RE: Parivar Mai Chudai रिश्तों की गर्मी
हम दोनो अपने अपने सुख को प्राप्त हो गये थे पर मैं उसके उपर ही पड़ा रहा काफ़ी देर तक लंड अपने आप सिकुड कर चूत से बाहर निकल आया था तो फिर मैं लुढ़क कर उसकी बगल मे लेट गया वो मेरे सीने पर हाथ फिराते हुवे बोली कई दिनो बाद अच्छे से झड़ी हूँ सब तुम्हारी बदोलत है मैने कहा मैं आपका शुक्रेगुजार हू जो अपने मुझे अपनी चूत का मज़ा दिया
फिर थोड़ी देर बाद वो वहाँ से चली गयी और मैं सो गया सुबह मैं उठा तब तक गोरी स्कूल जा चुकी थी और मैं भी बिना बताए हवेली की तरह निकल पड़ा गेट पर ही नंदू मिल गया मैने कहा तू कब आया वो बोला मैं तो उठते ही आ गया था और आपका इंतज़ार कर रहा था मैने गेट खोला और अंदर आ गये मैने कहा यार पानी की मोटर चला दे और बगीचे मे पानी छोड़ दे
मैं नहाने चला गया फिर मैं तैयार हुवा और कहा कि नंदू पानी देना हो गया हो तो आजा मंदिर की तरफ चलते है रास्ते मे हम पुजारी के घर भी गये और उनसे थोड़ी बात चीत की फिर हम मंदिर पहुच गये तो कुछ लड़के सफाई करने मे लगे थे तो मैने कहा आजा नंदू हम भी इनकी मदद करते है पर नंदू बोला मैं नीच जात वाला मंदिर मे नही जाउन्गा
तो मैं उसे वही छोड़ कर अंदर चला गया वो लड़के मुझे देख कर बोले अरे आप यहाँ क्यो आ गये हम लोग कर लेंगे मैने कहा कोई बात नही मैं भी आप लोगो की सहयता कर देता हू और उनलोगो के साथ जुड़ गया दोपहर तक हम लोगो ने काफ़ी काम कर दिया था और थकान से मेरा बुरा हाल हो गया था और सुबह से कुछ खाया भी नही था तो मैने उन लड़को से कहा कि यार किसी का घर पास है तो थोड़ा पानी पिला दो
तो उनमे से एक लड़का बोला ठाकुर साहब आप हमारे घर का पानी पीओगे मैने कहा तुम्हारे घर का पानी क्यो नही पियुंगा जाओ थोड़ा लेके आओ तो वो भागते हुए गया और पानी का जग ले आयगा पानी हलक मे उतरा तो रूह को चैन मिला मैने कहा आप लोग भी काफ़ी थक गये है अब बाड़ी काम बाद मे देखेंगे मैने कहा गाँव मे कोई जलपान की दुकान है क्या
तो पता चला कि स्कूल के पास एक हलवाई की दुकान है मैने उन लड़कों को कहा कि आप लोग थोड़ी देर मे मुझे वही पर मिलना फिर मैं नंदू को लेकर वहाँ पहुच गया दुकान थोड़ी छोटी सी थी तो मैने सब के लिए चाइ-समोसो और कुछ मीठे का ऑर्डर दिया वो लड़के थोड़ा संकोच कर रहे थे पर फिर मेरे साथ घुल मिल गये फिर नंदू अपने घर चला गया और मैं चोपाल की तरफ बढ़ गया
बाबा वही नीम की नीचे बैठे हुक्का पी रहे थे तो मैं भी उनके पास जाकर बैठ गया उन्होने मेरा हाल चल पूछा मैने कहा बाबा बस थोड़ा सा परेशान हू वो बोले क्या हुआ मैने कहा बाबा वो ही परेशानी है लोग चाहिए काम करने को कुछ हवेली के लिए और कुछ खेतो और बाग के लिए समझ नही आता कि क्या करू वो बोले देव तुम शाम को आ जाना मैं लोगो को मनाने की कोशिश करूँगा कोई ना कोई तो मेरी बात मान ही लेगा
