RE: Chudai Story मा की मस्ती
रमण को भी बहुत अच्छा लगा क्यूंकी उसकी गान्ड इतनी टाइट थी कि उसकी उंगली को भी अंदर जाने में परेशानी हो रही थी,फिर रमण ने अपनी उंगली निकाली और उसको अपनी नाक के पास ले जा कर सूँघा तो उसमे से बड़ी मादक खुसबू आ रही थी,फिर उसने वो उंगली अपने मूह में ली और उसको अपने थूक से अच्छी तरह से गीला कर लिया अब उसने आरती की गान्ड को थोड़ा सा फैलाया और अपनी उंगली फिर से उसकी गान्ड में डाल दी इस बार वो बहुत आराम से अंदर चली गयी,अब उसने अपनी दो उंगलियों को गीला करके अंदर डाला तो थोड़ी सी मेहनत से वो भी चली गयी ,फिर रमण ने उनको अंदर बाहर करना शुरू कर दिया,कुछ ही देर में आरती की गंद 2-2 उंगलियाँ अंदर लेने लगी,अब रमण ने सोचा कि ये टाइम सही है,अब उसकी गान्ड मार ही लेनी चाहिए.
फिर रमण खड़ा हुआ और आरती की ड्रेसिंग टेबल से क्रीम की शीशी उठा लाया,अब उसने उस क्रीम को अच्छी तरह से आरती की गान्ड मे लगाया और छेद के अंदर तक उस-से मालिश की ,फिर उसने क्रीम अपने लंड पर भी बहुत अच्छी तरह से लगाई.अब उसने आरती की कमर को ताक़ीए से उपर उठा कर उसको कुतिया बना दिया और अपना लंड उसकी गान्ड के सुराख पर लगाया,और दोनो हाथों से उसको फैला कर अपना सुपाडा उसमें फँसा दिया,फिर उसने आरती की कमर को कस कर पकड़ा और एक धक्का लगाया,जैसे ही उसका लंड थोड़ा सा अंदर गया तो आरती को दर्द का अहसास हुआ और वो बोली कि रमण अभी रूको दर्द हो रहा है,आरती के ये कहने पर रमण थोड़ा रुक गया और अपने हाथ आगे ले जा कर उसकी चुचियो को मसल्ने लगा जब आरती को दर्द थोड़ा कम हुआ तो उसकी सिसकारी निकलने लगी,रमण समझ गया कि अब आगे बढ़ना है और उसने फिर से पोज़ीशन बना कर अबकी बार एक तेज़ धक्का मारा और अपना आधे से ज़्यादा लंड एक ही बार में आरती की अन्चुदि हुई गान्ड में डाल दिया
जब रमण का आधे से ज़्यादा लंड एक ही झटके मे अंदर घुस गया,तो आरती की तो साँसें ही रुक गयी,और उसको ऐसा फील हुआ जैसे कि कोई गरम लोहे की रोड उसकी गान्ड में घुस गयी हो,और उसको अपनी गान्ड में इतनी तेज़ दर्द हुआ कि उसकी चीख ही निकल गयी.
जब आरती चीखी तो उसकी चीख मनु को भी सुनाई दी और उसका कुछ-2 ध्यान वैसे भी उस तरफ ही होता था ,जब भी रमण उसकी माँ को चोदने के लिए ले कर जाता था तो वो उनकी चुदाई के बारे में ही सोच-2 कर इतना गरम हो जाता था कि जैसे ही ट्यूशन ख़तम होती थी और रमण जाता था मनु वहीं पर अपनी अर्धनगन माँ की नाइटी उठा कर उसकी चुदि हुई गीली चूत में ही अपना लंड डाल देता था,ये उसका हर बार का रूटिन बना हुआ था.
तो जैसे ही आरती की चीख उसको सुनाई दी वो जल्दी से उठ कर अपनी माँ के बेडरूम में गया वहाँ जा कर देखा तो उसकी माँ कुतिया बनी हुई है और रमण उसकी गान्ड में अपना घोड़े जैसा मोटा लंड डाल रहा है,ये देख कर उसका तना हुआ लंड और तन गया,और वो वहीं पर खड़ा हो कर रह गया.
इधर रमण के लंड से आरती की हालत खराब हो रही थी,वो उसको बोली कि हाई ये तुमने क्या किया जब मैने तुमको कहा था कि धीरे-2 डालना तो तुमने इतनी तेज़ धक्का क्यों मारा अब अपने लंड को बाहर निकालो मेरी जान निकली जा रही है.
पर अब रमण कहाँ उसकी सुनने वाला था,उसने कहा कि जान ऐसा क्या हो गया अगर अन्चुदि गान्ड में लंड जाएगा तो थोड़ा सा दर्द तो होगा ही,अभी कुछ देर सबर करो तेरा दर्द ख़तम हो जाएगा.रमण इस मौके को गँवाने वाला नही था वैसे भी.
मनु ने जब सुना कि रमण उसकी माँ की कुँवारी गान्ड को आज फाड़ रहा है तो उसको और भी ज़्यादा अच्छा लगा और अब उसको एक बात और लगी कि अब वो भी अपनी माँ के दोनो छेद का मज़ा ले सकेगा,इसलिए वो चाहता था कि रमण आज इस काम को बीच में ना छोड़े और आरती की गान्ड को एक बार अच्छी तरह से मार ले ,जिससे कि वो उसको मार सके,उसका लंड तो ये सोच-2 कर ही कड़क से कड़क हो रहा था कि अब उसकी माँ आरती की गान्ड मारने का मौका उसको मिला करेगा,वो तो कब से अपनी माँ की गान्ड का दीवाना था,पर उसकी हिम्मत ही नही होती थी ,पर आज उसकी दिली इच्छा पूरी होने वाली थी.
रमण कुछ देर तक उसी पोज़ मे आरती को लिए खड़ा रहा,फिर जब उसकी नज़र मनु पर पड़ी तो उसने उसको इशारे से अंदर बुला लिया ,जब मनु उसके पास आया तो उसने मनु से कहा कि मनु तुम अपनी माँ का दर्द कम करने के लिए आगे से उसके मम्मों को थोड़ा सा मस्लो,इस-से उसको राहत महसूस होगी.
मनु रमण की बात को समझ गया और बेड पर बैठ गया फिर वो आगे हो कर कुतिया बनी हुई आरती के मम्मों को मसल्ने लगा,जब उसका हाथ अपने मम्मों पर महसूस हुआ तो आरती ने उसकी तरफ देखा,आरती की आँखों में उस टाइम दर्द के कारण आँसू आ रहे थे,जब मनु ने अपनी माँ को ऐसे देखा तो उसको अपनी माँ पर बहुत दया आई,और वो रमण से बोला कि भैया आप अपना लंड माँ की गान्ड से निकाल लो माँ को बहुत दर्द हो रहा है.
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