RE: Chudai Story मौसी का गुलाम
उन्होंने यह भी कहा कि मैं आज कपड़े पहना रहूं ताकि पूरा आराम मेरे लंड को मिले जब मौसी इस बात पर चिढ कर चिल्लाने लगी तो अंकल उसे चूमते हुए मुस्काराकर बोले "मेरी रानी, तुझे कोई तकलीफ़ नहीं होगी, तेरा प्यारा भांजा तो दिन भर तेरी चूत चूस सकता है तू मज़ा कर, वैसे भी तेरी चुनमूनिया में इतना रस है कि चाहे जितना पियो, खतम नहीं होता"
हम दोनों का प्यार से चुंबन लेकर मौसाजी काम पर निकल गये काफ़ी दिन बाद मैं घर में दिन भर कपड़े पहन कर रहा एक तंग पैंट मैंने पहनी थी कि लंड दबा रहे मौसी ने भी साड़ी और ब्लओज़ पहन लिया, ब्रा और पैंटी छोड़ दी इससे उसकी चुनमूनिया और चुचियाँ मेरे लिए हमेशा खुले थे दिन भर मैंने कई बार उसकी चुनमूनिया चुसी और मम्मे दबाकर निपल चूसे
दोपहर को हम सो गये क्योंकि जाते जाते अंकल यह कह गये थे कि हम खूब आराम कर लें जिससे रात को ताजे दम से रति की जा सके हम इतनी गाढी नींद सोए कि जब हम उठे तो रात हो चुकी थी देखा कि अंकल भी सोफे पर सो रहे थे काम से जल्दी आकर उन्होंने भी एक गहरी नींद ले ली थी खाना खाने हम बाहर गये जिससे आकर बस अपना काम शुरू किया जा सके वापस आकर हमने साथ साथ स्नान किया लंड पर लगा अंजन धूल जाने के बाद जल्द ही हम दोनों के शिश्न तन्नाने लगे जब तक हम बदन पोंछ कर बेडरूम में आए, हमारे लौडे कस कर खड़े हो गये थे
शुरू में तो मौसी और अंकल सोफे पर मुझे बच्चे जैसे गोद में लेकर बैठ गये और मुझे खिलाने लगे मुझसे तो वे ऐसे खेल रहे थे जैसे मैं कोई गुड्डा हूँ मौसी मेरे लंड को हथेली में लेकर मुठिया रही थी और मौसाजी मेरे होंठ चूसने में लगे थे मेरी आँखों में आँखें डाल कर बड़ी शैतानी से वे मेरी जीभ चूस रहे थे और अपनी जीभ मेरे गले में डाल रहे थे उनका मुखरस मौसी से अलग स्वाद का था पर बहुत मादक लग रहा था और मैं उनकी जीभ को किसी रसीले फल जैसा चूस रहा था फिर मौसी मेरा चुंबन लेने लगी और अंकल झुक कर मेरे शिश्न को चूमने लगे मौसाजी का भी लौडा खूब तन कर खड़ा हो गया था और मेरे नितंब पर रगड रहा था
आख़िर मौसाजी ने मेरा सूज कर सोंटा हुआ लंड अपनी पत्नी को दिखाया "शन्नो रानी, इस मस्त लंड से गान्ड मराने का जी करता है" उनकी आवाज़ में गजब की कामुकता भरी हुई थी मौसी भी उन्हें चूमते हुए बोली "तो मरा लो ना! अपना ही लडका है, हमारा गुड्डा है, जैसा तुम कहोगे वैसा करेगा" फिर मेरी ओर मुड कर मौसी ने मुस्करा कर मुझे आँख मारते हुए पूछा "राज बेटे, अपने अंकल की गान्ड मारेगा?"
मेरी खुशी का ठिकाना ना रहा क्योंकि कब से मैं अंकल के उन मांसल कसे हुए चुतडो को भोगने के लिए लालायित था मौसाजी के हाथ में पकड़े मेरे लंड ने उछल कर अपना जवाब दे दिया वे भी मेरी इस उत्तेजना पर हँस पड़े और मुझे बाँहों में बच्चे जैसा उठाकर चूमते हुए बेडरूम में पलंग पर ले गये वहाँ एक बार मेरे शिश्न को चूम कर वे खुद ओंढे बिस्तर पर लेट गये मौसी उनके पास बैठकर उनके चुतड सहलाते हुए मुझसे बोली "देख बेटे, क्या मस्त चिकनी टाइट गान्ड है बहुत मज़ा आएगा तुझे पर मारने के पहले इन चुतडोसे ज़रा प्यार व्यार करो, इनको चूम कर मस्त करो, फिर देखो कैसा आनंद देती है तुझे मेरे पति की गान्ड "
मैं भी उन भरे हुए पुष्ट चुतडो को देखकर उत्तेजित हो गया था उन्हें मैंने प्यार से सहलाया और मसला और फिर झुककर उन्हें चाटने लगा मौसी ने कहा "गान्ड के छेद को चूस बेटे, गुदा में जीभ घुसेड दे, जैसे मेरी गान्ड में कल कर रहा था इनकी गान्ड का स्वाद भी मेरी गान्ड से कुछ कम नहीं होगा"
उसने पकड़ कर मौसाजी के चुतड अलग किए और सकरा भूरा गुदाद्वार सॉफ दिखने लगा मैंने एक लंबी साँस ली और उसपर मुँह जमाकर जीभ चलाने लगा गुदा बहुत मुलायम थी और उसमें से जो गंध आ रही थी, वह आज मुझे बड़ी मादक लगी गुदा कुछ देर चूस कर आख़िर मैंने अपनी जीभ अंदर डाल दी जीभ गान्ड में घुसते ही मौसाजी मस्ती से हुनक उठे "चूस मेरी गान्ड राजा, चाट ले, खा जा उसे जीभ से चोद मेरे लाल"
मैं गुदा में जीभ अंदर बाहर करता हुआ मौसाजी की गान्ड जीभ से चोदने लगा गान्ड अंदर से बड़ी कोमल थी और वह गुदाद्वार बिलकुल मुँह जैसा खुलता और बंद होता हुआ मेरी जीभ को पकड़ रहा था आख़िर मेरे सब्र का बाँध टूट गया और मैं उठ कर मौसाजी पर चढ कर बैठ गया
मौसी ने एक क्षण रुकने को कहा और फिर मेरा शिश्न मुँह में लेकर उसे गीला करने को चूसने लगी फिर उसने अंकल के चुतड फैलाए कि मुझे लंड घुसाने में आसानी हो मैंने झट से सुपाडे को गुदा कर रख कर पेल दिया सुपाडा बहुत धीरे धीरे अंदर गया, गान्ड बड़ी टाइट थी, मौसी जैसी नहीं थी; जाहिर था कि अंकल भी पहली बार मरवा रहे थे
मुझे समझ में नहीं आया अगर उनके यार दोस्तों से संबंध थे मरवाई ज़रूर होगी मौसी ने मेरे मन की बात ताड़ ली बोली "अरे ये इस बात में कुंवारे हैं ये मारते हैं, कभी मरावाई नहीं तेरा कमसिन लंड देखकर फिदा हो गये, इसलिए मरवा रहे हैं"
क्रमशः……………………
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