मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
10-08-2018, 01:08 PM,
#36
RE: मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
सासुमाँ अचानक के धक्के से चिहुक उठी. गाली देकर बोली, "मादरचोद! अपनी माँ की भोसड़ी चोद रहा है क्या? धीरे से नही घुसा सकता? मैं जिस रफ़्तार से कहूं, तु उस रफ़्तार से चोदेगा. लन्ड को सुपाड़े तक बाहर निकाल, फिर धीरे से पेलड़ तक अन्दर कर."

रामु ने ऐसा ही किया. वह धीरे धीरे सासुमाँ को चोदने लगा. सासुमाँ आंखें बंद किये अपनी साड़ी पर लेटी रही और अपनी चूत मे घुसते और निकलते लन्ड का मज़ा लेने लगी.

मैं इस तमाशे का भरपूर रस ले रही थी, तभी मुझे लगा कोई मेरे पीछे से आ रहा है. मुड़कर देखा गुलाबी चली आ रही थी. मै जल्दी से उसके पास गयी ताकि उसे झाड़ी के पास आने से रोक सकूं.

"भाभी, सब लोग कहाँ गायब हो गये हैं!" गुलाबी ने पूछा, "पहिले आप किसन भैया को खाना देने गयी और नही लौटी. फिर मेरा मरद आपको ढूंढने गया और नही लौटा. अब मालकिन भी आपको ढूंढने आयी और नही लौटी!"
"मुझे नही पता रामु और सासुमाँ कहाँ गये हैं." मैने कहा, "चल हम घर चलते हैं."

मैने गुलाबी का हाथ पकड़ा और उसे लेके घर को जाने को हुई कि खेत के सन्नाटे मे सासुमाँ की आवाज़ सुनाई दी, "आह!! ऊह!! उम्म!!"

गुलाबी रुक गयी और बोली, "भाभी किसकी आवाज आयी वहाँ से?"
"कैसी आवाज़?" मैने अनजान बनकर कहा, "हवा आवाज़ कर रही होगी. तु घर चल जल्दी से. बहुत काम है घर पर."
"नही भाभी. ई हवा की आवाज नही है!" गुलाबी बोली, "ई आवाज हम खूब पहिचानते हैं. सुनकर लगता है झाड़ी के पीछे कोई औरत अपना मुंह काला करवा रही है. हम उस झाड़ी के पीछे अपने मरद से बहुत बार चुदाये हैं!"
"तो कोई चुदा रही होगी! हमे क्या? उन्हे हम क्यों टोकने जायें?" मैने लापरवाही दिखाकर कहा, "चल, हम घर चलते हैं."

झाड़ी के पीछे से सासुमाँ की आवाज़ आयी, "अब ज़रा तेज़ ठाप लगा!"

कहते ही झाड़ी के पीछे से "ठाप! ठाप! ठाप! ठाप!" आवाज़ आने लगी.

"अरे, तु इतने जोश मे क्यों आ गया? तु तो अभी पानी गिरा देगा." सासुमाँ बोली, "थोड़ा संयम रखकर चोद. अभी तो मुझे और एक घंटा चुदाना है."
"हमसे नही हो रहा है, मालकिन!" रामु की आवाज़ आयी, "आपको पहली बार चोद रहे हैं ना!"

सुनकर गुलाबी की आंखें बड़ी बड़ी हो आयी. बोली, "भाभी, ई आवाज़ तो हम अच्छी तरह पहिचानते हैं! हमे तो दाल मे कुछ काला दिखायी दे रहा है!"

बोलकर वह दौड़कर झाड़ी के पास गयी और आड़ से देखने लगी. मैं भी उसके पीछे पीछे गई.

झाड़ी के पीछे सासुमाँ रामु से चुदाये जा रही थी. सासुमाँ की पेटीकोट उनके कमर पर सिकुड़ी हुई थी और रामु पूरा नंगा था. दोनो सासुमाँ की साड़ी पर लेटकर एक दूसरे से लिपटे हुए थे. रामु का काला लन्ड सासुमाँ की मोटी बुर मे आ जा रहा था. उसके हाथ सासुमाँ की बड़ी बड़ी चूचियों को बेरहमी से मसल रहे थे और उसके होंठ सासुमाँ के होठों से चिपके हुए थे.

गुलाबी सदमे मे आ गयी. कुछ देर वह अपने सामने की अश्लील दृश्य को देखती रही, फिर मुझे फुसफुसाकर बोली, "भाभी! ई का हो रहा है! मालकिन मेरे मरद के साथ....ऊ तो मालकिन को अपनी माँ की तरह इज्जत देता है!"
"मै भी यही देख रही थी, गुलाबी." मैने कहा, "बहुत सी औरतें तो अपने बेटों से चुदवाती हैं. रामु तो घर का नौकर है."
"और हमरे रहते हमरा आदमी कैसे किसी और औरत को चोद सकता है!" गुलाबी बोली, "साला बेवफा, हर्जाई, कमीना!"
"सब मरद एक जैसे होते हैं, गुलाबी." मैने कहा, "तु बुरा मत मान. तुने भी तो बड़े भैया के कमरे मे उनसे अपने जोबन और चूत मसलवायी थी ना?"
"बड़े भैया तो हमरे साथ जबरदस्ती किये थे!"
"पर तुझे मज़ा तो आया था ना?" मैने कहा.