मैने कहा बाबा एक समस्या और है अगर कोई खाना बनाने वाली का भी इंतज़ाम हो जाता तो ठीक रहता मैं रोज मुनीम जी के घर खाना ख़ाता हू तो अच्छा नही लगता मैं उनको परेशानी नही देना चाहता वो बोले बेटा मैं देखता हू तेरे लिए क्या कर सकता हू फिर मैं कुछ देर बाबा के पास ही रहा और फिर घर आ गया करने को कुछ था नही तो अपने माँ-बाप की तस्वीरो से ही बाते करने लगा कि क्यो वो मुझे अकेला छोड़ कर चले गये
सच तो था कि मैं खुद को बहुत ही अकेला महसूस करता था मैं खुद को कोस्ता था कि आख़िर क्यो मेरा जीवन औरो की तरह नही है दिल कर रहा था कि बस रोता ही रहूं मेरा दिल बहुत भारी सा हो गया था तो मैं बाहर आ गया और लॉन मे लगे झूले पर बैठ गया पर मेरा मन उधर भी नही लगा तो मैने मैनगेट पर ताला लगाया और गाँव से बाहर चल पड़ा और घूमते घूमते नदी किनारे आ गया आज यहाँ पर कोई नही था तो एक साइड मे बैठ गया और पानी को देखने लगा
मैं अपने ख़यालो मे डूबा हुवा था कि तभी एक लड़का मेरे पास आकर खड़ा हो गया ये वोही था जिसने मुझे पानी पिलाया था वो बोला देव साहब आप यहाँ पर क्या कर रहे है मैने कहा यार पहले तो तुम मुझे अपना दोस्त ही समझो और मुझे बस देव ही कहो मैं थोड़ा सा परेशान था इसलिए इस तरफ आ निकला वो बोला मैं तो रोज ही शाम को इधर आता हू
मैने कहा तुम्हारा नाम क्या है वो बोला जी मैं ढिल्लू हू मैने कहा ढिल्लू तू पढ़ता है तो वो बोला हाँ मैं9वी मे पढ़ता हू मैने कहा तेरे घर मे कॉन कॉन है वो बोला माँ-बापू और मैं मैने कहा बापू क्या करते है बोला पहले तो मज़दूरी ही करते थे पर एक दिन छत से गिर गये तो टाँग खराब हो गयी आजकल चिलम पीकर पड़े रहते है और माँ छोटा-मोटा काम करके घर चला रही है ये बोलते बोलते वो रुआंसा हो गया
मैने कहा घबराता क्यो है पगले देख तेरे पास कम्से कम माँ बाप तो है ना मुझे देख मैं तो अनाथ हू इतना बड़ा घर है मेरा पर रहने वाला मैं एक तू जल्दी ही पढ़ लिख के नोकरी लग जाना फिर सब ठीक हो जाएगा फिर वो बोला आप परेशान क्यो हो मैने कहा यार मेरा एक आम का बाग है पर को राज़ी नही है चौकीदारी को रोज लोग आम चुरा कर ले जाते है मुझे काफ़ी नुकसान हो रहा है
बस इसी लिए थोड़ी से टेन्षन है वो बोला क्या आप मेरे बापू को चोकीदार लगा लो गे मैने कहा अगर वो काम करना चाहे तो पक्का रख लूँगा और तनख़्वाह भी औरो से ज़्यादा दूँगा तो उसकी आँखो मी चमक आ गयी वो बोला मैं कल अपने बापू को लेकर हवेली आता हू मैने कहा ठीक है फिर वो जाने को हुआ तो मैने कहा यार एक काम और है अगर कर सके तो वो बोला आप बस हुकम करो मैने कहा यार अगर कोई हवेली की रसोई को संभालने को तैयार हो तो बताना
फिर मैं चोपाल पर आ गया बाबा के कहने से कुछ लोग दुगनी मज़दूरी पर काम करने को राज़ी हो गये थे तो मैने कहा ठीक है आप लोग कल से खेतो पर आ जाना बाकी बाते वही पर करेंगे मैने कहा बाबा आपने मदद की आपका अहसान है मुझ पर , पर अभी आपकी थोड़ी और सहायता चाहिए मंदिर को फिर से पहले जैसा करना है मेरे कहने से तो लोग आना कानी करेंगे अब आप ही उधर की व्यवस्था संभाले तो बाबा बोले अगर तुम्हारी इच्छा है तो ऐसा ही होगा
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