RE: कमीना पार्ट - II Incest
कमीना पार्ट - II Incest--6
रति- कविता ज़रा अलमारी से साबुन निकाल कर दे तो, कविता उसे साबुन देने लगी तब मा ने कहा, बेटे दीवाली के बाद 8-15 दिन की
छुट्टी ले ले हम लोग अपने गाँव चलते है मेरे मैके मे भैया की लड़की की शादी है और कविता का पिहर भी पास ही है तो
वह भी घूम आएगी और तेरे ताऊ के बड़े लड़के मनोहर की बीबी को भी लड़का हुआ है तो उसके नामकरण मे भी शामिल हो
जाएगे,
सोनू- ठीक है मा मैं छुट्टी की अपलिकेशन दे देता हू, दीवाली के दिन कविता ने बहुत ही खूबसूरत साड़ी पहनी हुई थी और बिल्कुल
दुल्हन की तरह सजी हुई थी, हालाकी मोम भी काफ़ी सजी धजी थी, काफ़ी खुशी का महॉल था और घर मे काफ़ी मिठाइया बनाई
जा रही थी, रात को मेरा कविता के साथ मस्त चुदाई करने का मूड था और यह बात वह भी भली भाँति जानती थी कि सोनू मुझे
इतनी सजी धजी देख कर ज़रूर खूब मस्त ठुकाई करेगा,
और इसी लिए वह बार बार मोम के सामने मुझे देख कर मुस्कुरा रही
थी और शायद मोम भी समझ रही थी कि आज मेरा बेटा खूब तबीयत से उसकी बहू को चोदने वाला है जब भी मोम थोड़ा
इधर उधर होती मैं कभी कविता के बोबे मसल देता कभी उसकी मोटी गंद दबा देता और वह मुझसे छितक कर मुस्कुराते
हुए दूर भाग जाती,
तभी कविता किचन मे खड़ी थी और मैने देखा मोम बाहर बरामदे मे है और मैने पिछे से
कविता के मोटे मोटे दूध को खूब कस कर पकड़ कर दबाने लगा और तभी मैने देखा मोम ने मुझे उसके दूध
दबाते देख लिया और एक दम से मोम से मेरी नज़रे मिली और मैं चुपचाप बाहर आ गया और कविता भी यह देख कर हल्के
हल्के मुस्कुराती हुई फिर से काम मे लग गई,
रात को पूजा के बाद दीवाली के पटाखे आधी रात तक फोड़ते रहे और खूब मिठाइयो का मज़ा लिया और फिर मैं और कविता खाना
खाने के बाद बेड पर आ गये,
कविता ने बताया कल आपकी छीनाल मौसी भी आ रही है,
सोनू- मुस्कुराते हुए, बेचारी को छीनाल क्यो बोल रही हो,
कविता- मेरे पति से रात भर अपनी चूत दबवाती रही तो उन्हे छीनाल ना कहु तो क्या कहु,
सोनू- उस बेचारी को क्या पता कि उसके भतीजे ने रात भर उसकी फूली हुई चूत को दबाया था,
कविता- मूह बनाते हुए, चलो हटो भी, पक्की छीनाल है तुम्हारी मौसी, ऐसा हो नही सकता कि कोई मर्द रात भर किसी औरत की
चूत मर्दन करे और उसे पता भी ना चले,
सोनू- कविता की फूली हुई चूत को उसकी पैंटी के उपर से दबाता हुआ, अब चोदु रानी मौसी को अब तो तुम्हारी चूत दबाने और मरने का टाइम हो गया और और फिर मैने कविता को अपनी बाँहो मे भर लिया..............
