मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
10-08-2018, 01:04 PM,
#7
RE: मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
अब उसने अपना लंड अन्दर-बाहर करना शुरू किया. वह बहुत धीरे-धीरे धका मार रहा था, और कुछ ही मिनटों मे मेरी गांड भी उसका लंड करने लगी. धीरे-धीरे उसकी स्पीड बढ़ती ही जा रही थी, और अब वह ठापाठप किसी पिस्टन की तरह मेरी गांड मे अपना लंड पेल रहा था. मुझे भी सुख मिल रहा था, और अब मै भी बोलने लगी, "हाय मज़ा आ रहा है! और जोर से मारो, और मारो और बना दो मेरी गांड का भुर्ता! और दबाओ मेरे मम्में, और जोर दिखाओ अपने लंड का और फाड़ दो मेरी गांड. अब दिखाओ अपने लंड की ताकत!"

सुरेश- "हाय जानी, अब गया, अब और नही रुक सकता! ले साली रण्डी, गांडमरानी, ले मेरे लंड का पानी अपनी गांड मे ले!" कहते हुए उसके लंड ने मेरी गांड मे अपने वीर्य की उलटी कर दी. वह चूचियां दाबे मेरी कमर से इस तरह चिपक गया था मानो मीलों दौड़ कर आया हो.

थोड़ी देर बाद उसका मुर्झाया हुआ लंड मेरी गांड मे से निकल गया और वह मेरी चूचियां दबाते हुए उठ खड़ा हुआ, और मुझे सीधा करके अपने सीने से सटा कर मेरे होठों की पप्पी लेने लगा.

तभी महेश आकर बोला, "अबे किसी और का नम्बर आयेगा या नही? या सारा समय तू ही इसे चोदता रहेगा?"
सुरेश- "नही यार तू ही इसे सम्भाल अब मै चला."

यह कह कर सुरेश ने मुझे महेश की तरफ़ धकेला और बाहर चला गया.

महेश ने तुरन्त मुझे अपनी बाहों मे समा लिया और मेरे गाल चुमने लगा. और एक गाल मुंह मे भर कर दांत गाड़ने लगा जिससे मुझे दर्द होने लगा और मै सिसिया उठी.

वह मेरी दोनो चूचियों को कस कर भोंपु की तरह दबाने लगा. कहा "मेरी जान मज़ा आ रहा है कि नही?" और मुझे खींच कर पलंक पर लेटा दिया और अपने सारे कपड़े उतार कर मेरे पास आया, और वहीं जमीन पर पड़ा हुआ मेरी पेटीकोट उठा कर मेरी बुर पोंछते हुए कभी मेरे गालों पर काटने लगा और मेरी चूचियां जोरो से दबा देता.

जैसे-जैसे वह मेरे मम्मों की पम्पिंग कर रहा था, वैसे ही उसका लंड खड़ा हो रहा था मानो कोई उसमे हवा भर रहा हो.

उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रखा और मुझे अपना लंड सहलाने का इशरा किया. मैने अपना हाथ उसके लंड से हटा लिया तो उसने पूछा, "मेरी जान अच्छा नही लगा रहा है क्या?"

मै छिनारा करते हुए बोली, "नही यह बात नही है पर हमको शर्म आ रही है!"
वह बोला, "चूतमरानी, भोसड़ीवाली, दो दिनों से चूत मरवा रही है, और अब कहती है कि शर्म आ रही है!मादरचोद, चल अच्छे से लंड सहला नही तो तेरी बुर मे चाकू घोंप कर मार डालुंगा!"

मैं डर कर उसके लंड को सहलाने लगी. जैसे-जैसे लंड सहला रही थी मुझे आभास होने लगा कि महेश का लंड सुरेश के लंड से करीब आधा इन्च मोटा और 2 इन्च लम्बा है. मैने भी सोच जो होगा देखा जायेगा. उसका लंड एक लोहे के रौड की तरह कड़ा हो गया था.

अब वह खड़ा होकर पास पड़ा तकिया उठा कर मेरे चूतड़ों के नीचे लगाया और फिर ढेर सारा थूक मेरी बुर के मुहाने पर लगा कर अपना लंड मेरी चूत के मुंह पर रख कर जोर का धक्का मारा. उसका आधे से ज़्यादा लंड मेरी बुर मे घुस गया.

मै सिसिया उठी. जबकी मै कुछ ही देर पहले सुरेश से चूत और गांड दोनों मरवा चुकि थी फिर भी मेरी बुर बिलबिला उठी. उसका लंड मेरी बुर मे बड़ा कसा-कसा जा रहा था. फिर दुबारा ठाप मारा तो पूरा लंड मेरी बुर मे समा गया.

मैं जोरो से चिल्ला उठी, "हाय मै दर्द से मरी.............दर्द हो रहा है!! प्लीज थोड़ा धीरे डालो! मेरी बुर फटी जा रही है!!"

महेश- "अरे चुप साली, तबियत से चुदवा नही रही है और हल्ला कर रही है, मेरी फटी जा रही है, जैसे कि पहली बार चुदवा रही है. अभी-अभी चुदवा चुकी है चूतमरानी और हल्ला कर रही है जैसे कोई सील बन्द कुंवारी लड़की हो."

अब वह मुझे पकड़ कर धीरे-धीरे अपना लंड मेरी चूत के अन्दर बाहर करने लगा. मेरी बुर भी पानी छोड़ने लगी. बुर भीगी होने के कारण लंड बुर मे आराम से अन्दर बाहर जाने लगा, और मुझे भी मज़ा आने लगा.

