RE: Parivar Mai Chudai रिश्तों की गर्मी
10-12 मिनिट तक उसके उभारों को चूस चूस कर मैने बिल्कुल ही लाल कर दिया गोरे के गाल गुलाबी हो गये थे अब मैने उसकी सलवार के नडे पर अपना हाथ रखा और उसको खीच दिया गोरी ने ज़रा सा भी विरोध नही किया गुलाबी रंग की कच्छि मे क्या मस्त लग रही थी वो बस मैं तो मर ही मिटा उसके योवन पर मैने अपनी नाक उसकी चूत पर रखी तो बड़ी भीनी भीनी सी खुश्बू आ रही थी
मैं कच्छि के उपर से ही उसको किस करने लगा तो गोरी बेड पर नागिन की तरह मचलने लगी मस्ती उसके रोम रोम मे भरती जा रही थी तभी गोरी बोली देव रुक जाओ ना सुबह का टाइम है पुष्पा आती ही होगी थोड़ी देर मे मैने कहा तू उसकी चिंता ना कर बस मेरा साथ दे तो फिर उसने कुछ नही कहा मैने उसकी कच्छि की एलास्टिक मे अपनी उंगलिया डाली और उसको भी उतार कर फेक दिया
हल्की रोएँदार झान्टो के बीच मे छुपी हुई उसको छोटी सी गुलाबी योनि रस से भरी पड़ी थी तो मैं अपनी उंगली को उसकी चूत की दरार पर फिराने लगा गोरी बड़ी मस्त होकर हल्की हल्की सी सिसकारियाँ भरने लगी थी फिर मैं अपनी उंगली को अंदर घुसाने की कोशिश करने लगा तो गोरी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली ऐसा ना करो दर्द होता है तो मैने कहा और जब इसमे लंड जाएगा तब ,
तो वो शरमाते हुए बोली धात, बेशर्म हो तुम तो मैने अपने होटो मे उसकी चूत को भर लिया तो गोरी जैसे सीधा आसमान की सैर पर पहुच गयी और बोली उफफफफफफफफफफ्फ़ ओह देवववववववववववववववव ईईए कैसा जादू कर देते हो तुम कितना अच्छा लगता है जब तुम वाहा पर क़िस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स करते ईईईई हूऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊ ओह आआआआआआआआाआआआआआआआ
उसकी चूत से जैसे उस गरम मजेदार रस का झरना ही बह चला था गोरी ने अपनी आँखो को मस्ती के मारे बंदकर लिया था और मेरे सर को अपनी जाँघो पर भीच ने लगी थी सुडूप सुडूप मैं अपनी जीभ को तिकोना कर के उसकी चूत को चाटे जा रहा था फिर मैं वहाँ से उठा तो गोरी मेरी ओर ऐसे देखने लगी कि जैसे किसी ने भूखी शेरनी के आगे से शिकार छीन लिया हो
मैने उसकी जाँघो को फैलाया और अपने लंड को चूत पर सेट किया ही था कि तभी फोन की घंटी बज उठी तो मेरा मूड भन भना गया मैने गोरी के उपर से हट कर फोन को उठाया और कान से लगा लिया तो दूसरी तरफ थानेदार की आवाज़ जैसे ही मेरे कानो से टकराई कुछ पॅलो के लिए जैसे मैं सुन्न ही हो गया था मैने सोचा नही था कि ऐसी न्यूज़ भी मिलेगी
मैने बस इतना ही कहा कि बस मैं थोड़ी ही देर मे पहुचता हूँ और फटा फट से अपने कपड़े पहन ने लगा तो गोरी बोली क्या हुआ मैने कहा यार एक कांड हो गया है मुझे अभी जाना होगा तो वो अपने कपड़े डालते हुए बोली मैं भी चलती हू मैने कहा नही तू इधर ही रह, जैसे तैसे मैने अपने तन पर कपड़े उलझाए और फिर गाड़ी लेकर सीधा अपने नदी किनारे वाले खेतो को ओर चल पड़ा
