RE: Maa ki Chudai माँ का दुलारा
तो लीजिए दोस्तो माँ का दुलारा का पार्ट-2
मेरा और मा का संभोग शुरू होकर एक साल होने को आ गया था. एस.एस.सी की
फाइनल परीक्षा चल रही थी इसलिए चुदाई भी मा ने कम कर दी थी कि मेरी
पढ़ाई मे खलल न पड़े. बस रात को एक बार वह मुझे चोदने देती. मेरे
करियर के बारे मे वह बहुत सावधानी बरतती थी और मैं भी उसकी बात
मान कर पढ़ाई करता था. मा अब मेरी सब कुछ थी, मेरी मा, मेरी प्रेमिका,
मेरी देवी, मेरी मालकिन और मैं उसका पुत्र, गुलाम, पुजारी और प्रेमी था.
मेरी फरमाइश पर आज कल मा ने झान्टो को शेव करना बंद कर दिया था.
मुझे उसकी चिकनी बुर भी अच्छी लगती थी. पर मन होता था कि उसकी घनी
झान्टो मे मूह छुपा कर मा की बुर चूसने का मज़ा भी लेलू. मा ने झान्टे
काटना बंद कर दिया और एक महीने मे उसकी इतनी घनी झाँटे हो गयी जैसी
इंटरनेट पर 'हेरी' साइट मे दिखाते है. मैं तो नहाते समय वो गीली झाँटे मूह
मे लेकर उनसे टपकता पानी चुसता था. मूह मे भरकर चबा डालता था.
ऐसा करने मे मा की बुर का एकाध बाल मूह मे आ जाता था, वह भी मुझे
अच्छा लगता था.
कुछ दिनों से मा थोड़ी परेशान लगती थी. रात को भी अक्सर देर से आती थी.
मैने पूछा तो कुछ बोली नही, बस कह दिया कि काम ज़्यादा हो गया है. मा को
कंपनी के मॅनेजिंग डाइरेक्टर के स्टाफ मे ट्रांसफर कर दिया गया था. उसके
कारण काम का बोझ ज़्यादा हो गया था.
एक दिन मा ज़्यादा ही परेशान लग रही थी. रात को जब मैने उसे चोदा तो रोज की
तरह मस्त होकर नही चुदवा रही थी, बस मुझे खुश करने को आह आह कर
रही थी. उसकी आँखे खोई खोई थी जैसे कुछ और सोच रही हो. मैने झड़ने
के बाद उसे चूम कर कहा "मा, कुछ तो बात है, तुम परेशान हो, मुझे
बताओ मेरी कसम"
मा बोली "अब क्या बताउ बेटे और कैसे बताउ, तू समझ ही गया है तो बताना
पड़ेगा, वैसे बात बड़ी अजीब सी है, मुझे भी समझ मे नही आता क्या करू.
सोच रही हू कि नौकरी छोड़ कर और कोई पकड़ लू"
"क्यों मा, इतनी अच्छी नौकरी है तुम्हारी" मैने पूछा.
"हां पर वो मेरे नये बॉस है ना, मिसटर अशोक माथुर, वो ..." मा चुप हो
गयी. मैं समझ गया. मन मे अजीब सा लगा. मैं कब से सोच रहा था कि शायद
मा को अब एक और पुरुष की ज़रूरत लग रही होगी. क्या मा ने भी इस बारे मे
सोचना शुरू कर दिया था! मा खूबसूरत और सेक्सी थी और ऐसा कुछ होगा
इसका अंदेशा मुझे पहले ही हो गया था. पर मेरे अलावा मा को कोई इस तरह
से देखे यह भी मुझे गवारा नही हो रहा था "क्यों उन्होने कोई हरकत की
क्या मा?"
मा हंस पड़ी "अरे वैसी कोई बात नही है. वे तो काफ़ी सीधे सादे इंसान है.
उनकी बेटी शशिकला भी वही है ऑफीस मे. सारा प्राब्लम उसी की वजह से है"
मैने मा से पूछा तो धीरे धीरे उसने सारी बात बताई. बड़ी अजीब सी पर
मजेदार बात थी. कंपनी के मॅनेजिंग डाइरेक्टर अशोक माथुर करीब सैंतीस
साल के थे. उनकी सौतेली बेटी शशिकला करीब पच्चीस साल की थी और वही
ऑफीस मे मनेजर थी. उसकी शादी नही हुई थी. मा की बॉस वही थी.
"अशोक माथुर की इतनी बड़ी सौतेली बेटी, बाप बेटी की उमर मे सिर्फ़ बारह साल का
अंतर?" मैने अस्चर्य से पूछा. मा ने बताया कि अशोक माथुर ने शशिकला
की मा ललिता से पंद्रह साल पहले प्रेमविवाह किया था. ललिता कंपनी की
मालकिन थी और अशोक माथुर से दस साल बड़ी थी. अशोक माथुर ललिता की
कंपनी मे मॅनेजर थे. उनका अफेर एक दो साल चला और उसके बाद ललिता ने
बिना किसी की परवाह किए उनसे शादी कर ली. उस समय ललिता की तेरह साल की बेटी
थी, शशिकला.
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