गुलाबी ने कुछ जवाब नही दिया. फिर वह सासुमाँ और अपने पति की अवैध चुदाई को देखने लगी.
रामु मध्यम रफ़्तार से सासुमाँ को चोद रहा था. उसका काला, जवान बदन पसीने-पसीने हो रहा था. उसकी सांसें फूल रही थी. सासुमाँ भी रामु के होंठ पीते पीते अपना कमर उठा रही थी और उसका लन्ड ले रही थी.

कुछ देर बाद सासुमाँ बोली, "रामु अब और जोर से चोद! पर ध्यान रहे, अपना पानी नही गिराना! तुने मुझे प्यासा छोड़ दिया...तो तेरा लन्ड काटकर...गाँव के चौराहे पर लटका दूंगी...ताकि आने-जाने वाले देखें...और कहें की यह रामु हिजड़े का लन्ड है. आह!!"

रामु ने अपनी रफ़्तार और बड़ा दी और "ऊंघ! ऊंघ! ऊंघ! ऊंघ!" करके ठाप लगाने लगा.

"आह!! और जोर से!" सासुमाँ बोली, "और जोर से चोद मुझे, रामु! आह!! ऊह!!"

रामु और जोर से चोदने लगा.

सासुमाँ झड़ने के करीब आ गयी थी. "हाय और तेज पेल रे बहिनचोद! गांड मे दम नही था...तो चोदने क्यों चला था? ऐसे लल्लु की तरह चोदता रहेगा...तो जल्दी ही तेरी गुलाबी...मेरे बलराम के नीचे होगी! बहुत चुदेगी मेरे बलराम से और मज़ा पायेगी! आह!! मैं बस झड़ने वाली हूँ! पेल और जोर से!! उम्म!! भोसड़ा बना दे मेरी चूत का, रामु!! आह!! ऊह!! हाय मैं मरी!!"

रामु अपनी पूरी ताकत से कमर चलाने लगा. ठाप! ठाप! ठाप! ठाप! की आवाज़ खेत के सन्नाटे मे गूंजने लगी. सासुमाँ ने अपनी उंगलियां रामु के नंगे पीठ मे गाड़ दी और झड़ने लगी.

सासुमाँ के झड़ने के दो-तीन मिनट बाद रामु बोला, "मालकिन, अब हम नही रुक सकते हैं! पानी निकाल दें?"
"हाँ निकाल दे!" सासुमाँ बोली.

उनका कहना था कि रामु ने अपना लौड़ा पेलड़ तक पूरा सासुमाँ की बुर मे उतार दिया और "हंह!! हंह!! हंह!! हंह!!" की आवाज़ करते हुए अपना वीर्य सासुमाँ की चूत की गहराई मे छोड़ने लगा. करीब 10-15 सेकंड पानी छोड़ने के बाद वह पस्त होकर सासुमाँ के ऊपर ही लेट गया.

मैने गुलाबी का हाथ पकड़ा और खींचकर उसे घर ले आयी.


गुलाबी इतनी परेशान थी कि मेरे कपड़ों ही हालत और मेरे शरीर से आते वीर्य की महक पर उसका ध्यान नही गया. घर जाते ही मैने नहाने चली गयी और नये कपड़े पहनकर रसोई मे आयी.

गुलाबी रसोई के ज़मीन पर बैठी सब्ज़ी काट रही थी. उसका मुंह गुस्से से तमतमा रहा था.

मुझे देखते ही बोली, "साला हरामी! मेरे रहते दूसरी औरतों पर मुंह मारता है! घर आने दो कमीने को! यह छुरी उसके सीने मे उतार दूंगी!"
"अरे गुलाबी! ऐसा कहते हैं क्या अपने पति के बारे मे?" मैने कहा, "कितना प्यार करता है रामु तुझे!"
"पियार! भाभी इसे पियार कहते हैं!" गुलाबी भड़क के बोली, "मेरे पीछे अपनी माँ जैसी मालकिन को चोद रहा है!"
"तो क्या हुआ. पति किसी और औरत को चोदे इसका यह मतलब तो नही वह अपनी पत्नी से प्यार नही करता." मैने कहा, "अब देख, तेरे बड़े भैया तुझे चोदने के लिये जबरदस्ती करते रहते हैं. पर वह मुझे फिर भी बहुत प्यार करते हैं. तभी तो तु उनसे चुदा लेगी तो मैं बिलकुल बुरा नही मानुंगी. और मैं भी तो सोनपुर मे कितनो से चुदी हूँ. मैं क्या तेरे बड़े भैया को प्यार नही करती?"

"हमे ई सब नही पता, भाभी!" गुलाबी बोली, "हम इसका बदला जरूर लेंगे!"
"कैसे लेगी बदला?" मैने पूछा, "देख खून-खराबा मत करना! खून करेगी तो तुझे जेल हो जायेगी. और जेल के संत्री लोग तेरे जैसी सुन्दर कातिलों का पता है क्या करते हैं?"
"नही."
"उन्हे सब मिलकर बहुत बेदर्दी से चोदते हैं. और जबरदस्ती रंडीबाज़ी करवाते हैं." मैने कहा.

"अच्छा हम उसका खून नही करेंगे." गुलाबी से कुछ सोचकर कहा, "पर फिर हम बदला कैसे लें?"
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