वहाँ पहुचने मे करीब बीस पच्चीस मिनिट लग गये मैं जैसे ही तो वहाँ पहुचा तो देखा कि कुछ लोग जमा थे वहाँ पर और पोलीस की गाड़ी भी खड़ी थी मुझे देखते ही इनस्पेक्टर मेरे पास आया और बोला कि ठाकुर साहब मेरे साथ आइए तो मैं उसके पीछेपीछे चल पड़ा और फिर मैने कुछ ऐसा मंज़र देखा की मेरा कलेजा काँप गया लगा कि जैसे ये क्या हो गया
मेरी आँखो के सामने एक लाश थी , चंदा की लाश मैं एक पल मे ही समझ गया था कि मेरे किसी दुश्मन ने ही इसका काम तमाम कर दिया है पर बात सिर्फ़ वो ही नही थी दो खेत आगे एक लाश और थी , और उस लाश को देख कर मैं बहुत ही ज़्यादा अपसेट हो गया था , वो जिसे मैं अपना दोस्त मानता था वो जो मेरे हर काम किया करता था वो लाश नंदू की थी
अब मेरी आँखो से रुलाई फुट पड़ी मैं वही उसकी लाश से लिपट लिपट कर रोने लगा हाई राम!!!!!!!!!!!!!!!!!! ये क्या हो गया मुझे लगा की जैसे मेरे सर पर जैसे क़यामत ही टूट पड़ी थी ये सिर्फ़ दो लाशें ही नही थी बल्कि ठाकुर देव के चेहरे पर एक करारा तमाचा थी , मेरी आँखो मे जैसे खून उतर आया था मैने घोर रुदन करते हुए कहा थानेदार आज रात तक मुझे
इनके कातिल मेरी आँखो के सामने चाहिए वरना मैं सब कुछ तहस नहस कर दूँगा तो इनस्पेक्टर बोला हम कोशिश कर रहे है , वो बोला मैं लाशों को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा देता हू तो मैने मना करते हुए कहा नही अब इनकी और मिट्टी खराब नही करनी है ये मेरे जीवन का एक और दुख था परिवार तो पहले ही छोड़ कर चला गया था ले दे कर ये कुछ लोग ही थे और अब चंदा और नंदू का भी कतल हो गया था
कुछ ही देर मे खबर आग की तरह फैल गयी थी और गाँव के कई लोग आ गये थे , मैने अपने हाथो से उन दोनो का अंतिम-संस्कार किया आख़िर मेरे लिए परिवार ही तो थे वो लोग , मैं खुद को बड़ा कोस रहा था उस रात हवेली मे बस घोर अंधेरा छाया हुआ था एक दीपक भी नही जला था , सब लोग गहरे सदमे मे थे और मेरी आँखो मे भी कुछ आँसू थे, और दिल रोए जा रहा था
उस रात चूल्हा नही जला बस दिल जल रहा था सुबह हुई पर कातिलों का कुछ नही पता चला , उफफफफफफ्फ़ कितना बेबस महसूस कर रहा था मुझे लगा कि मैं जैसे एक कीड़ा हू जिसे किसी ने कुचल कर छोड़ दिया हो कितना बेबस था मैं उस कमजोर पल मे बाग मे लखन और बादल दो ही आदमी रहा करते थे तो ना जाने मुझे क्यो उनकी सुरक्षा भी कमजोर लगी तो मैने उधर भी 10-15 आदमी 24 घंटे के लिए छोड़ दिए
और सख़्त आदेश दिया कि किसी भी अनहोनी की आशंका हो तो सीधा गोली चला देना जो होगा देख लेंगे आख़िर अपने हर करम्चारी की रक्षा मेरी ज़िम्मेदारी थी मैने एक पिस्टल पुष्पा को दी और कहा कि इसे हमेशा अपने पास रखना हिफ़ाज़त के लिए सच तो ये था कि उस घटना से मैं अंदर से बुरी तरह हिल गया था खुद को इतना अकेला मैने कभी नही पाया था
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