RE: Kamukta Kahani कलियुग की सीता—एक छिनार
अब्दुल जी ने मेरे मन की बात समझते हुए मेरी चूचियो को आज़ाद किया और मेरा आँचल पकड़ कर खिचते चले गये…नीचे ग्रीन कलर की पेटिकोट देखते ही अब्दुल ख़ान के हाथों ने मेरी पेटिकोट के नाडे को तोड़ दिया.मेरी पेटिकोट अब नीचे पड़ी थी और मैं अब सिर्फ़ पिंक कलर की नक्कासीदार पैंटी मे अब्दुल ख़ान के सामने खड़ी थी…अपनी जाँघो के बीच ही अब्दुल जी को देखते हुए मैं शरम से पानी-पानी हो गयी..हाला कि वो मुझे चोद चुके थे लेकिन कभी मेरा बदन नही देखा था,सो मेरी नज़रे झुक गयी.अब्दुल ख़ान पैंटी के उपर से ही मेरी चूत सहला दिए और गालो पे चुम्मि ले ली..
तबतक मुझे याद आया,पतिदेव मेरी पूजा करने के लिए बैठे हैं…मैने पतिदेव को बुलाया ,पतिदेव को जैसे सब पता था, क्या करना है.पूजा की थाल नीचे रख कर पतिदेव ने मेरी पैंटी उतारी और मुझे बेड पर बैठा के खुद नीचे बैठ गये…फिर थाल मे से फूल निकाल के मेरी चूत पर चढ़ा दिए और जल डाल कर ऐसे साफ करने लगे कि मेरी चूत साफ हो फूलों की बदौलत और उनकी उंगलियाँ भी टच ना हो…फिर आँख बंद कर के हाथ जोड़ लिए.मैं बेड से उठकर खड़ी हो गयी और पतिदेव मेरे सामने हाथ जोड़े नीचे बैठे थे.मेरी चूत पतिदेव के सामने थी और चूतड़ अब्दुल ख़ान की तरफ जो सोफे पर बैठे थे…मेरे नंगे चूतडो को देखते ही अब्दुल ख़ान बर्दस्त से बाहर हो गये..एक तो मेरे मलाई जैसे चिकने चूतड़,उस पर डनलॉप के गद्दे की तरह फूले हुए…..कमर पर दोनो हाथ रखे हुए मैं हौले हौले हिल रही थी तो मेरे मदमस्त चूतडो मे कंपन हो रहा था..अब्दुल ख़ान ने ना तो मेरे नंगे चूतडो को देखा था और ना ही दबाया था.अचानक ना जाने क्या हुआ कि अब्दुल ख़ान पीछे से आए और मुझे थोड़ा झुका दिए,अभी मैं कारण सोच ही रही थी कि अब्दुल ख़ान ने अपना हाथ हवा मे पीछे लहराया और मेरी नंगी चूतडो पर ज़ोर का थप्पड़ लगा दिया..मैं आह भर उठी,जहा अब्दुल ख़ान का हाथ पड़ा था,वहाँ उनके पंजो का निशान पड़ गया था और मेरी चूतड़ लाल हो गयी थी.थप्पड़ की आवाज़ से पतिदेव की आँखे भी खुल गयी थी,पतिदेव ने जल्दी से दिया उठाकर मेरी चूत की आरती उतारी,फिर पैरो पर माथा टेक कर मेरे तलवे चूम लिए…फिर थाल रखने बाहर निकल गये.
पतिदेव के जाते ही अब्दुल ख़ान ने मुझे गोद मे उठा लिया और बेड पर पेट के बल पटक दिया….फिर ड्रेसिंग टेबल से बॉडी लोशन उठा कर आए,क्रीम निकाल कर मेरी चूतडो पर लगा दिए और हौले हौले मसाज करने लगे…मेरी मदमस्त चूतड़ अब और भी चमकीली हो गयी थी..बीच बीच मे अब्दुल ख़ान मेरी चूतडो पर थपकी भी लगा देते.फिर अब्दुल जी मुझे सीधा लेटा कर मुझ पर चढ़ गये और गालों पर पप्प्पी लेने लगे….तब तक पतिदेव भी आ गये.मुझे इस हालत मे देखते ही वो रो पड़े और बेड के कोने मे बैठकर मेरे पैर दबाने लगे..अब्दुल अभी भी मेरी चुम्मि लिए जा रहे थे,सो मैं अपने होश मे नही थी…पतिदेव बड़े चालबाज़ थे,तलवो से धीरे धीरे वो मेरी जाँघो पर आ गये थे .पतिदेव मेरी चूत छू ही लेते अगर मैं तुरंत उनके सीने पर लात मार के ना गिरा देती.मैं बेड से उठी तो पतिदेव नीचे गिरे पड़े थे…मैने पैर मे सॅंडल पहन रखी थी,मैं गयी और उनके जाँघो के बीच एक ज़ोर की किक लगा दी,पतिदेव अपना नूनी हाथ मे पकड़े दर्द से बिलबिला रहे थे.मेरे गाल गुस्से से लाल हो गये थे,कह ही उठी मैं
मैं(सीता)-तुमने हिमाकत कैसे की मेरे सामान को हाथ लगाने की मेरी मर्ज़ी के बिना
पतिदेव(दर्द से कराहते हुए)-प्लीज़ मेडम जी ,एक बार ,सिर्फ़ एक बार अपनी चूत छू लेने दीजिए,मैं आपके हाथ जोड़ता हूँ,पैर पकड़ता हू,मुझे माफ़ कर दीजिए लेकिन प्लीज़, प्लीज़,प्लीज़ मुझे अपनी चूत छू लेने दीजिए
मैं पतिदेव के गालो पर थप्पड़ जड़ने ही जा रही थी कि मन मे एक ख़याल आया और मेरे होठों पर कातिलाना मुस्कुराहट आ गयी…पतिदेव ने सोचा कि काम बन गया.मैने पतिदेव के सर पर हाथ फेरते हुए कहा
मैं(सीता)-ठीक है लेकिन एक शर्त पर….जब तुम मुझे खुश कर दोगे,मेरा हर हुक्म मुस्तैदी से पूरा करोगे
पतिदेव ने नीचे मूह झुका कर मेरे पैरों को चूमा और कही मैं इरादा ना बदल दू ,इसी डर से पूछ बैठे;
पतिदेव-जल्दी बोलिए मेडम जी,क्या करना है मुझे??
मैं(सीता)-मैं तुम्हे अपनी चूत तभी छूने दूँगी जब तुम मेरी गान्ड चाटोगे
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