RE: non veg story एक औरत की दास्तान
कितना दर्द था उस आवाज़ मे... ऐसा लग रहा था जैसे गाने वाली के साथ ही कोई ऐसी घटना हुई हो जिसे भूल पाना बहुत मुश्किल था... दर्शक दीर्घा मे बैठे लोग मंन ही मंन उसकी तारीफ कर रहे थे... "तुमने कभी सोचा था कि इसकी आवाज़ ऐसी होगी..?"
"नही यार.. जैसा इसका तंन वैसी इसकी आवाज़... सच मे खुदा ने बहुत फ़ुर्सत से बनाया होगा इस अनमोल चीज़ को"
"हां यार बड़ी ही सुरीली आवाज़ है...मंन तो करता है इसके गुलाबी होठों पर अभी जाकर चुंबन जड़ दूं.."
"अबे चुप कर भोंसड़ी के... किसी ने सुन लिया तो अभी तेरे गंद की बॅंड बजा डालेंगे.."
दर्शक दीर्घा मे बैठे लड़कों मे कुछ ऐसी ही बातें चल रही थी.. या यूँ कहें कि फुसफुसाहट चल रही थी... हर कोई दीवाना था उस लड़की का... हर कोई....
इन सब बातों से अंजान वो अपनी सुरीली आवाज़ मे गाए जा रही थी..
क्या क्या हुआ दिल के साथ
क्या क्या हुआ दिल के साथ
मगर तेरा प्यार नही भूले
हम भूल गये रे हर बात मगर तेरा प्यार नही भूले
कसमे खाकर वादे तोड़े
हम फिर भी तुझे ना भूल सके कसमे खाकर वादे तोड़े..
हम फिर भी तुझे ना भूल सके
झूले तो पड़े बागों में मगर हम बिन तेरे ना झूल सके
सावन में जले रे दिन रात
सावन में जले रे दिन रात
मगर तेरा प्यार नही भूले
क्या क्या हुआ दिल के साथ
क्या क्या हुआ दिल के साथ
मगर तेरा प्यार नही भूले
हम भूल गये रे हर बात मगर तेरा प्यार नही भूले
जैसे ही गाना ख़तम हुआ...पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठा...उसने आज कल्चरल फंक्षन मे ऐसा समा बँधा था कि सारे दर्शक मंत्रमुग्ध हुए बिना ना रह सके... एक चुंबकिया आकर्षण था उसकी आवाज़ मे.. आज सब ने जान लिया था कि स्नेहा की सिर्फ़ आवाज़ ही नही बल्कि उसके जिस्म से जुड़ी हर एक चीज़ सुंदर थी...
"अबे... कहाँ खोया हुआ है...." रवि ने राज की आँखों के आगे हाथ लहराया...
गाना ख़तम होने तक राज की नज़र एक बार भी स्टेज से नही हटी थी... वो एक तक स्नेहा को देखे जा रहा था... ऐसा लग रहा था कि जैसे वो उसमे समा जाना चाहता हो... उसकी सुंदरता का रस पीना चाहता हो...
और ये बात रवि से छिपी नही थी... वो सॉफ सॉफ समझ गया था कि हो ना हो... राज के दिल मे स्नेहा के लिए कोई ना कोई जज़्बात ज़रूर घर कर गये हैं...
"अरे कुछ नही यार बस ऐसे ही.." राज ने बहाना बनाते हुए कहा... पर वो जान गया था कि उसकी चोरी पकड़ी गयी थी और अब उसकी बात ज़्यादा देर रवि से नही छुप सकती थी...
"साले मैं तेरा दोस्त हूँ... मुझसे तू नही छुपा सकता अपनी बात... बता.... तू स्नेहा से प्यार करता है ना...?" रवि ने अब सीधा वॉर करना ही ठीक समझा...
"अबे ये क्क्क...क्या बब्ब...ओल रहा है... मैं और प्यार... नही नही ये हो ही नही सकता..." राज की हकलाती आवाज़ मे झूठ की झलक सॉफ दिख रही थी...
"अपने दोस्त से झूठ बोलेगा...."
"नही यार मैं झूठ कहाँ बोल रहा हूँ...." तभी हॉल मे कुछ अनाउन्स्मेंट की आवाज़ आने लगी जिससे उन लोगों का ध्यान टूटा...
"बच्चों... आज मेरी बेटी रिया का जनमदिन है... इसलिए मैं आप सब को अपनी बेटी की बर्तडे पार्टी मे इन्वाइट करना चाहता हूँ... जिन्हे भी मन करे वो निसंकोच पधार सकते हैं..." स्टेज पर खड़ा कॉलेज का प्रिन्सिपल अपनी बेटी के जनमदिन पर सबको इन्वाइट कर रहा था... सुनने मे अटपटा लगता है पर इसका कारण ये था कि उसकी बेटी भी उसी कॉलेज मे पढ़ती थी इसलिए वो चाहती थी कि उसके कॉलेज के सारे लड़कों को इन्वाइट किया जाए...
"ज़रूर जाएँगे यार... ये प्रिन्सिपल की बेटी रिया बहुत बड़ी मस्त माल है..." रवि का ध्यान अब स्नेहा वाली बात से हट गया था..
"अबे चुप कर... लड़की देखी नही की लार टपकाना शुरू... चल घर चल... शाम को फिर पार्टी मे जाना है..." राज ने रवि के सर पर एक थप्पड़ मारते हुए कहा...
"हां चल यार...चलते हैं." दोनो हॉल से बाहर आ गये और बाइक उठा के चल दिए घर की तरफ..
क्रमशः.........................
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