RE: XXX Chudai Kahani गन्ने की मिठास
गन्ने की मिठास--31
गतान्क से आगे......................
मैने उसके होंठो को चूमते हुए उसकी चूत पर जैसे ही हाथ रखा मैने देखा उसकी जंघे पहले से ही खूब फैली हुई थी और इस बार मैं पूरी तरह खुल कर उसकी गुदाज फूली चूत को उसकी पॅंटी के उपर से सहला रहा था,
संगीता की पूरी पॅंटी गीली हो चुकी थी और अब मुझसे रहा नही जा रहा था और मैने उसके मोटे मोटे बोबे दबाते हुए उसकी पॅंटी को एक साइड धीरे से हटा कर जब संगीता की चिकनी फूली हुई चूत को सहलाया तो संगीता ने अपनी जाँघो को और भी चौड़ा कर लिया और एक दम से मुझसे सॅट गई,
मैने संगीता के होंठो को अपने मूह मे भर कर चूसना शुरू कर दिया और उसके मोटे मोटे दूध को खूब कस कस कर मसालने लगा, संगीता की चूत की फांको को सहलाते हुए मैं धीरे धीरे उसकी चूत के दाने को सहला रहा था और उसकी चूत के छेद को अपनी उंगली से उपर ही उपर रगड़ रहा था मैं जानता था कि अगर मैने उंगली उसकी चूत मे घुसाने की कोशिश की तो कही उसके मूह से आवाज़ ना निकल जाए,
रात को 3 बजे हम औरंगाबाद पहुच गये और फिर अचानक मम्मी ने मुझे धीरे से आवाज़ दी
रति- बेटे राज
राज- हाँ मम्मी
रति- बेटा कही गाड़ी रुकवा ना मुझे बाथरूम जाना है,
मैने मम्मी की बात सुन कर ड्राइवर को एक ढाबे के पास गाड़ी रोकने को कहा और उससे कह दिया जाओ चाइ पी लो उसके बाद मम्मी को मैने इधर उधर देख कर एक तरफ जाकर मूतने का इशारा कर दिया और मम्मी अपनी गंद की दरार मैं फसि साडी को निकालते हुए मेरे सामने अपने भारी चूतादो को मतकाते हुए मूतने चल दी,
मैने देखा ड्राइवर ढाबे के अंदर चला गया है और गाड़ी जहाँ खड़ी थी उसके विपरीत दिशा मे मम्मी जा रही थी, मम्मी जिधर जा रही थी उधर एक दो पेड़ थे मैने भी मूतने के बहाने उन पेड़ो के पिछे खड़ा होकर अपने लंड को बाहर निकाल लिया और मम्मी को छुप कर देखते हुए अपने लंड को सहलाने लगा, मेरा लंड बाहर आते ही मस्ती मे खड़ा हो चुका था,
मुझे मम्मी साफ दिखाई दे रही थी तभी मम्मी ने एक बार इधर उधर देखा और अपनी मोटी गंद से साडी उठा कर फिर इधर उधर देखते हुए अपनी पॅंटी भी नीचे सरका दी, मैं मम्मी की नंगी भारी गंद देख कर मस्त हो गया, जैसे ही मम्मी नीचे बेती उसकी गंद पूरी खुल कर मेरे सामने आ गई और मैं उसकी गदराई गोरी गंद देख कर मस्त होने लगा, सच कहु तो मम्मी की मोटी गंद सुधिया की गुदाज गंद से कई गुना ज़्यादा भारी और चोदने लायक लग रही थी,
कुच्छ देर तक मम्मी मूतने के बाद उठी और अपनी पॅंटी चढ़ा कर अपनी साडी नीचे करके वापस आने लगी, मम्मी को वापस आता देख मैने जल्दी से अपना लंड अंदर किया और गाड़ी मे आकर बैठ गया,
मैने जब गाड़ी मे संगीता को नही पाया तो मैं ढाबे मे देखने लगा जहाँ वह चाइ की चुस्किया ले रही थी, मैं मंद मंद मुस्कुराते हुए उसके पास गया और मैने पुछा खुल गई मेडम आपकी नींद,
आप तो बड़ी गहरी नींद सोती हो कोई उठा कर बाहर भी फेक देता तो पता नही चलता,
संगीता- मुस्कुराते हुए भैया आप तो जानते है सफ़र मे मुझे कितनी नींद आती है,
राज- अच्छा ठीक है जल्दी से चाइ ख़तम करो और फिर एक चाइ मम्मी को पिलाने के बाद मम्मी ने मुझे कहा राज संगीता को भी बाथरूम लगी है जा ज़रा उसे बता दे किधर जाना है, मैं मम्मी की बात सुन कर संगीता की ओर देखने लगा तो वह मंद मंद मुस्कुराते हुए इधर उधर देखने लगी,
मैने उसे इशारे से अपने साथ आने को कहा और फिर सामने वाला पेड़ दिखाते हुए कहा जाओ और वहाँ जाकर कर लो,
संगीता- भैया आप यही रहना मुझे डर लग रहा है,
राज- अरे इतना क्यो डर रही है तू जा कर ले मैं तेरे पिछे ही खड़ा हू, उसके बाद संगीता उस पेड़ के पिछे जाकर अपनी स्कर्ट उठा कर अपनी पॅंटी निच्चे सरका कर मूतने लगी और उसके मूतने की आवाज़ मुझे साफ सुनाई दे रही थी, कुछ देर बाद संगीता आ गई और हम गाड़ी मे बैठ कर चल दिए, इस बार मम्मी बीच , मे बैठ गई थी और संगीता उनकी दूसरी तरफ बैठी थी,
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