महेश ने मुझे पलटी देकर अपने उपर किया और नीचे से मुझे चोदने लगा. जब वह नीचे से उपर उचक कर अपने लंड को मेरी बुर मे ठांसता था तो मेरी दोनो चूचियां पकड़ कर मुझे नीचे की ओर खींचता था जिससे लंड पूरा चुत के अन्दर तक जा रहा था. इस तरह से वह चोदने लगा और साथ-साथ मेरे मम्मे भी पम्पिंग कर रहा था, और कभी मेरे गालों पर बटका भर लेता था तो कभी मेरे निप्पल अपने दांतों से काट खाता था. पर जब वह मेरे होठों को चूसता तो मै बेहाल हो जाती थी और मुझे भी खूब मज़ा आता था.

मैं मज़े मे बड़बड़ा रही थी - "हाय मेरे राजा!! मज़ा आ रहा है, और जोर से चोदो और बना दो मेरी चुत का भोसड़ा!!"

और साथ ही मैने भी अपनी तरफ़ से धक्के मारना शुरू कर दिया, और जब उसका लंड पुर मेरी बुर के अन्दर होता था तो मै बुर को और कस लेती थी. जब लंड बाहर आता था तो बुर को ढीला छोड़ देती थी. वह कुछ रुक-रुक कर मुझे चोद रहा था.

मे बोली "हाय राजा ज़रा जल्दी-जल्दी करो ना, और मज़ा आयेगा, इतना धीरे क्यों मार रहे हो मेरी चुत?"

जब मुझसे रहा नही गया तो मे खुद ही उपर से अपनी कमर के धक्के उसके लंड पर मारने लगी.

इतनी देर मे देखा कि दूसरे रूम से विश्वनाथजी नंगे ही मेरी प्यारी भाभी की चुत, जिसे भोसड़ा कहना ज्यादा ठीक होगा, चोद कर हमारे रूम मे घुसे और मुझे चुदता हुआ देखा कर बोले "यहाँ चुत मरा रही, साली ननद रानी, इसकी भाभी को तो पेल कर आ रहा हूँ. चलो इससे भी लंड चुसवा लूँ! क्या याद रखेगी कि एक साथ दो-दो लंड मिले थे इसे."

और इतना कह कर तुरन्त मेरे पास आकर खड़े हुए और अपना लंड, जो कि तब पूरी तरह से खड़ा नही था, मेरे मुंह मे घुसा दिया.

मैने भी पूरा मुंह खोल कर उनके लंड को अन्दर किया और फिर धक्को की ताल पर ही उसे चूसने लगे. विश्वनाथजी साथ-साथ मे मेरी चूचियां भी मसल रहे थे. कुछ ही देर मे उनका लंड भी पुर खड़ा हो गया और मुझे अपने हलक मे फंसता हुआ सा मेहसूस होने लगा. पर मैने उनका लंड छोड़ा नही और बराबर चूसती ही रही. यह पहली बार था कि मेरी बुर और मुंह मे एक साथ दो-दो लंड थे और मै इसका पूरा मज़ा लेना चाहती थी, और मुझे मज़ा भी बहुत आ रहा था इस दोहरी चुदाई और चुसाई मे.

कुछ ही देर मे महेश के लंड ने पानी छोड़ दिया और उसके कुछ ही पलों बाद विश्वनाथजी के लंड ने भी मेरे मुंह मे पानी की धार छोड़ दी. जब मैने उनके लंड को मुंह से निकालना चाहा तो उन्होने कस कर मेरे चहरे को अपने लंड पर दाबे रखा और जब तक मै पूरा वीर्य पी नही गयी उन्होने मुझे छोड़ा नही. इसके बाद वह भी निढाल से वहीं पर पड़ गये.

चुदाई और चुसाई का यह प्रोग्राम रात भर इसी तरह चलता रहा और ना जाने मै और भाभी और मामीजी कितनी बार चुदे होंगे उस रात.

अंत मे थक हार कर हम सभी यूँ ही नंगे ही सो गये.

सुबह मेरी आंख खुली तो देखा कि मै नंगी ही पड़ी हुई हूँ. मैं जल्दी से उठी और कपड़े पहन कर बाहर किचन की तरफ़ गयी तो देखा कि भाभी भी नंगी ही पड़ी हुई हैं. मुझे मस्ती सुझी और मे करीब ही पड़ा बेलन उठा कर उस पर थोड़ा सा तेल लगा कर उनकी बुर मे घोंप दिया. बेलन का उनकी चुत मे घुसना था कि वह आह!! करते हुए उठ बैठी, और बोली "यह क्या कर रही हो?"

मैं बोली "मैं क्या कर रही हूँ, तुम चुत खोले पड़ी थी मै सोची तुम चुदासी हो, और चोदने वाले तो कब के चले गये, इसलिये तुम्हारी बुर मे बेलन लगा दिया."

भाभी- "तुम्हे तो बस यही सूझता रहता है".

मैने उनकी बुर से बेलन खींच कर कहा "चलो जल्दी उठो, वर्ना मामा मामी आ जायेंगे तो क्या कहेंगे. रात तो खुब मज़ा लिया, कुछ मुझे भी तो बताओ क्या किया?"

भाभी- "बाद मे बताऊंगी कि क्या किया" कह कर कपड़े पहनने लगी तो मै मामीजी को उठाने चली गयी.

मामी भी मस्त चुत खोले पड़ी थी. मैने उनकी चूचियों पर हाथ रख कर उन्हे हिलाया और उठाया और कहा, "मामी यह तुम कैसे पड़ी हो! कोई देखेगा तो क्या सोचेगा?"

वह जल्दी से उठी और कपड़े पहनने लगी. फिर मेरे साथ ही बाहर निकल गयी.
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