रति- अगले दिन अरे कविता मौसी को फोन करके पूछ ले कि वह भी गाँव जाएगी क्या
कविता- नही मा जी मैने कल ही उनसे पुछा था वह 1 महीने बाद आएगी और वैसे भी
सोनू ने 3 सीट रिज़र्व करवा ली है और वह कह रहे थे कि हमे छोड़ कर वापस आ जाएगे
ज़्यादा छुट्टी नही मिली है
आज मुझे कुच्छ शॉपिंग करना थी और मैं मार्केट मे घूम रहा था तभी मेरी नज़र कुछ
फॅन्सी ब्रा और पैंटी पर पड़ी कुछ तो ऐसी थी जिनको पहनने के बाद पिछे से औरतो की
गंद की गुदा पर बस एक डोरी रहती थी और पूरी गंद नज़र आती मुझे वह बड़ी अच्छी लगी
और मैने सोचा कविता जब इसे पहन कर मेरे सामने आएगी तो कितना अच्छा लगेगा
बस फिर क्या था मैने एक ब्लू और एक रेड कलर की ब्रा और पैंटी ले ली, घर पहुच कर
कविता को दिखाई तो वह मुझे मुस्कुराकर मुक्का मारते हुए कहने लगी
कविता- लगता है आज कल आपका दिन भर लंड खड़ा रहता है तभी तो इन सब चीज़ो पर इतना ध्यान रहता है.
सोनू- अब मुझे पहन कर भी दिखओगि या बाते ही बनाती रहोगी.
कविता- नहा कर पहनूँगी और फिर कविता मुस्कुराती हुई अंदर चली गई और मैं उसके
मटकते चुतडो को देखता रह गया,
मैं बैठ कर न्यूज़ पेपर पढ़ने लगा तभी कविता नहा कर मंदिर की ओर चली गई
और मैं वापस पेपर पढ़ने लगा रत को कविता को ब्लू कलर की पैंटी मे देख कर
मस्त हो गया और उस रात मैने उसके चुतडो को खूब दबोच दबोच कर सहलाया, कविता
को चोदने के बाद मैने टीवी ऑन कर ली और देखने लगा, कविता सो चुकी थी और मुझे
नींद नही आ रही थी सो मैने सोचा कोई अडल्ट फिल्म देखी जाए और मैने डीवीडी पर पॉर्न
मूवी लगा दी कुछ ही देर मे मेरा मौसम फिर बन गया और मैं कविता की नंगी गंद पर
हाथ फेरते हुए अपना लंड सहलाने लगा, हालाकी कविता सो चुकी थी लेकिन वह उस पैंटी मे
बहुत मस्त लग रही थी और उसे पूरे चूतड़ नंगे नज़र आ रहे थे, मैने थोड़ी देर अपने लंड
को सहलाया और फिर सोचा अब मूत कर सो जाना चाहिए इसलिए मैं बाथरूम की ओर चल दिया,
पापा 3 दिन के लिए बाहर गये हुए थे और मेरी नज़र जैसे ही मोम के कमरे पर पड़ी उनके रूम
की लाइट ऑन थी, मैने घड़ी देखा तो उस समय रात के 2 बज रहे थे मैने सोचा मोम लाइट चालू
करके सो गई होगी और मैने धीरे से उनके रूम की विंडो के पास जाकर देखा तो एक दम से चौंक गया,
मोम मेरी लाई हुई रेड कलर की पैंटी पहन कर ड्रेसिंग टेबल के सामने नंगी खड़ी थी और बार बार
पैंटी के उपर से कभी अपनी फूली हुई चूत को दबा दबा कर देखती और कभी पीछे घूम कर अपनी
भारी गंद जो की उसकी पैंटी मे नही समा रही थी को देखने लगती, मोम के इतने भारी भरकम गोरे
गोरे चुतडो को देखते ही ऐसा लगा जैसे मेरा लंड पानी छोड़ देगा, वाकई मे पैंटी तो सही मायने
मे मोम के उपर ज़्यादा अच्छी लग रही थी, मेरा तो लंड यह सोच सोच कर फटा जा रहा था कि मेरी
मा मेरी लाई हुई पैंटी को पहन कर मेरे सामने नंगी खड़ी है,
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