसे छुपाने का क्या फायदा ...अभी मेरे आने से पहले तू वो कर रहा था ना...''
मोनू : "नही दीदी...मैं तो बस कपड़े चेंज कर रहा था..मैने पायज़ामा नीचे उतारा ही था की आप आ गयी...''
रश्मी : "झूठ मत बोल...मैं सब देख रही थी दरवाजे के पीछे से...तू अपना वो रगड़ रहा था...माल निकालने के लिए...बोल ...''
मोनू : "क्या रगड़ रहा था दीदी...खुल कर बोलो ना...''
अब रश्मी भी समझ चुकी थी की उनके बीच का एक और परदा गिर चुका है...अब खुलकर वो सब बोल सकते हैं..
रश्मी : "अपना लंड रगड़ रहा था तू...यही सुनना चाहता था ना ...बोल, रगड़ रहा था या नही...''
अपनी सेक्सी बहन के मुँह से लंड शब्द सुनकर तकिया थोड़ा सा और उपर हो गया...उसके लंड ने अंदर ही अंदर झटके मारने शुरू कर दिए थे.
मोनू कुछ नही बोला...बस मुस्कुराता रहा...
उसकी नज़रें फिर से उसकी टी शर्ट मे उभरे निप्पल्स को घूरने लगी.....मोनू की जलती हुई आँखे उसके जिस्म मे जहाँ-2 पड़ रही थी, उसे ऐसे लग रहा था की वो हिस्सा जल रहा है..उसकी छातियाँ...उसकी नाभि...उसके होंठ...उसके कान...आँखे..और चूत भी बुरी तरह से सुलग रही थी उसकी.
रश्मी : "बोल ना....उसके बारे मे ही सोच रहा था ना तू...''
वो पूछ तो अपनी सहेली के बारे मे रही थी...पर मोनू के मुँह से अपना नाम सुनना चाहती थी.
मोनू : "नही...उसके बारे मे सोचकर नही...किसी और के बारे मे सोचकर..''
इतना सुनते ही रश्मी का मन हुआ की मोनू से लिपट जाए...उसके होंठों को चूस ले...और एकदम से नंगी होकर उसके लंड पर सवार हो जाए.
उसके दिल ने फिर से धाड़-2 धड़कना शुरू कर दिया.
रश्मी : "तो फिर किस …… किसके...बारे मे....सोचकर....ये ...कर रहा था..''
उसके होंठ काँप से रहे थे...उसके कान लाल हो उठे...जैसे अपना नाम सुनने की तैयारी कर रहे हो..
मोनू भी अब गेम में आ चुका था...वो भी रश्मी को तड़पाना चाहता था, जैसे वो अभी उसको तडपा रही थी..
मोनू : " है कोई...उससे भी सुंदर...उससे भी हसीन...उसकी आँखे तो कमाल की हैं...और उसके बूब्स...वो तो जैसे नाप तोलकर बनाए हुए हैं...और उसके निप्पल्स,वो तो कहर भरपा दे,उन्हे चूसने भर से ही शायद सारी प्यास बुझ जाए मेरी..''
मोनू का हर शब्द रश्मी की चूत से रिस रहे पानी को और तेज़ी से बाहर धकेल रहा था...जो शायद मोनू के बिस्तर पर आज की रात धब्बे के रूप मे रहने वाला था.
रश्मी : "नाम तो बता मुझे....ऐसे नही समझ आ रहा ....''
उसकी आँखों मे लाल डोरे तैरने लगे थे..हल्का पानी भी आने लगा था उनमे...
मोनू : "उसका नाम तुम मेरे दोस्त से पूछ लो...''
और मोनू ने ग़जब की हिम्मत दिखाते हुए अपना तकिया नीचे गिरा दिया...और अपना विशालकाए लंड अपनी सग़ी बहन रश्मी की आँखो के सामने लहरा दिया.
रश्मी की आँखे फैल गयी उसके लंड को इतने करीब से देखकर.... पास से देखने से वो और भी बड़ा लग रहा था...उसके सिरे पर प्रिकम की बूँद उभर कर चिपकी पड़ी थी...
रश्मी तो सम्मोहित सी होकर उसे देखे जा रही थी...जैसे आँखो ही आँखो मे उसे निगल रही हो...
मोनू ने अपने लंड को हिलाते हुए उपर नीचे किया और उसे रश्मी की तरफ करते हुए बोला : "लो दीदी...पूछ लो मेरे दोस्त से...मैं किसके बारे मे सोचकर इसे रगड़ रहा था...''
रश्मी का दाँया हाथ कांपता हुआ सा आगे की तरफ बड़ा...उसके मुँह से साँसे तेज़ी से बाहर निकलने लगी...छातियाँ उपर नीचे होने लगी...और उसने अपने ठंडे हाथों से मोनू के गरमा गर्म लंड को पकड़ लिया...
और जैसे ही रश्मी के ठंडे और नर्म हाथ उसके लंड से टकराए, उसने ज़ोर से सिसकारी मारते हुए कहा : "ओह.......रश्मी ............''
मोनू के दोस्त ने तो नही,पर उसने वो नाम खुद ही बता दिया अपनी बहन को ...
और अपना नाम सुनते ही रश्मी का पूरा बदन झनझना उठा...और उसने अपने प्यासे होंठ तेज़ी से अपने भाई की तरफ बड़ा दिए..
तभी बाहर से उनकी माँ की आवाज़ आई : "रश्मी ......मोनू....कहाँ हो तुम दोनो....''
रश्मी का तो चेहरा ही पीला पड़ गया अपनी माँ की आवाज़ सुनकर...उनके रूम का तो दरवाजा भी खुला हुआ था..रश्मी ने भी आते हुए मोनू के रूम का दरवाजा बंद नही किया था..अभी तो उनकी तबीयत खराब है , इसलिए वो बेड से उठ नही सकती...वरना अगर वो ऐसे वक़्त पर उस कमरे मे आ जाती तो उन दोनो को रंगे हाथों पकड़ लेती..
रश्मी ने एक ही झटके मे मोनू के लंड को छोड़ दिया और भागती हुई सी अपने कमरे की तरफ गयी
''आईईईई माँ ...''
और वहाँ पहुँचकर देखा तो वो बेड से उठने की कोशिश कर रही है..
रश्मी : "रूको माँ ...अभी उठो मत...बोलो क्या चाहिए..''
मान : "तू इतनी रात को कहाँ थी...मैं कितनी देर से तुझे आवाज़ें लगा रही थी..''
रश्मी : "वो ....मोनू अभी-2 आया था...उसके लिए खाना गर्म कर रही थी..''
उसने बड़ी ही सफाई से झूठ बोलकर खुद को और मोनू को बचा लिया..
कुछ ही देर मे उसकी माँ के खर्राटे गूंजने लगे कमरे में..पर उसके बाद रश्मी की हिम्मत नही हुई की वापिस मोनू के कमरे मे जाए..बस अपनी चूत को मसल कर वो वहीं सो गयी..
मोनू ने भी अपने लंड को रगड़ -2 कर अपने माल से दीवार पर रश्मी लिख दिया..
|